रायपुर। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में बदलाव कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, शैक्षणिक सत्र 2024-25 से देशभर के शैक्षणिक ढांचे में नए सत्र से नौवीं और 10वीं में विद्यार्थियों को 10 विषय पढ़ने होंगे और प्रत्येक में पास होना अनिवार्य होगा। वहीं 12वीं में विद्यार्थियों को कुल छह विषय पढ़ने होंगे और प्रत्येक में पास होना अनिवार्य होगा।
राजधानी रायपुर में इनकी संख्या 56 है
अब तक विद्यार्थी 10वीं में अधिकतम नौ विषय चुन सकते थे, लेकिन वे छह विषय ही चुनते थे और पास होने के लिए पांच विषयों में उत्तीर्ण होना अनिवार्य होता था। वहीं 12वीं में कोई विद्यार्थी सात विषय चुन सकता था, जिसमें एक वैकल्पिक होता था। इनमें पांच विषय में उत्तीर्ण होना अनिवार्य होता था। छत्तीसगढ़ की बात करें तो कुल 516 सीबीएसई के स्कूल है। राजधानी रायपुर में इनकी संख्या 56 है।
शिक्षा में गतिशीलता और आमूलचूल परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) तैयार किया है। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्च-स्तरीय समिति ने स्कूली से उच्च शिक्षा तक एक एकीकृत क्रेडिट संचय और हस्तांतरण ढांचा तैयार किया है, जिसके तहत विद्यार्थियों को शैक्षणिक और कौशल विषयों में क्रेडिट दिया जाएगा। सभी राज्य बोर्ड, सीबीएसई और एनआइओएस बोर्ड के लिए दिशा निर्देश तैयार किए गए हैं।
10वीं में होंगी अब तीन भाषाएं
अब 10वीं कक्षा में तीन भाषाएं शामिल होंगी, जिसमें दो भाषा कम से कम भारत में बोली जाने वाली होगी, वहीं सात मुख्य विषय होंगे। इसमें गणित और कम्प्युटेशनल थिंकिंग, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और कल्याण, व्यावसायिक शिक्षा और अंत: विषय क्षेत्र शामिल हैं। विद्यार्थी को सभी 10 विषयों में उत्तीर्ण होना होगा।
12वीं में दो भाषा विषय होंगे शामिल
12वीं में अब विद्यार्थियों को एक के बजाय दो भाषाएं पढ़नी होंगी। इसमें कम से कम एक भाषा भारत में बोली जाने वाली होगी, वहीं चार मुख्य विषय और एक वैकल्पिक विषय होगा। यह सभी विद्यार्थियों को चयनित करने होंगे। एनसीएफ के तहत इन विषयों को तीन समूह में बांटा गया है। जिसमें से विद्यार्थियों को किसी दो समूह से चार विषय चयनित करने होंगे।
पहले समूह में संगीत, नृत्य, थिएटर, स्कल्पचर, पेंटिंग, शारीरिक शिक्षा और कल्याण व व्यावसायिक शिक्षा शामिल है। दूसरे समूह में इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, वाणिज्य व पर्यावरण शिक्षा शामिल है। तीसरे समूह में गणित, प्रोग्रामिंग व कोडिंग, बिजनेस गणित, भौतिकी, रसायन विज्ञान व जीव विज्ञान शामिल हैं।
मुख्य बिंदु
-क्रेडिट के आवंटन के लिए कुल अनुमानित 1200 शिक्षण घंटे प्रति वर्ष होंगे, जिसके लिए 40 क्रेडिट दिए जाएंगे।
-एनसीआरएफ के तहत क्रेडिट गणना के लिए 30 शिक्षण घंटों को एक क्रेडिट के रूप में गिना जाएगा।
-विद्यार्थियों की एक सत्र में न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति जरूरी।
-मुख्य परीक्षाओं में क्रेडिट, विद्यार्थियों के ग्रेड कार्ड में अंकों और ग्रेड के साथ दर्शाया जाएगा।
-अर्जित क्रेडिट विद्यार्थी के अकादमिक बैंक आफ क्रेडिट में जमा किया जाएगा जो डिजिलाकर से जुड़ा होगा।
-प्रत्येक विषय सात क्रेडिट का होगा, एक सत्र में 210 घंटे आवंटित किए गए हैं।
-प्रत्येक अध्याय के लिए घंटे आवंटित हैं और इसे आगे सैद्धांतिक और व्यावहारिक घंटों में विभाजित किया गया है।
क्रेडिट की गणना
एक क्रेडिट प्रति सप्ताह एक घंटे के शिक्षण या दो घंटे के व्यावहारिक कार्य क्षेत्र कार्य के बराबर होगा। एक क्रेडिट का मतलब 15 घंटे के सिद्धांत (थ्योरी) या 30 घंटे की कार्यशाला या प्रयोगशाला कार्य के बराबर होगा।