देश में संविधान लागू होने के 75 साल पूरे होने के मौके पर लोकसभा में शुक्रवार से दो दिन की संविधान पर चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर जमकर हमला किया, जिसके जवाब देने के लिए कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला प्रियंका ने लोकसभा सदन में अपने पहले ही भाषण के जरिए सिर्फ बीजेपी और मोदी सरकार पर सिर्फ हमलावर ही नजर नहीं आई बल्कि सियासी संदेश देती दिखीं उन्होंने उन्नाव से लेकर संभल और मणिपुर की घटना का जिक्र कर बीजेपी को घेरा तो जातिगत जनगणना की मांग को उठाकर सामाजिक समीकरण भी साधती नजर आईं
केरल की वायनाड लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतकर आईं सांसद प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को लोकसभा में अपना पहला भाषण दिया. प्रियंका गांधी ने कहा कि आजादी की लड़ाई से एक आवाज उभरी, वो साहस की आवाज थी, हमारी आजादी की आवाज थी उसी की गूंज ने हमारे संविधान को लिखा और बनाया ये सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है बाबा साहेब आंबेडकर, मौलाना आजाद और जवाहरलाल नेहरू और उस समय के तमाम नेताओं ने संविधान को बनाने में सालों जुटे रहे हमारा संविधान इंसाफ, अभिव्यक्ति और आकांक्षा की वो ज्योत है जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जलती है संविधान ने देश के हर व्यक्ति को शक्ति और उसे न्याय की अधिकार दिया इस संविधान ने हर किसी को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और बदल भी सकता है
संविधान के बहाने मोदी पर साधा निशाना
प्रियंका ने कहा कि पिछले दस सालों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया है संविधान में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय का वादा है, ये वादा सुरक्षा कवच है, जिसको तोड़ने का काम शुरू हो चुका है लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए सरकार कैसे आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है अगर लोकसभा चुनाव में ये नतीजे नहीं आए होते तो संविधान बदलने का काम भी शुरू कर देती इस चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी इस चुनाव में हारते-हारते जीतते हुए एहसास हुआ कि संविधान बदलने की बात इस देश में नहीं चलेगी
प्रियंका गांधी ने साफ संदेश देने की कोशिश की है कि अगर 2024 में बीजेपी की सीटें नहीं घटी होती तो मोदी सरकार संविधान बदलने का काम भी शुरू कर देती मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि यह संविधान संविधान इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इस चुनाव में इन्हें हारते-हारते जीतने से ये पता चला कि संविधान में बदलाव की बात नहीं चलेगी इसीलिए अब संविधान, संविधान कर रहे हैं प्रियंका ने बताया कि अगर नतीजे ऐसे नहीं होते तो मोदी सरकार और बीजेपी को संविधान की कभी याद नहीं आती
जातिगत जनगणना के बहाने प्रियंका का दांव
प्रियंका गांधी ने लोकसभा में जातिगत जनगणना की मांग उठाते हुए कहा कि आज जातीय जनगणना देश की जरूरत है इसीलिए बी जातिगत जनगणना जरूरी है कि किसकी कितनी भागेदारी है और क्या स्थिति है ताकि नीतियां उस हिसाब से बन सके जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जातिगत जनगणना के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया तो इनका जवाब देखिए, इनका जवाब भैंस चुरा लेंगे, मंगलसूत्र चुरा लेंगे ये गंभीरता है इनकी (मोदी सरकार) जातिगत जनगणना के मुद्दे पर
प्रियंका गांधी ने जातिगत जनगणना की मांग उठाकर एक तीर से कई शिकार करने की कवायद की है प्रियंका ने इस बहाने ओबीसी समुदाय को साधने की कवायद की है, क्योंकि पिछड़ा वर्ग लंबे समय से मांग कर रहा है मोदी सरकार जातिगत जनगणना से इंकार कर चुकी है इस तरह प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार को कठघरे में खड़े करने की कोशिश की और यह बताया कि बीजेपी जातीय जनगणना कराने पर कतायी गंभीर नहीं है प्रियंका ने साथ ही अपने सहयोगी दलों को भी साधकर रखने की कोशिश की है, क्योंकि सपा से लेकर आरजेडी, डीएमके और जेएमएम जैसे दलों की प्रमुख मांग जातिगत जनगणना की रही है
कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने कहा कि पहले संसद चलती थी तो जनता की उम्मीद होती थी कि सरकार महंगाई-बेरोजगारी पर चर्चा करेगी नई आर्थिक नीति बनेगी तो अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए बनेगी किसान और आदिवासी भाई बहन भरोसा करते थे यदि जमीन के कानून में संशोधन होगा तो उनकी भलाई के लिए होगा आप नारी शक्ति की बात करते हैं आज चुनाव की वजह से इतनी बात हो रही है, क्योंकि हमारे संविधान ने उनको ये हक दिया उनकी शक्ति को वोट परिवर्तित किया आज आपको पहचानना पड़ रहा है कि उनके बिना सरकार नहीं बन सकती, जो आप नारी शक्ति का अधिनियम लाए हैं, उसे लागू क्यों नहीं करते क्या आज की नारी 10 साल उसका इंतजार करेगी इस तरह प्रियंका गांधी ने आधी आबादी को साधने की कवायद की है
संभल, उन्नाव के बहाने प्रियंका ने चला दांव
प्रियंका गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत में उन्नाव, आगरा और संभल की घटना का जिक्र से किया इस दौरान प्रियंका ने कहा कि संभल और मणिपुर का नाम आते ही बीजेपी के माथे पर बल पड़ जाचते हैं प्रियंका ने कहा कि उन्नाव में मैं एक रेप पीड़िता के घर में गई, उसे जलाकर मार डाला था वो शायद 20-21 साल की थी जब वो अपनी लड़ाई लड़ने के लिए गई तो उसे जलाकर मार डाला गया ऐसे में मैं उस बच्ची के पिता से मिली,उसके खेत जलाए गए थे उसके भाइयों को पीटा गया था,उसके पिता को घर से बाहर पीटकर मारा गया था उस पिता ने बताया मुझे न्याय चाहिए साथ ही प्रियंका ने मणिपुर का मुद्दा उठाया
संभल में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए प्रियंका गांधी ने उन बच्चों का जिक्र किया जिनके पिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई उन्होंने कहा कि संभल के शोकाकुल परिवारों से कुछ लोग हमसे मिलने आए थे उनमें दो बच्चे थे,अदनान और उजैर एक मेरे बेटे की उम्र का था और दूसरा उससे छोटा, 17 साल का. उनके पिता एक दर्जी थे दर्जी का बस एक ही सपना था कि वह अपने बच्चों को पढ़ाएगा,एक बेटा डॉक्टर बनेगा और दूसरा सफल होगा वो हर रोज की तरह अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने गए थे और उन्हें नहीं पता था कि दंगा हो जाएगा वह अपनी दुकान पर पहुंचे इस दौरान पुलिस ने उनके पिता को गोली मार दी 17 साल के अदनान ने मुझे बताया कि वह बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा और अपने पिता के सपने को साकार करेगा ये सपना और उम्मीद उसके दिल में भारत के संविधान ने डाली थी
प्रियंका ने संभल और उन्नाव के बहाने यूपी के सियासी समीकरण को साधने की कवायद की है, जहां पर कांग्रेस लंबे समय से सियासी वनवास झेल रही है राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का फोकस यूपी में दोबारा से अपने खोए हुए सियासी जनाधार को वापस पाने की है 2024 में सपा के साथ गठंबधन कर छह सीटें जीतने में कामयाब रही है और अब उसकी नजर 2027 के चुनाव पर है ऐसे में प्रियंका गांधी ने अपने पहले भाषण में जिस तरह से उन्नाव और संभल की घटना का जिक्र करके सियासी संदेश देने की कवायद की है
प्रियंका ने अडानी के बहाने मोदी पर साधा निशाना
प्रियंका गांधी ने कहा कि सारी दौलत, सारे मौके, सारे बंदरगाह, एयरपोर्ट, सड़कें, रेलवे का काम, खदानें, कारखानें सिर्फ एक व्यक्ति को दी जा रही है जनता के मन में हमेशा ये विश्वास दिया जाता था कि कुछ नहीं है तो संविधान है हमारी सुरक्षा के लिए है, लेकिन आज आम लोगों के बीच धारणा बनती जा रही है कि सरकार सिर्फ अडानी के मुनाफे के लिए चल रही है देश में बहुत तेजी से गैरबराबरी बढ़ रही है, जो गरीब है और गरीब हो रहा है, जो अमीर है वो और अमीर हो रहा है इस तरह प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार को अडानी परस्त बताने की कोशिश की और यह संदेश दिया कि सरकार सिर्फ और सिर्फ अडानी के लिए काम कर रही है