विवेक के बकाया भुगतान व वेतन रोकने की वजह कही 8 से 10 प्रतिशत कमीशन तो नही
सीतापुर। अभी कुछ दिन पूर्व ग्राम पंचायत सचिव विवेक कुमार की लम्बी बीमारी के चलते मृत्यु हो गयी, जिसकी वजह आर्थिक समस्या बताई जाती है। विवेक 2017 बैच के सचिव थे किन्ही कारणों से सचिव विवेक को विकास खण्ड ऐलिया से निलंबित कर दिया गया , 3 वर्ष के करीब सचिव विवेक कुमार निलंबित रहे, सचिव विवेक कुमार 3 वर्षो अधिक समय के बाद बहाल कर जिला मुख्यालय पर अटैच किया गया ,उसके बाद जनपद के विकास खण्ड रामपुर मथुरा पोस्ट किया गया , विवेक काफी समय से बीमार चल रहे थे ।
साथ ही सचिव विवेक कुमार का 3 वर्ष से अधिक समय का निलंबन अवधि का बकाया वेतन भुगतान न मिल पाने के कारण आर्थिक रूप से भी परेशान थे , विवेक का लिवर ट्रांसप्लांट होना था जिसमे करीब 13 लाख रुपए से अधिक की आवश्यकता थी। साथ ही विवेक का 14 लाख से अधिक रुपये का भुगतान जिला मुख्यालय पर जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते फसा था ,जिस धनराशि को निकलवाकर विवेक कुमार अपना अच्छा व बेहतर इलाज कराना चाहते थे जिससे वह स्वस्थ्य होकर आने माता पिता की सेवा करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सके । लेकिन विधि का विधान शायद ही कुछ और था, उच्चाधिकारियों ने अपनी मनमानी के चलते निजी लाभ के कारण भुगतान नही किया, सचिव विवेक कुमार अंतिम सांस तक जिम्मेदार उच्चाधिकारियों से भुगतान की मांग करते रहे जिससे वह बेहतर इलाज करा सके , भग्य कह सकते है या फिर परेशान को सभी परेशान करना चाहते है यह भी कह सकते है ।
इसी बीच खण्ड़ विकास अधिकारी रामपुर मथुरा संदीप कुमार यादव द्वारा सचिव विवेक कुमार को इलाज कराने का कह कर भेजा गया और ब्लाक में न आने के कारण वेतन भुगतान भी रोक दिया गया अब सवाल यह उठता है जब बकाया भुगतान मिल नही रहा है और खण्ड़ विकास अधिकारी ने मनमानी करके वेतन भी रोक दिया तो अच्छा इलाज कैसे होगा जब सचिव की माली हालत ठीक नही थी ,जोकि पंचायत राज विभाग की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है , जिससे जहाँ विवेक की जीने की आस टूट गयी वही परिवार के माता पिता भी आर्थिक संकट के चलते अपना इकलौता लाल बिना धन अभाव के कारण अस्तपाल से घर ले आये और विवेक ने 5 सितंबर को भुगतना न होने पाने के कारण विभाग की लापरवाही के चलते दम तोड़ दिया, सचिव विवेक के मौत के बाद जहाँ एक तरफ लापरवाह अधिकारी आकारण भुगतान न देने को लेकर एक दूसरे के पाले में गंदे फेक रहे है ,और तरह तरह के बहाने बना रहे है।
वही दूसरी तरफ सचिव का बकाया भुगतान न होने से मौत को लेकर समस्त सचिवो में उच्चाधिकारियों व समन्यव समिति को लेकर आक्रोश सोशल मीडिया पर देखा जा रहा है । जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक सभी सचिव विवेक कुमार अभिषेक साहू व सर्वेश कुमार की मौत की चर्चाएं व उच्चाधिकारियों के साथ साथ संगठन के जिम्मेदार पदाधिकारियों को कोश रहे है सभी सचिवों को अपने अपने परिवारों का पालन पोषण करना है ,इसलिए उच्चाधिकारियों से मांग रखने में संकोच कर रहे है। लेकिन चर्चाओं में सभी की यही मंशा स्पस्ट हो रही है, असमय हो रही सचिवो की मौत को रोकने के लिए लापरवाह जिम्मेदार पटल पर कार्यवाही तो होना ही चाहिए । सूत्रों से हो रही चर्चाओं की माने तो सचिव विवेक कुमार व अन्य जिन सचिवों का 6 माह से अधिक की धनराशि का बकाया भुगतान है जिम्मेदार भुगतान का 10 प्रतिशत की मांग करते । जिस वजह से सचिव विवेक कुमार का भुगतान नही हो पा रहा था जाहिर भी है जो सचिव लम्बी बीमारी से ग्रसित है और धन कि अति आवश्यकता है और आमदनी के जरिये बन्द हो जाए ,वह