काला चावल में है औषधीय गुण, मधुमेह को नियंत्रित करने में मददगार…

पूर्णिया। जीविका के माध्यम से इजरायल में प्रशिक्षित किसान शशि कुमार ने बैंगनी धान की खेती शुरू की है। शशि कुमार बनमनखी प्रखंड के हेमनगर के रहने वाले हैं। प्रयोग के तौर पर उन्होंने पहली बार लगभग एक एकड़ में इसकी खेती की है।

इससे पूर्व उन्होंने सब्जी की नवीन तकनीक से खेती की थी। ऑरेंज सेरिवा नाम से जाने वाला यह धान बाजार में ढाई सौ रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है। इसका उपयोग दवा के रूप में भी होता है। खेती में नायाब प्रयोग के लिए शशि जिला से लेकर राज्य स्तर तक सम्मानित हो चुके हैं।

बदलाव के लिए जाने जाते हैं शशि
शशि कुमार अपने पंचायत में खेती में नये प्रयोग और बड़े बदलाव के लिए जाने जाते हैं। कृषि में नई तकनीक का इस्तेमाल करने की सफल कोशिश करते रहे हैं। उन्होंने काला चावल वाले बैंगनी धान की खेती शुरू की है। इसको निषिद्ध या बैंगनी चावल भी कहा जाता है।

काला चावल एक प्रकार का चावल है जो ओरिजा सैटिवा एल प्रजाति से संबंधित है। काले चावल को अपना विशिष्ट काला-बैंगनी रंग एंथोसायनीन नामक वर्णक से मिलता है, जिसमें शक्तिशाली एंटीआक्सिडेंट गुण होते हैं।

गुजरात से मंगाया गया है बीज
धान के बीज गुजरात से मंगाए गए हैं। बीज प्रति किलो चार सौ रुपया है। एक एकड़ खेत में अनुमानित उपज 15 कुंटल होने का अनुमान है। इसके लिए दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है।

बाजार में चावल की कीमत 200 से 250 रुपया तक है। शशि ने बताया कि एक एकड़ खेत में चार किलो बीज लगा है। शशि ने पंचायत के अन्य किसानों की इस तरह की खेती के लिए तैयार कर रहे हैं।

एंटीआक्सीडेंट गुण के कारण स्वास्थ्य के लिए बेहतर
इसके औषधीय गुण के संबंध में डॉ. पी मिश्रा ने बताया कि काला चावल को खाने से शरीर को अंदर से मजबूती मिलती है और इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। इसमें एंटीआक्सीडेंट गुण पाया जाता है। आंखों के लिए भी लाभदायक है। फाइबर से भरपूर होता है। वजन कम करने में मददगार है। सबसे खास बात यह शूगर लेवल नियंत्रित करने में कारगर है।

इजराइल में 12 दिनों का प्रशिक्षण
शशि ने हैदराबाद में सफल प्रशिक्षण पूरा कर कृषि उद्यमी के रूप में अपनी यात्रा शुरू की है। कृषि के लिए वैज्ञानिक तकनीक लागू कर शशि ने अपने क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। आधुनिक उन्नत खेती में अपनी सफलता और उपलब्धि से उन्होंने अपने क्षेत्र के बहुत से किसानों को प्रेरित किया है।

जीविका और सिंजेंटा फाउंडेशन के माध्यम से शशि उन्नत वैज्ञानिक प्रशिक्षण के लिए इजराइल गए। वहां 12 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। तकनीक की मदद से टमाटर, बैंगन, खीरा, शिमला मिर्च, तरबूज आदि जैसे उन्नत बीजों का उपयोग करके फसल उगाते है।

वह उस तकनीक को लागू कर रहे हैं, जो उन्होंने इजरायल में देखी थी। उन्होंने अपने क्षेत्र में एकीकृत कीट प्रबंधन और एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन का भी इस्तेमाल किया है।

नई तकनीक के इस्तेमाल के कारण हो चुके हैं सम्मानित
उनकी इस उपलब्धि के कारण उन्हें बिहार सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। राजेंद्र जोग (कार्यकारी निदेशक, सिंजेंटा फाउंडेशन इंडिया), राहुल कुमार ( जीविका के सीईओ) के द्वारा भी सम्मानित किया गया है।

वह अपने सर्विस सेंटर के माध्यम से अपने किसान को गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक की आपूर्ति करते हैं। अपने क्षेत्र में सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौध भी उपलब्ध करते है ।

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