देवा, बाराबंकी नाम व निशा यजीद का दुनिया से मिट गया जिंदा है अब भी नाम हसन का हुसैन काआले रसूल की पैरवी सच्ची मोहब्बत व अकीदत रखना ईमान का हिस्सा है । दुनिया के बड़े ताजदार तो मिट सकते है बड़े बड़े ज़ालिम बाद शाह नष्ट हो सकते है मगर राह खुदा में अपने प्राण को क़ुर्बान करने वाले सदेव ज़िंदा रहेंगे ।
उक्त बातें दरगाह हज़रत क़ुर्बान अली शाह दादा मियाँ के सज्जादा नाशीन हाजी सैय्यद उस्मान गनी शाह के समा खाने में आयोजित महफ़िलें मिलाद और ज़िक्र शोहदाए करबला के अवसर पर इमाम मस्जिद आस्ताना वारिस पाक मौलाना ग़यासुद्दीन ने कहीं।
मौलाना न कहा की ताजदार करबला ने जैसा सबर और सजदा तलवार के साये मे किया वो क़यामत तक कोई नही कर सकता।
हज़रत इमाम हुसैन किसी जाती धर्म तक सीमित नहि बल्कि पुरी इंसानियत के है हज़रत इमाम हुसैन ने मैदान करबला में हक़ और इंसाफ़ के लिए शाहादत पेश कर न सिर्फ़ इस्लाम बल्कि इंसानियत को बचाया।
मौलाना इसलामदीन ने कहा की हज़रत इमाम हुसैन एक शख़्स का नाम नहीं बलकी एक पैग़ाम है जो हर दौर मे मज़लूम व मजबूर इंसानो को सच्चाई व ईमानदारी से हालत का मुक़ाबला करने का हौसला देता है। क़ुरान व अहलेबैत के अलावा निजात का कोई रास्ता नही है । उनका ज़िक्र इबादत है। करबला की जंग धर्म और अधर्म के बीच हुई । संख्या मे कम होते हुए भी हज़रत इमाम हुसैन कामीयाब हुए और शहादत का दर्जा पाकर क़यामत तक के लिए अमर हो गये।
इससे पूर्व महफिल का आगाज तिलावते कलाम पाक से हुआ। मौलाना इस्लामद्दीन ने नात पाक पेश की।
इस अवसर पर महफ़िल की अध्यछता सज्जादानशीन हाजी सैय्यद उस्मान गनी शाह ने की । मेहमानो का शुक्रिया सैय्यद अयान गनी ने अदा किया इस अवसर पर हफिज उद्दीन,इलियास वारसी, सादिकवारसी आलमगीर शाह,कमाल शाह,अनवर शाह,मौलाना,कमाल वारसी, सुल्तानखाॅ,समेत भारी संख्या मे अकीदतमंद मौजूद थे।