केन्द्र सरकार का फोकस गरीब, युवा, अन्नदाता और महिला के विकास पर : जेपी नड्डा

नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने मंगलवार को राज्यसभा में केंद्रीय बजट को समावेशी विकास, सतत विकास और आर्थिक लचीलेपन वाला बजट बताया। उन्होंने कहा कि आज जब दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं चरमराने के कगार पर हैं, भारत आर्थिक लचीलेपन के साथ आगे बढ़ रहा है। यह एक दूरदर्शी बजट है जो हमें भविष्य की मांगों का ध्यान रखते हुए हमारी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है। साथ ही मजबूत नीतिगत ढांचे के साथ दीर्घकालिक समृद्धि सुनिश्चित करता है। केन्द्र सरकार का फोकस ‘ज्ञान’ पर रहा है यानि गरीब, युवा, नारी और अन्नदाता।

केंद्रीय मंत्री नड्डा ने कहा कि 60 साल पहले, जब नेहरू लगातार 3 बार चुनाव जीते, तो देश में आजादी का उत्साह था और उनका मुकाबला बेहद कमजोर और बिखरे हुए विपक्ष से था। 2024 में, मोदी ने एक मजबूत विपक्ष के खिलाफ अपना तीसरा कार्यकाल जीता। यह जनादेश स्थिरता, निरंतरता, सुशासन और विकसित भारत के विकास के लिए है। ये बजट सबको समान अवसर देने वाला है।

उन्होंने कहा कि कई बार लोग कहते हैं कि मिडिल क्लास का क्या हुआ? उजाला योजना के तहत वितरित एलईडी बल्ब के कारण 20 हजार करोड़ रुपये का बिजली बिल कम हुआ और 47.7 मिलियन किलो वाट ऊर्जा बचाई गई। उसी तरह सौभाग्य योजना के तहत 2 करोड़ 60 लाख घरों को बिजली का कनेक्शन दिया गया। आवास योजना के तहत 4 करोड़ घर हम बना चुके और मोदी 3.0 की पहली कैबिनेट में फैसला किया गया कि हम 3 करोड़ अतिरिक्त नए घर बनाएंगे। जल जीवन मिशन के तहत 11 करोड़ से अधिक जल कनेक्शन दिए गए और आईआईएम बैंगलाेर का कहना है कि करीब 2 करोड़ रोजगार सिर्फ जल जीवन मिशन से सृजित होंगे।

उन्होंने कहा कि किसी देश के जीवन की गुणवत्ता उसकी आय के आकार से निर्धारित होती है। अर्थव्यवस्था जितनी बड़ी होगी, उसके लोगों को लाभ उतना ही अधिक होगा। व्यय को प्राथमिकता देना किसी अर्थव्यवस्था की ताकत और लचीलेपन पर निर्भर करता है। दशकों तक देश पर शासन करने वाले लोग बजट तय करते समय इन पहलुओं पर विचार करने में विफल रहे। हालांकि, मोदी के नेतृत्व में, डीबीटी को सक्षम करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग ने भारतीय बजट को लीक-प्रूफ बना दिया है, जिससे अंतिम-मील वितरण सुनिश्चित हो गया है। टैक्स कलेक्शन जो 2014 में 6.3 लाख करोड़ रुपये होता था, आज 23.37 लाख करोड़ रुपये है। 2017-18 में शुरुआत के समय जीएसटी कलेक्शन 7.9 लाख करोड़ रुपये था, जबकि आज 20.18 लाख करोड़ रुपये है। इसी तरह, हमारा राजकोषीय घाटा भी बहुत कम होकर 5.6 प्रतिशत हो गया है।

इस बजट में गरीबी उन्मूलन, गरीबों को सशक्त बनाने, किसानों को रसद के साथ समर्थन देने और गांवों को मजबूत करने की पहल पर विशेष ध्यान दिया गया है। रोजगार सृजन पर ध्यान देने के साथ, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना देश भर में करोड़ों नौकरियां पैदा करने के लिए तैयार है। कांग्रेस पर हमला बोलते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि रिफॉर्म्स का दशक 2004 से 2014 तक था, लेकिन इस दशक को हमने व्यर्थ कर दिया, इसका हमने उपयोग नहीं किया। कांग्रेस कहती थी कि गांव का व्यक्ति डिजिटल जानता ही नहीं है, ये भारत तो पढ़ा लिखा ही नहीं है। लेकिन आज हाट में बैठने वाला व्यक्ति भी क्यूआर कोड लगाकर पेमेंट लेता है। आज गांव में 2 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर खुले हैं।

उन्होंने कहा कि वोटों के खातिर कांग्रेस इतनी लालायित हो गई है कि आज ओबीसी के चैंपियन बन रहे हैं। उन्होंने पूछा कि कांग्रेस की वर्किंग कमिटी में कितने ओबीसी हैं? राजीव गांधी फाउंडेशन के बोर्ड में कितने ओबीसी, एससी, एसटी हैं? यूपीए की नेशनल एडवाइजरी कमिटी में कितने ओबीसी, एससी, एसटी थे? घड़ियाली आंसू बहाने से काम नहीं चलता है, ओबीसी के साथ जीना पड़ता है, दिखावे से काम नहीं चलता है। मोदी की पहली, दूसरी और तीसरी कैबिनेट में सबसे ज्यादा ओबीसी, एससी, एसटी मंत्री रहे हैं।

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