लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को प्रदेश में 1,100 अन्नपूर्णा भवनों (माडल उचित दर दुकानों) का लोकार्पण किया। इसके साथ ही उन्होंने 79,000 उचित दर दुकानों पर ई-वेइंग स्केल लिंक्ड ई-पास मशीनों के माध्यम से खाद्यान्न वितरण का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार दोगुणी रफ्तार से काम कर रही है।
आज बिना किसी भेदभाव के शासन की योजनाओं का लाभ हर नागरिक को मिल रहा है। यही सुशासन है। सुशासन का यही माडल रामराज्य की अवधारणा भी है।
एक ही स्थान पर रहेंगे अन्नपूर्णा भवन
मुख्यमंत्री ने बताया कि लोकार्पित किए गए अन्नपूर्णा भवन एक ही स्थान पर रहेंगे। किसी कारणवश कोटेदार के बदलने पर लोगों को अपने राशन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इसका लाभ यह भी होगा कि लोगों को यहां से राशन वितरण के साथ ही, जेनेरिक दवाएं तथा घरेलू सामान कम दाम में मिलेगा।
इन अन्नपूर्णा भवनों में राशन को सुरक्षित रखने के लिए गोदाम भी रहेगा। इन भवनों में जनसुविधा केंद्र की सुविधा भी होगी, जहां से जन्म, मृत्यु, आयु, जाति सहित सभी प्रमाणपत्र एक जगह से बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि आज 1,100 अन्नपूर्णा भवनों का लोकार्पण हुआ है। शीघ्र ही इसे प्रदेश की सभी माडल उचित दर दुकानों के लिए लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने 10 उचित दर विक्रेताओं को अन्नपूर्णा भवनों की प्रतीकात्मक चाभी प्रदान की। कुछ लाभार्थियों को प्रतीक स्वरूप राशन किट प्रदान की।
प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को प्राप्त हुआ लाभ
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 के पूर्व राज्य में जरूरतमंदों को राशन मिलना चुनौती थी। उनके नाम पर दूसरे लोग राशन ले लेते थे। प्रदेश के कई जिलों में भूख से मृत्यु भी होती थी। खाद्य एवं रसद विभाग ने तकनीक का उपयोग कर पहले ई-पास मशीनें लगाकर तथा अब ई-वेईंग स्केल को ई-पास मशीन से जोड़कर राशन वितरण में गड़बड़ी और घटतौली रोकने के लिए सुधार किए। इसका लाभ प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को प्राप्त हुआ है। प्रदेश में भुखमरी की समस्या का समाधान हुआ है। वर्तमान में सिंगल स्टेज डोर स्टेप डिलीवरी के माध्यम से एफसीआइ गोदामों से राशन निर्धारित कोटे की दुकानों तक पहुंचा है या नहीं, इसकी निगरानी लखनऊ से की जा रही है।
योगी ने कहा कि ग्राम्य विकास विभाग ने मनरेगा योजना से अन्नपूर्णा भवन बनाए हैं, जहां एक साथ कई प्रकार की सुविधाएं मिलेंगी। इससे गांवों में लोगों को रोजगार भी मिलेगा। सरकार शीघ्र ही कुछ बड़े कदम उठाने की तैयारी कर रही है। यह भी कहा कि राजस्व से जुड़े कार्यों के डिजिटाइजेशन की कार्यवाही अंतिम चरण में है। लोगों को अपनी जमीनों के कागज देखने के लिए तहसीलों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इस प्रक्रिया को अगले चरण में वरासत तथा नामांतरण के साथ जोड़ा जाएगा।
पैमाइश की समस्या के समाधान के लिए अब जमीनों के कोआर्डिनेट तय हो जाएंगे। इससे कोई जमीन का घपला नहीं कर पाएगा। कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद व खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री सतीश चन्द्र शर्मा ने भी संबोधित किया।