निज्जर और पन्नू मामले में भारत में कनाडा के उच्चायुक्त रहे कैमरन मैके ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
कनाडा के सरकारी न्यूज़ चैनल सीबीसी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि कनाडा में निज्जर की हत्या और अमेरिका में पन्नू की हत्या की कोशिश एक ही साज़िश का हिस्सा था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, शुक्रवार को कनाडा के राजनयिकों ने भारत छोड़ दिया है. भारत ने उन्हें देश छोड़ने के लिए शनिवार की आधी रात तक का समय दिया था.
बीते अगस्त में भारत छोड़ने वाले कैमरन मैके ने कहा कि अमेरिकी अभियोग, कनाडा और अमेरिका में कई लोगों को मारने के लिए बनाई गई एक ही साज़िश में भारत की भूमिका की “दिलचस्प और विस्तृत” तस्वीर पेश करता है.
ऐसा पहली बार हुआ है जब एक कनाडाई राजनयिक ने सार्वजनिक रूप से इन दोनों घटनाओं को एक ही साज़िश का हिस्सा बताया है. कैमरन मैके को कनाडा की विदेश सेवा में सबसे वरिष्ठ राजनयिक माना जाता है.
पिछले साल जून में कनाडा में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हो गई थी जबकि अमेरिका में एक अन्य खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित तौर पर हत्या की कोशिश असफल हो गई थी.
भारत ने कनाडा के आरोपों को “बेतुका और राजनीति से प्रेरित” कहते हुए ख़ारिज कर दिया है लेकिन इस मामले में सूचना और कार्यवाही को लेकर किए गए अमेरिकी अनुरोधों के प्रति नरमी दिखाई है.
कनाडा के डिप्टी हाई कमिश्नर स्टीवार्ड व्हीलर के साथ पांच अन्य कनाडाई राजनयिकों को भारत ने देश छोड़ने का आदेश दिया था.
जबकि नई दिल्ली ने कनाडा में अपने हाई कमिश्नर के साथ पांच अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया है हालांकि कनाडा सरकार ने कहा है कि उन्हें देश छोड़ने के लिए कहा गया था.
सीबीसी के न्यूज़ सैटर्डे कार्यक्रम में कनाडाई राजनयिक कैमरन मैके ने कहा, “कल ही अमेरिका में लगाए गए अभियोग और आरोप और फिर 29 नवंबर 2023 को शुरू किए गए अभियोग, दिखाते हैं कि कई लोगों को मारने की कोशिश एक ही साज़िश का हिस्सा था.”
क्या बोले पूर्व कनाडाई उच्चायुक्त
उन्होंने कहा, “अगर दोनों अभियोगों को सबूतों के साथ रख कर देखा जाए, एक जो जारी किया गया है और दूसरा जो रॉयल कनेडियन माउंट पुलिस ने बयान दिया है, तो आपको एक स्पष्ट तस्वीर दिखेगी कि एक साल से क्या होता आ रहा है.”
बीते सोमवार को कनाडा की रॉयल माउंट पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि ‘भारतीय एजेंट संगठित अपराध समूह बिश्नोई ग्रुप की मदद से कनाडा में दक्षिण एशियाई मूल के लोगों, ख़ासकर खालिस्तान समर्थकों को निशाना बना रहे हैं.’
मैके ने इसे भारत की भारी रणनीतिक ग़लती क़रार देते हुए कहा, “ज़रा सोचिए कि भारत सरकार के कुछ एजेंट पूरे नॉर्थ अमेरिका में हिंसक अपराध करा सकते हैं और इससे बच निकलते हैं. यह एक भारी रणनीतिक ग़लती थी. मुझे लगता है कि कुछ ग़लतियां हुईं जिससे ये लोग पकड़े गए, मैं कनाडा और अमेरिका में जो कुछ हुआ दोनों ही मामलों की बात कर रहा हूं.”
मैके ने कहा कि “कुछ बहुत गंभीर हदों को पार किया गया है और ताज़ा अमेरिकी अभियोगों ने इंडिया ब्रांड की छवि को नुकसान पहुंचाया है.”
अमेरिकी अभियोग में विकास यादव और निखिल गुप्ता पर भाड़े पर हत्या की कोशिश का आरोप लगाया गया है.
अमेरिका ने जो आरोप दर्ज किए हैं उनके मुताबिक़, विकास यादव उर्फ़ अमानत भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय में कार्यरत थे जो भारतीय प्रधानमंत्री कार्यालय का एक हिस्सा है.
