जनवादी कवि दिवंगत टिल्लन वर्मा की याद में एक श्रद्धांजलि गोष्ठी का आयोजन किया

बदायूं। बीती रात जनवादी कवि दिवंगत टिल्लन वर्मा की याद में एक श्रद्धांजलि गोष्ठी का आयोजन किया गया। जीएस हॉस्पिटल में आयोजित कवियों ने नगर के जनवादी कवि टिल्लन वर्मा को अपनी कविताओं के माध्यम से शोक श्रृद्धांजलि अर्पित की। गोष्ठी का संचालन विवेक चतुर्वेदी ने वहीं अध्यक्षता डॉ गीतम सिंह ने की।
वारिस उझानवी ने फरमाया-
शोक में बस्ती डूब जाती है।
जब भी टिल्लन की याद आती है ।

शैलेन्द्र नाथ घायल ने सुनाया –
तुम नए परिवेश में ।
क्यों गए इस भेष में।
पूछती आंखें सजल ,
तुम गए किस देश में ।।

संजीव सक्सेना अमर ने कुछ यूं सुनाया-
जिंदगी में अगर आएगी उलझने ।
लौट कर फिर नहीं जाएंगे उलझने।।
ऐसा लगता है जीने ना देगी हमें ।
जुल्म भी ये बहुत ढाएंगी उलझने।।

जाकिर भाई ने कहा –
पढ़कर टिल्लन का हुड़दंग सभी रह गए दंग ।
चाहे बाहुबली भुजंग या हो अपंग, ये सभी के संग।

विवेक चतुर्वेदी ने सुनाया –
अधिकारों से भव्य राम है ।
लघु से लघु कर्तव्य राम है।।
हर घनत्व को धारण कर ले।
इतना मौलिक द्रव्य राम है।

अध्यक्षता कर रहे डाॅ गीतम सिंह ने कहा-
फासला ही फासला है राब्ता कोई नहीं।
अब तसव्वुर के अलावा रास्ता कोई नहीं।।
सोचते ही रह गए सब ऐसा कैसे हो गया।
दूर टिल्लन हो गए ज्यों वास्ता कोई नहीं।

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