बरेली | आंवला लोकसभा सीट से भाजपा और सपा दोनों ने ही पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। यानी दोनों दल एक ही नाव पर सवार हैं। विरोधी के वोट बैंक में सेंध लगाने में जो प्रत्याशी जितना कामयाब होगा, उसकी जीत उतनी ही पक्की हो जाएगी। अब बसपा के पत्ते खुलने का इंतजार हो रहा है। माना जा रहा है कि बसपा इस सीट पर किसी सवर्ण प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है। हाल में ही टिकट के लिए एक पूर्व विधायक ने बसपा के शीर्ष नेता से मुलाकात भी की है।
आंवला लोकसभा क्षेत्र में बरेली के आंवला, बिथरी चैनपुर व फरीदपुर तो बदायूं के दातागंज व शेखूपुर विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इस सीट पर सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या भी मुसलमानों के बराबर ही है। इसके बाद क्षत्रिय, कश्यप और मौर्य मतदाता हैं। यादव वोटों की संख्या भी दो लाख के आसपास है। डेढ़ लाख के करीब ब्राह्मण वोट तो एक लाख वैश्य और डेढ़ लाख के ऊपर अन्य वोट हैं। ऐसे में कांटे की टक्कर सपा-भाजपा प्रत्याशी के बीच ही रहेगी।
सपा के पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फार्मूले को तोड़ने के लिए संघ लंबे समय से सक्रिय है। अयोध्या में रामलला के अचल विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही अक्षत वितरण ने भी पिछड़ा व दलित मतदाताओं में सेंधमारी की है।
पहली सूची में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा का नाम नहीं, बदायूं से कौन होगा प्रत्याशी?
इधर सपा से नीरज मौर्य को टिकट दिए जाने के समय हुए विरोध ने भी सेंधमारी में मदद की। मुफ्त राशन योजना के जरिये भाजपा पहले ही बसपा के वोट बैंक में सेंध लगा चुकी है। ऐसे में यह तय है कि जो भी दल पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक में सेंधमारी करने में सफल होगा, जीत का सेहरा भी उसके माथे सजेगा।
बरेली, पीलीभीत, बदायूं में हो सकते हैं चौंकाने वाले प्रत्याशी
भाजपा ने बरेली, पीलीभीत और बदायूं सीट पर पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि इन तीनों सीटों पर चौंकाने वाले नाम आ सकते हैं। भाजपा के प्रदेश पदाधिकारी ने बताया कि बदायूं में चौंकाने वाला नाम इसलिए आ सकता है, क्योंकि पार्टी सपा के शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ किसी मजबूत और बड़े चेहरे को ला सकती है।
बरेली और पीलीभीत में योगी सरकार के दो मंत्रियों को चुनाव लड़ाया जा सकता है। इसमें एक कैबिनेट मंत्री तो एक राज्यमंत्री के नाम की चर्चा है। पीलीभीत से चुनाव लड़ने के बाबत मंत्री से बात की गई तो उन्होंने हामी भर दी है। बरेली सीट से योगी सरकार के जिस मंत्री के नाम की चर्चा है, हो सकता है अगले दो-तीन दिनों में वह भी हामी भर दें। यदि ऐसा हुआ तो इन तीनों सीटों पर भाजपा की ओर से नए और चौंकाने वाले प्रत्याशी होंगे।
आंवला सीट का इतिहास
वर्ष 1967 और 1971 में कांग्रेस की सावित्री श्याम यहां से चुनी गई थीं। उन्होंने दोनों बार जनसंघ के बृजराज सिंह उर्फ आछू बाबू को हराया था। 1977 में आछू बाबू ने जीत हासिल की थी। 1980 में जनता पार्टी के जयपाल सिंह कश्यप कांग्रेस की संतोष कुमारी पाठक को हराकर सांसद बने। 1984 में कांग्रेस के कल्याण सिंह सोलंकी ने जयपाल सिंह कश्यप को हराया।
1989 में राजवीर सिंह ने निर्दलीय जयपाल सिंह कश्यप को हराया तो 1991 में राजवीर ने कांग्रेस की रमा कश्यप को हराया। 1996 में सपा के सर्वराज जीते। 1998 में राजवीर ने सपा के सर्वराज को फिर हरा दिया। 1999 व 2004 में सर्वराज चुने गए। 2009 में भाजपा से मेनका गांधी चुनी गई थीं। 2014 और 2019 में भाजपा के धर्मेंद्र कश्यप चुनाव जीते।
वर्ष 2009 के लोस चुनाव परिणाम
प्रत्याशी – वोट
मेनका गांधी (भाजपा) – 2,16,503
धर्मेंद्र कश्यप (सपा) – 2,08,822
सर्वराज सिंह (बसपा) – 1,74,353
महबूब खां (महान दल)- 56,233
वर्ष 2014 के लोस चुनाव परिणाम
प्रत्याशी – वोट
धर्मेंद्र कश्यप (भाजपा) – 4,09,907
सर्वराज सिंह (सपा) – 2,71,478
सुनीता शाक्य (बसपा) – 1,90,200
सलीम शेरवानी (कांग्रेस)- 93,861
वर्ष 2019 के लोस चुनाव परिणाम
प्रत्याशी – वोट
धर्मेंद्र कश्यप (भाजपा) 5,37,675
रूचिवीरा (सपा) – 4,23,932
कुंवर सर्वराज सिंह (कांग्रेस) – 62,548