अमेरिका के मुताबिक़, यादव भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के लिए काम करते थे जो कैबिनेट सचिवालय का हिस्सा है. वो पन्नू की हत्या की कोशिश में प्रमुख साज़िशकर्ता हैं.
उन्हें एफ़बीआई की मोस्ट वांटेड लिस्ट में डाल दिया गया है.
बीते गुरुवार को भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने विकास यादव का नाम लिए बिना कहा था कि अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के अभियोग में जिस व्यक्ति का नाम है, वह अब भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले साल जब अमेरिकी न्याय विभाग ने विकास यादव को सह साज़िशकर्ता (सीसी-1) बताया उसके तीन हफ़्ते बाद ही बीते नवंबर में विकास यादव को दिल्ली पुलिस ने एक वसूली के मामले में गिरफ़्तार किया था.
चार महीने बाद विकास यादव को बेल मिली और इसी साल अप्रैल में वो तिहाड़ जेल से बाहर निकले थे.
बीते शुक्रवार को ही अमेरिकी न्याय विभाग ने पन्नू की हत्या की साज़िश में विकास यादव पर सुपारी देने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए थे.
कनाडा क्या चाहता है?
कैमरन मैके ने कहा, “मुझे लगता है कि इस समय कनाडा की सर्वोच्च प्राथमिकता है देश में सड़कों पर सार्वजनिक सुरक्षा पर ध्यान देना और कनाडा में जो कुछ होता रहा है उसकी जवाबदेही तय करना. भारत सरकार की प्रतिक्रिया को देखते हुए इसमें और समय लगेगा.”
उन्होंने बातचीत का रास्ता खुला रखने पर ज़ोर देते हुए कहा, “दोनों सरकारों को कोशिश करनी होगी इस कूटनीतिक विवाद से लोगों और व्यवसाय पर पड़ने वाले असर को कम से कम किया जाए. कनाडाई सरकार ऐसा ही सोचती है. और हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार भी सहयोग करेगी. निर्दोष लोगों को इसकी क़ीमत नहीं चुकानी देनी चाहिए.”
उन्होंने कहा कि अभी तक नई दिल्ली का रवैया ‘इनकार करने वाला’ और ‘कनाडा को भला बुरा’ करने वाला रहा है, “कनाडा के साथ कूटनीतिक रिश्ते सुधारना उसके एजेंडे में नहीं है और संबंध सामान्य होने में वक़्त लगेगा.”
सीबीसी के एंकर ने जब पूछा कि क्या अमेरिका और कनाडा को लेकर भारत की प्रतिक्रिया अलग अलग है, उन्होंने कहा, “इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है. घरेलू स्तर पर भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में कनाडा की निंदा की है, जबकि अमेरिका को लेकर भारत ऐसा नहीं कर सकता. अमेरिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम भूमिका निभाता है और भारत के साथ उसके रिश्ते अलग किस्म के हैं. जिस तरह कनाडा के साथ वो कर सकता है, अमेरिका के साथ नहीं कर पाएगा.”
भारत और कनाडा के बीच संबंधों के सामान्य होने को लेकर मैके ने कहा, “सबसे पहले हम जवाबदेही चाहते हैं, और इसके बाद ही संबंध सामान्य होंगे और भारत सरकार के साथ सहयोगात्मक रिश्ते बहाल होंगे.”
उन्होंने कहा, “दोनों सरकारों के बीच मौजूदा विवाद के चलते उन निर्दोष लोगों और व्यवसाय से जुड़े लोगों को परेशानी नहीं होने देनी चाहिए, जो यात्रा करना चाहते हैं. लेकिन दीर्घकाल में कनाडा, भारत के साथ बेहतर रिश्ते चाहता है. बहुत से क्षेत्र हैं जहां हम एक साथ बेहतर कर सकते हैं और करना चाहिए. लेकिन साफ़तौर पर कहें तो दिल्ली में कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने पिछले कुछ सालों में अपने फैसले लेने में कुछ गंभीर किस्म की बुनियादी ग़लतियां की हैं और संबंध सामान्य होने से पहले हम चाहते हैं कि उसके लिए जवाबदेही तय की जाए.”
उन्होंने संबंध सामान्य होने की ज़िम्मेदारी भारत पर डालते हुए कहा, “यह भारत पर निर्भर करता है, कि क्या वे कनाडा के साथ सहयोग करना चाहते हैं या नहीं. इसलिए गेंद उनके पाले में है.”