सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (सीआईएसएफ) ने 29वीं अंतर सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स वाद-विवाद प्रतियोगिता में ओवर ऑल सर्वश्रेष्ठ टीम रोलिंग ट्रॉफी जीतकर काफी बढ़िया प्रदर्शन किया. यह कंपटीशन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के तत्वावधान में बार्डर सिक्योरिटी फोर्स ने नई दिल्ली में अटल अक्षय ऊर्जा भवन में आयोजित किया. सीआईएसएफ ने यह ट्रॉफी 10वीं बार अपने नाम की है.
इस कंपटीशन में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इनके महत्व को समझने का मौका मिलता है. सीआईएसएफ की टीम ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बढ़िया प्रदर्शन किया. हिंदी भाषा में उपनिरीक्षक राहुल कुमार ने दूसरा और सहायक कमांडेंट कान्हा जोशी ने तीसरा स्थान हासिल किया. वहीं अंग्रेजी भाषा में होने वाली डिबेट में सहायक कमांडेंट अक्षय बडोला और सहायक कमांडेंट भास्कर चौधरी ने दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया.
इन फोर्सेज के बीच हुआ कंपटीशन
एनएचआरसी ने इस कंपटीशन में निर्णायक मंडल ने अपनी भूमिका निभाई. मुख्य निर्णायक मंडल में एनएचआरसी की पूर्व सदस्य ज्योतिका कालरा, एनएलयू दिल्ली के कुलपति प्रो. डॉ. जीएस बाजपेयी और आईपीएस डॉ. ईश कुमार जैसे दिग्गज शामिल थे. सभी आठ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों ने इसमें भाग लिया. सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, एनएसजी, आरपीएफ और असम राइफल्स इसमें शामिल थीं.
सीआईएसएफ की प्रतिष्ठा बढ़ी
सीआईएसएफ टीम की इस सफलता में नेशनल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी एकेडमी के ट्रेनर का स्पेशल योगदान रहा. फोर्स ने सभी के बौद्धिक विकास को प्राथमिकता देते हुए, मानवाधिकारों की गहरी समझ विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है. इस जीत ने न केवल सीआईएसएफ की प्रतिष्ठा को बढ़ाया, बल्कि यह भी दिखाया कि बल अपने कर्तव्यों के साथ-साथ सामाजिक मूल्यों के प्रति भी जागरूक है.
सामाजिक मुद्दों पर संवाद जरूरी
यह उपलब्धि सीआईएसएफ की प्रतिबद्धता और समर्पण को बताती है. यह न केवल फोर्स के लोगों की प्रतिभा और कौशल को बताता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि सुरक्षा बलों में सामाजिक मुद्दों पर संवाद और जागरूकता की कितनी अहमियत है. इस जीत के साथ, सीआईएसएफ ने अपनी जिम्मेदारियों से परे जाकर मानवाधिकारों के संरक्षण और जागरूकता में अपने योगदान का उल्लेखनीय उदाहरण पेश किया है.