- केलवा के पात पर उगेले सुरुजमल झांके झुके’, महापर्व छठ के गीतों से गूंजने लगे घर द्वार, सूप और दउरा की खरीदारी शुरू
अजय सिंह चौहान
निष्पक्ष प्रतिदिन,लखनऊ। दीपावली पर्व की रौनक के बाद अब बाजारों में छठ की रौनक देखने को मिल रही है। राजधानी के शहर व ग्रामीण इलाकों की प्रमुख बाजारों में इन दिनों छठ की खरीदारी करने वालों की भीड़ देखी जा सकती है। महिलाओं ने पूजा की सामग्री की खरीददारी शुरू कर दी है। वहीं, दुकानदारों ने भी छठ व्रतधारियों के अनुसार सामान बाजार में उतार दिए हैं। पूजा के समान से लेकर कपड़ों के अलग-अलग स्टॉल लग गए हैं।पूजा में आवश्यक सामग्री में प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी टोकरी, बांस या पीतल का सूप, दूध, जल के लिए लोटा-गिलास और थाली, गन्ने, शकरकंदी और सुथनी,पान, सुपारी और हल्दी मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा मीठा नींबू, शरीफा, केला, नाशपाती, पानी वाला नारियल, मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल और आटे से बना ठेकुआ, चावल, सिंदूर, दीपक, शहद और दूध के अलावा नए वस्त्र शामिल होते हैं।
बता दें कि इस महापर्व को छठ पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है, जो कि इस बार 17 नवंबर को है।यह पर्व राजधानी में भी बिहार राज्य की तरह ही लखनऊ सहित सूबे के अधिकांश जिलों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन घर में जो भी छठ का व्रत करने का संकल्प लेता है वह, स्नान करके साफ और नए वस्त्र धारण करता है। फिर व्रती शाकाहारी भोजन लेते हैं।नहाय खाय के अगले दिन खरना होता है। इस दिन से सभी लोग उपवास करना शुरू करते हैं। वहीं शहर में लक्ष्मण मेला मैदान के अलावा कुड़ियाघाट, पक्का पुल घाट, डालीगंज पुल, खाटू श्याम मंदिर घाट, खदरा, गोमतीनगर, आशियाना, कृष्णानगर, तेलीबाग, नीलमथा समेत तमाम इलाकों में घाटों के अलावा अस्थाई इंतजाम कर तालाबों से व्रतियों द्वारा सूर्यदेव को अर्घ्य दिये जाने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं।क्योंकि यहां हर साल सभी प्रमुख घाटों पर लाखों की भीड़ एकत्र होती है।छठ पर्व पर घाटों पर आये लोग गहरे पानी में न जाने पाये, इसके लिए घाट के अन्दर बैरिकेडिंग की उचित व्यवस्था की गयी है।पूजा स्थलों व घाटों पर पहुंचने के लिए यथावश्यक सीढिय़ों की व्यवस्था के साथ ही सीसीटीवी कैमरों से पूजा स्थलों की सतत निगरानी की समुचित व्यवस्था भी की गयी है।छठ के घाटों एवं पूजा स्थलों पर मजिस्ट्रेटों व पुलिस के अधिकारियों की तैनाती भी व्रतियों की सुरक्षा के लिए सुनिश्चित की गयी है।बीकेटी, इटौंजा,कुम्हरावा, जानकीपुरम, गुडंबा, इन्द्रानगर, गोमतीनगर,अलीगंज सहित ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग तालाब व नदी के घाटों पर पूजा शुरु कर चुके हैं।बता दें कि इस बार खरना 18 नवंबर को है। इस दिन छठी माई के प्रसाद के लिए चावल, दूध के पकवान, ठेकुआ (घी, आटे से बना प्रसाद) बनाया जाता है। साथ ही फल, सब्जियों से पूजा की जाती है। इस दिन गुड़ की खीर भी बनाई जाती है। छठ के तीसरे दिन शाम यानी सांझ के अर्घ्य वाले दिन शाम के पूजन की तैयारियां की जाती हैं। इस बार 19 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य है। इस दिन नदी, तालाब में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर पूजा के बाद अगली सुबह की पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।चौथे दिन सुबह के अर्घ्य के साथ छठ का समापन हो जाता है। सप्तमी को सुबह सूर्योदय के समय भी सूर्यास्त वाली उपासना की प्रक्रिया को दोहराया जाता है। विधिवत पूजा कर प्रसाद बांटा जाता है और इस तरह छठ पूजा संपन्न होती है।
छठ पूजा पर होंगे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम
भोजपुरी समाज के अध्यक्ष प्रभुनाथ ने बताया कि कोरोना के चलते घाटों पर बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भोजपुरी समाज के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए,समाज के इस मुख्य पर्व पर घाटों व पूजा स्थलों पर व्रतियों के लिए करायी है। विशेष व्यस्थाओं के लिए सरकार व प्रशासनिक अधिकारी बधाई के पात्र हैं।इसके लिए भोजपुरी समाज उनका हमेशा आभारी रहेगा।
खरीददारी के लिए बाजारों में उमड़ी भीड़
छठ पर्व को देखते हुए हजरतगंज,चौक, अमीनाबाद,महानगर, डंडहिया,निशातगंज, मुंशी पुलिया, इन्द्रानगर,डालीगंज,गोमतीनगर सहित सभी प्रमुख बाजारों में पूजन सामग्री व फलों व नये कपड़ों की खरीददारी कर रहे लोगों की भीड़ देखी जा रही है।