सेहत के लिए रामबाण है ‘च्यवनप्राश’; कमजोरी, खांसी-जुकाम, इम्यूनिटी समेत कई बीमारियों के लिए कारगर..

अगर 'च्यवनप्राश' को आयुर्वेद की एक प्राचीन और ट्रस्टेड मेडिसिन कहा जाए, तो ऐसा कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा. भारत के घरों में हजारों सालों से 'च्यवनप्राश' का इस्तेमाल होता आ रहा है. इसे न केवल हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है, बल्कि यह तंदुरुस्ती का भी पर्याय रही है. इसके फायदे न सिर्फ फिजिकल, बल्कि मेंटल हेल्थ को भी बढ़ावा देते हैं. आइए जानते हैं 'च्यवनप्राश' से जुड़े फायदों के बारे में, जिसकी वजह से आज भी इसे सेहत के लिए रामबाण माना गया है.

Chyawanprash For Better Health: अगर ‘च्यवनप्राश’ को आयुर्वेद की एक प्राचीन और ट्रस्टेड मेडिसिन कहा जाए, तो ऐसा कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा. भारत के घरों में हजारों सालों से ‘च्यवनप्राश’ का इस्तेमाल होता आ रहा है. इसे न केवल हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है, बल्कि यह तंदुरुस्ती का भी पर्याय रही है. इसके फायदे न सिर्फ फिजिकल, बल्कि मेंटल हेल्थ को भी बढ़ावा देते हैं. आइए जानते हैं ‘च्यवनप्राश’ से जुड़े फायदों के बारे में, जिसकी वजह से आज भी इसे सेहत के लिए रामबाण माना गया है.

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन ने भी च्यवनप्राश के गुणों का लोहा माना है. कुछ रिसर्च और स्टडी के जरिए इसे लेकर 2019 में एक रिपोर्ट पब्लिश की गई, जिसमें ‘न्यूट्रास्युटिकल’ शब्द का इस्तेमाल किया गया. दरअसल, 1989 में स्टीफन डी फेलिस ने ‘न्यूट्रास्युटिकल’ शब्द गढ़ा था, जिसका अर्थ है “ऐसा भोजन या भोजन का हिस्सा जो बीमारी की रोकथाम और/या इलाज या स हेल्थ बेनेफिट देने का कान करता है.”

5000 सालों से भारतीय परंपरा का एक हिस्सा

आर्टिकल के मुताबिक, च्यवनप्राश पिछले 5000 सालों से भारतीय परंपरा का एक हिस्सा रहा है, जिसमें लगातार उत्साह और जीवंतता के साथ भोजन और न्यूट्रास्युटिकल दोनों शामिल हैं, और यह अपने यूनिक हेल्थ बेनिफिट्स के लिए जाना जाता है. च्यवनप्राश में विटामिन, प्रोटीन, आहार फाइबर, ऊर्जा सामग्री, कार्बोहाइड्रेट, कम वसा सामग्री (नो-ट्रांस और शून्य प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल) और प्रमुख और मामूली ट्रेस तत्वों के सराहनीय लेवल हैं.

एजलेस वंडर

ट्रेडिशनल आयुर्वेद डॉक्टर सीपी को “एजलेस वंडर” कहते हैं. सीपी का फार्मूला टाइम टेस्ट किया गया है और करंट वर्ल्ड हेल्थ कंसर्न को कम करने के लिए अभी भी असरदार है. सीपी के संदर्भ में, चरक संहिता कहती है: ‘यह मेजर केमिकल है, जो खांसी, अस्थमा और दूसरे सांस से जुड़ी बीमारियों को दूर करने के लिए फायदेमंद है. यह कमजोर और डैमेज टिश्यू को पोषण देता है, जोश, जीवन शक्ति को बढ़ावा देता है और एंटी एजिंग को रोकता है.’

फायदे

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, इस टॉनिक के रोजाना सेवन से बुद्धि, याददाश्त, इम्यूनिटी बूस्ट, बीमारी से मुक्ति, सहनशक्ति, यौन शक्ति और सहनशक्ति, बेहतर पाचन प्रक्रिया, त्वचा की रंगत और चमक में सुधार होता है. च्यवनप्राश तीन दोषों- वात, पित्त और कफ को बैलेंस करने में मदद करता है.

ऋषि च्यवन ने तैयार किया च्यवनप्राश

दरअसल, ‘च्यवनप्राश’ जड़ी-बूटियों, मसालों और आंवले (अमला) से भरपूर एक शक्तिशाली मिश्रण है, जिसे ऋषि च्यवन ने तैयार किया था. ऋषि च्यवन बहुत बड़े विद्वान थे; ऐसा कहा जाता है कि ऋषि च्यवन को अपनी युवावस्था और जीवन शक्ति को बनाए रखना था, इसलिए उन्होंने ऐसा मिश्रण तैयार किया, जिसके फायदे न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचाने में कारगर हों.

केमिकल की कैटेगरी में है च्यवनप्राश

आयुर्वेद में ‘च्यवनप्राश’ को केमिकल की कैटेगरी में रखा गया है, क्योंकि इसमें जिन औषधियों का इस्तेमाल किया गया है, उनका सेवन करने से शरीर अंदर से तो मजबूत होता है, साथ ही, दिन भर होने वाली थकावट में ‘च्यवनप्राश’ फायदेमंद माना गया है.

कमजोरी, जुकाम-खांसी, इम्यूनिटी में सुधार

इसके अलावा, कमजोरी, जुकाम-खांसी, इम्यूनिटी में सुधार, सांस से जुड़े रोग और एनर्जी लेवल बढ़ाने के लिए कारगर माना गया है. इसके अलावा, खांसी या अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए भी ‘च्यवनप्राश’ एक बेहतर ऑप्शन है. ‘च्यवनप्राश’ में मौजूद जड़ी-बूटियां फेफड़ों को मजबूत बनाती हैं, जो सीने में जमे कफ को तेजी से खत्म करने का काम करती हैं. साथ ही, इसके सेवन को शरीर में होने वाली थकान से छुटकारा पाने के लिए लाभकारी माना गया है. इसका सेवन करने से एनर्जी लेवल बरकरार रहता है और जल्दी थकान भी नहीं होती है.

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