बीसीओ के बिना अनुमोदन के ही भोरे पैक्स अध्यक्ष ने 390 मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटाया

गोपालगंज। पैक्सों के चुनाव समय पर कराने को लेकर विभागीय स्तर पर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। चुनाव में अपने पक्ष के मतदाताओं का नाम जोड़ने और हटाने का खेल भी शुरू हो गया है। दरअसल, सदस्यता विवाद पैक्स पर कब्जे की लड़ाई से भी जुड़ा है। सदस्य ही पैक्स चुनाव में भाग लेते हैं। इसलिए चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा अपने समर्थक को सदस्य बनाते हैं। क्योंकि, पैक्स के अध्यक्ष के पास सदस्य बनाने का अधिकार होता है। इसलिए वो अपने समर्थकों के सदस्यता आवेदन को प्राथमिकता देते हैं।

ऐसा ही मामला भोरे प्रखंड के भोेरे पैक्स में आया है। वर्ष 2024 में होने चुनाव में मतदाता सूची के प्रारूप बनाने के दौरान 390 लोगों का नाम मतदाता सूची से ही गायब कर दिया गया। स्थानांतारण होने के साथ ही चलते चलते तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी और पैक्स अध्यक्ष ने मिलीभगत कर बिना अनुमाेदन कराए समिति का प्रारूप मतदाता सूची कार्यालय में जमा कर दिया। इसका खुलासा वरीय सहकारिता पदाधिकारी भोरे भानू प्रताप सिंह ने अपने पत्र में किया है। इस गड़बड़झाला को लेकर मतदाताओं ने डीएम मो मकसूद आलम, जिला सहकारिता पदाधिकारी गेनधारी पासवान के साथ साथ बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार से शिकायत की है। जिला सहकारिता पदाधिकारी ने इसे गलत बताते हुए जांच की बात कही है।

वरीय सहकारिता पदाधिकारी भोरे ने जिला उप निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला सहकारिता पदाधिकारी को पत्रांक 204 दिनांक 9 जुलाई को लिखे गए पत्र में कहा कि भोरे पैक्स के प्रबंधसमिति की बैठक से संबंधित कोई सूचना मुझे नहीं दी गई। पैक्स अध्यक्ष द्वारा पूर्व में की गई बैठक की पंजी लाकर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया। जिसमें कुछ गलतियां पाई गई। जैसे 2019 के मतदाता सूची के आधार के आधार सूची में छेड़छाड़ की गई थी। कूल 390 सदस्यों पर शेयर शुल्क जमा नहीं रहने के कारण का आरोप लगाकर उनके नामों को हटा दिया गया था जबकि किसी भी मतदाता सदस्य का नाम विगत निर्वाचन सूची उसे उनका नाम हटाने के लिए सिर्फ तीन ही कारण वैध कारणों से है। पहला- यदि वह 18 वर्ष से कम हो, यदि वह दूसरे पंचायत का निवासी हो गया हो या पागल या दिवालिया हो गया हो। इससे भोरे पैक्स द्वारा 390 सदस्यों को मतदाता सूची से हटाया जाना विधि सम्मत प्रतीत नहीं होता है। मेरे द्वारा भोरे पैक्स के मतदाता सूची पर हस्ताक्षर नहीं किया गया। पैक्स अध्यक्ष द्वारा मेरे पर्यवेक्षण में बैठक नहीं कराया गया। इस लिए प्रस्ताव पर मेरा हस्ताक्षर नहीं है।

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