भाजपा ने आजमगढ़ और लालगंज लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की…

आजमगढ़। जनपद में लोकसभा चुनाव के लिए जिले की दो लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नामों को लेकर लगाए जा रहे कयासों पर शनिवार की शाम को विराम लग गया। पार्टी ने आजमगढ़ और लालगंज लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। पार्टी ने आजमगढ़ से वर्तमान सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ को प्रत्याशी बनाया है तो लालगंज से नीलम सोनकर पर एक बार फिर से दांव लगाया है।

आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा ने सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ को प्रत्याशी घोषित कर अपने पत्ते खोल दिए हैं। भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव ने 2019 में भाजपा के साथ अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी। भाजपा के टिकट पर उन्होंने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा। सपा बसपा गठबंधन होने के कारण उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन 2022 में अखिलेश के लोकसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद हुए उपचुनाव में निरहुआ ने सपा के धर्मेंद्र यादव को हराकर जीत हासिल की।

जीत हासिल करने के बाद वह जिले में फिल्म की शूटिंग करने के साथ ही लोगों के बीच कार्यक्रमों में भी शामिल होते रहे। उनकी सबसे बड़ी बात यह रही कि जहां सांसद बनने के जहां लोग सुरक्षा व्यवस्था के बीच रहते और आम जनमानस से दूर होते हैं। वहीं सांसद निरहुआ लोगों के बीच बने रहे और कोई भी आम व्यक्ति उनसे आसानी से मिल सकता था। जिससे उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। जिसे देखते हुए पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा है। साथ ही पिछले लोकसभा उपचुनाव में निरहुआ ने सपा के परंपरागत वोटों में भी सेंधमारी की थी। जिसे देखते हुए भी पार्टी ने यादव बाहुल्य सीट पर निरहुआ को प्रत्याशी बनाया है।

2014 में नीलम ने जीत दर्ज की थी
लालगंज सुरक्षित सीट से 2014 में सांसद रही नीलम सोनकर को सपा बसपा गठबंधन के कारण 2019 के चुनाव में बसपा की संगीता आजाद से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भी क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय रहीं। पार्टी ने उन्हें प्रदेश टीम में शामिल किया, लेकिन जब भी वह जिले में रहती यहां आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शरीक होती रही। वहीं अगर लालगंज का जातीय समीकरण देखें तो सोनकर मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है। 2019 के चुनाव में नीलम सोनकर को 2014 के लोकसभा चुनाव से अधिक वोट भी मिले थे लेकिन सपा-बसपा गठबंधन के कारण उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। जिसे देखते हुए पार्टी ने एक बार फिर से उन पर भरोसा जताया है।

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