एडवांस में 10 प्रतिशत कैसे देगा समाचार पत्र धन मांगने की पुष्टि नही करता क्योंकि बिल लिपक अवनीश चौधरी द्वारा इस बात से नकारा गया है । लेकिन सोशल मीडिया पर घूम रहे पत्र जोकि सिस्टम से परेशान होकर किसी जिम्मेदार सचिव द्वारा सचिव विवेक कुमार की मृत्यु के बाद लिखा गया। उसे नजरअंदाज भी नही किया जा सकता है, जिसमे खण्ड़ विकास अधिकारी रामपुर मथुरा पर साफ -साफ आरोप लगाए जा रहे है ,कि क्लस्टर से लेकर भुगतान तक बीडीओ द्वारा 8 से 10 प्रतिशत की मांग की जा रही है, साथ ही पत्र में यह भी स्पस्ट लिखा है ,कि जिसकी सूचना जनपद के उच्चाधिकारियों को भी दी गयी है ,
लेकिन विभागाध्यक्ष द्वारा कार्यवाही शून्य की गई। जोकि विवेक कुमार के भुगतान न किये जाने का भी एक कारण हो सकती है क्योंकि सचिव विवेक कुमार भी रामपुर मथुरा में कार्यरत्त थे खण्ड़ विकास अधिकारी के अनुसार जिले पर अटैच थे ।अब सवाल यह उठता है जब सचिव के सभी आमदनी के जरिये बन्द है तो कैसे अपने ही वेतन के भुगतान पर 8 से 10 प्रतिशत कमीशन दे सकता जोकि सिस्टम पर बड़ा सवाल है, क्योंकि सभी एक दूसरे के अधीनस्थ सहयोगी कर्मचारी है, और भविष्य को किसी ने नही देखा है कब किसे आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । एक अधिकारी आपना पूरा समय देकर जनकल्याण कारी योजनाओं में सहयोग दे रहा, लेकिन विभाग ही निजी लाभ के चलते साथ न दे रहा हो ,तो किसी अन्य से क्या उम्मीद की जा सकती है । जो बड़ा सवाल है
क्या बोले खण्ड़ विकास अधिकारी रामपुर मथुरा जब सोशल मीडिया पर घूम रहे पत्र के सम्बंध में खण्ड़ विकास अधिकारी रामपुर मथुरा संदीप कुमार यादव से जानकारी ली गयी तो कहा किस सचिव ने लिखा है नाम बताए नाम न बताने पर बोले हमे पत्र की जानकारी नही है ऐसा कुछ नही है ।
हमारे पास दो पटल है अभी कुछ समय पहले पीलीभीत से आये है ज्यादा जानकारी नही है
वरिष्ठ लिपिक दुर्गाचरण
मृतक सचिव के माता पिता जा सकते है सीएम दरबार
प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक सचिव विवेक कुमार के माता पिता इंद्रानगर लखनऊ के मूल निवासी है। जनपद मे जिला पंचायत विभाग की लापरवाही को अपने इकलौते पुत्र की मृत्यु का कारण मानते है, जिस सम्बध में लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ मृतक सचिव विवेक कुमार के माता पिता मुख्यमंत्री दरबार मे जाकर न्याय की मांग कर सकते है ।
डिटीजल भारत की दौड़ से बाहर पंचायतीराज विभाग
सीतापुर । जहाँ एक तरफ देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने देश को डिटीजल भारत के तहत पूरे विश्व मे आर्थिक जगत में मिशाल कायम की है ,वही दूसरी तरफ जिला पंचायत राज अधिकारी कर्यालय सीतापुर में बिल लिपिक के पद पर कार्यरत अवनीश कुमार चौधरी के अनुसार बजट न होने के कारण मृतक सचिव विवेक कुमार का भुगतान नही हो सका, जोकि सोचनीय है आज के समय मे पीएम से लेकर सीएम के द्वारा जो भी आदेश निर्देश दिए जाते है ,वह ऑनलाइन भुगतान से लेकर सभी आदेश जरिये ई मेल से किये जाते, कोई भी नई योजनाए लागू होते ही पुरानी योजनाओं को रोक दिया जाता और कार्य पूर्ण कराये जाते है, हर माह निर्धारित तिथि पर जिम्मेदारो का वेतन व अन्य भुगतान होते है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है जब एक सचिव विवेक कुमार को पैसे की अति आवश्यकता थी तो विभाग बजट नही है कह कर बहाना बना देता है और मृत्यु होते ही बजट आ जाता है, कार्यवाही चल रही है का अश्वशन दे दिया जाता है जोकि सिस्टम पर बड़ा सवाल है कही यह जिम्मेदार अधिकारियों का निजी लाभ तो नही था।या फिर श्री मोदी जी के डिटीजल भारत की दौड़ में पंचायती राज विभाग अभी दौड़ से बाहर है ।