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Cholesterol : कोलेस्ट्रॉल का स्तर अक्सर सामान्य से अधिक बने रहना हृदय की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। हम सभी रोज कोलेस्ट्रॉल के बारे में सुनते-पढ़ते रहते हैं, लेकिन क्या आप वास्तव में कोलेस्ट्रॉल से परिचित हैं? आइए जानते हैं कुछ आम मिथ्स के बारे में जिन्हें लोग अक्सर सही मानते रहे हैं।हालांकि वसा का अधिक सेवन कोलेस्ट्रॉल को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह अकेला कारण नहीं है। शरीर स्वयं भी कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करता है, और अगर आपकी जीवनशैली (जैसे शारीरिक गतिविधियों की कमी, तनाव, और आनुवंशिकता) सही नहीं है, तो यह भी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित कर सकता है।कोलेस्ट्रॉल की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है।
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विशेषकर अगर आपकी खानपान की आदतें गलत हों या यदि परिवार में कोलेस्ट्रॉल का इतिहास हो, तो यह समस्या युवाओं में भी विकसित हो सकती है।सही प्रकार की वसा (जैसे मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स) का सेवन कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। मछली, एवोकाडो और नट्स जैसे खाद्य पदार्थ अच्छे फैट्स होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।अंडे में कोलेस्ट्रॉल होता है, लेकिन मोजरट सेवन में यह हानिकारक नहीं होता। अंडे का सेवन प्रोटीन, विटामिन और अन्य पोषक तत्वों के अच्छे स्रोत के रूप में किया जा सकता है। अगर आपके कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य है तो आप अंडे खा सकते हैं, लेकिन अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए।
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जबकि दवाइयाँ मदद कर सकती हैं, सही आहार, नियमित व्यायाम, और जीवनशैली में बदलाव भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधि को प्राथमिकता देना आवश्यक है।कोलेस्ट्रॉल से संबंधित मिथ्स को समझकर और सही जानकारी प्राप्त कर हम इसके प्रभावों से बच सकते हैं। अगर आप नियमित रूप से कोलेस्ट्रॉल की जांच करते हैं, स्वस्थ आहार और जीवनशैली अपनाते हैं, तो आप हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित समस्याओं से सुरक्षित रह सकते हैं।
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हाई कोलेस्ट्रॉल मौजूदा समय की सबसे आम समस्याओं में से एक है। वयस्क हों या बुजुर्ग यहां तक कि 20 से कम उम्र के लोगों में भी कोलेस्ट्रॉल की दिक्कत देखी जा रही है। कोलेस्ट्रॉल का स्तर अक्सर सामान्य से अधिक बने रहना हृदय की गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
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डॉक्टर कहते हैं, भले ही कोलेस्ट्रॉल का नाम सुनते ही अक्सर हम सभी चिंतित हो जाते हैं पर असल में कोलेस्ट्रॉल इतना भी बुरा नहीं है। शरीर को ठीक से काम करते रहने के लिए कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है, पर जब इसका स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है तो ये गंभीर समस्याओं को बढ़ाने लगती है। कोलेस्ट्रॉल एक मोम जैसा फैट होता है जो सेल मेंब्रेन और कई हार्मोन्स बनाने के साथ भोजन को पचाने में मदद करता है। हालांकि जब रक्त में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने लगता है तो इससे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
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स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हम सभी रोज कोलेस्ट्रॉल के बारे में सुनते-पढ़ते रहते हैं पर क्या आप वास्तव में कोलेस्ट्रॉल से परिचित हैं। आइए कुछ ऐसे ही मिथ्स के बारे में जानते हैं जिन्हें अक्सर लोग सही मानते रहे हैं।आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल का नाम सुनते ही सबसे पहला ख्याल यही आता है कि कोलेस्ट्रॉल मतलब सेहत के लिए खतरा। पर वास्तव में कोलेस्ट्रॉल इतना भी बुरा नहीं है। कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है- बैड और गुड। गुड कोलेस्ट्रॉल शरीर की कोशिकाओं, हार्मोन (जैसे एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन) और विटामिन-डी के निर्माण में मदद करता है। संतुलित मात्रा में कोलेस्ट्रॉल शरीर के सुचारू कार्य के लिए आवश्यक होता है। हालांकि अगर इसकी मात्रा अक्सर सामान्य से अधिक बनी रहता है तो निश्चित ही ये सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
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मिथ- मांसाहारी लोगों को कोलेस्ट्रॉल की दिक्कत ज्यादा होती है।
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अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन का कहना है कि भोजन से प्रतिदिन 300 मिलीग्राम से कम कोलेस्ट्रॉल प्राप्त करना चाहिए। संतृप्त वसा यानी सैचुरेटेड फैट इसका बड़ा कारण माना जाता है। रेड मीट, मक्खन और फुल फैट वाले डेयरी उत्पाद में सैचुरेटेड फैट की अधिकता होती है। एक अंडे में 186 मिलीग्राम तक कोलेस्ट्रॉल और सिर्फ 1.6 ग्राम सैचुरेटेड फैट होता है।शाकाहारी हो या मांसाहारी किसी को भी कोलेस्ट्रॉल की दिक्कत हो सकती है इसलिए आहार को लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए।कोलेस्ट्रॉल को चूंकि हृदय रोगों और हार्ट अटैक का कारण माना जाता रहा है इसलिए अक्सर लोग चिंतित रहते हैं। कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए आपको दवाओं का जरूरत होती है पर अगर ये बहुत ज्यादा नहीं है और आपको हार्ट से संबंधित बीमारियां नहीं हैं तो जीवनशैली में बदलाव से भी लाभ मिल सकता है।दवाओं के साथ-साथ स्वस्थ खान-पान, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन की मदद से भी कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल किया जा सकता है।कोलेस्ट्राल की समस्या किसी को भी हो सकती है इसलिए वयस्कों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को हर 5 साल में कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए।45 से 65 वर्ष की आयु के पुरुषों और 55 से 65 वर्ष की आयु की महिलाओं को हर एक साल में इसकी जांच करानी चाहिए। 65 वर्ष की आयु के बाद छह-आठ माह में इसका टेस्ट कराएं। यदि आपका कोलेस्ट्रॉल हाई रहता है अपने डॉक्टर से इसके बारे में पूछें और बताए गए उपायों का पालन करते रहें।