भाजपा बसपा के प्रत्याशी घोषित होने के वाद होगा चुनाव रोचक

बदायूं । लोकसभा क्षेत्र में सपा ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है। वह अपने चुनाव अभियान का आगाज कर चुके हैं। अन्य किसी भी दल ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया। भाजपा व बसपा में मंथन चल रहा है। बसपा की बागियों पर भी नजर है। चुनाव में उम्मीदवारों के तय होने के साथ ही नए समीकरण सामने आने के आसार दिख रहे हैं।
उम्मीदवार चयन के साथ ही स्थिति स्पष्ट होती है लेकिन इस बार नए समीकरण बनने तय हैं। भाजपा नेतृत्व सांसद संघमित्रा मौर्य और दूसरे दावेदारों में उम्मीदवार तय करने के लिए मंथन कर रही है। बसपा दूसरे दलों के बागियों पर विचार कर रही है। सपा को अलविदा कर चुके जिले की सियासत के दो दिग्गजों से संपर्क बना हुआ है।
टिकट न मिलने पर भाजपा से रूठने दावेदारों पर भी बसपा की निगाह है। दूसरे दल के किसी दिग्गज पर बसपा दांव खेल सकती है। जातिगत और सियासी समीकरण का आकलन करने के बाद ही बसपा पत्ते खोलेगी।
सूत्रों का कहना है कि जब भाजपा का उम्मीदवार सामने आएगा तो बसपा के लिए जातिगत समीकरण के आधार पर अपना मजबूत उम्मीदवार उतरना आसान होगा। इसीलिए तब तक उम्मीदवार घोषित न करने की रणनीति बनाई गई है जब तक भाजपा उम्मीदवार घोषित नहीं हो जाता है। इसी रणनीति पर दावेदारों की मजबूती का आकलन भी किया जा रहा है।
भाजपा का सवर्ण और अन्य पिछड़ा वर्ग पर फोकस
चुनाव घोषित होने से छह महीने पहले ही भाजपा चुनावी मुहिम छेड़ चुकी है। अलग अलग वर्गों से संवाद और मोदी की गारंटी के बहाने लोगों के बीच पार्टी पदाधिकारी पुहंचे हैं। अबकी बार चार सौ पार का नारा देकर मोदी के नाम पर वोट भाजपाई मांग रहे हैं। उम्मीदवार घोषित होते ही पदाधिकारी उम्मीदवार को साथ लेकर जनसंपर्क करेंगे। सवर्ण और अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों पर फिर से जीत का हासिल करने की तैयारी है।
यादव और मुस्लिम मतदाता के सहारे सपा
यादव और मुसलमान मतदाता के सहारे सपा ने जीत की उम्मीद लगाई है। अब तक छह बार सपा का कब्जा बदायूं लोकसभा सीट पर रहा है। इसी फार्मूले पर पहले सलीम शेरवानी और उनके बाद धर्मेंद्र यादव जीते थे। इस बार धर्मेंद्र यादव के के चाचा शिवपाल सिंह यादव चुनाव मैदान में उतरे हैं। पार्टी उनके साथ एकजुट नजर आ रही है। कांग्रेस का मतदाता भी उनके परंपरागत मतों में अबकी बार जुड़ेगा।

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