बरेली: बारिश में नहीं खराब होंगी सड़कें….

बरेली:-  बारिश के दिनों में खराब होनी वाली सड़कों में जिले में पहली बार बेंगलुरु और भोपाल की तर्ज पर व्हाइट टॉपिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक के जरिए पुरानी डामर की सड़क पर सीमेंट कंक्रीट की नई परत चढ़ाई जाएगी। अफसरों का दावा है यह पुरानी सड़क के मुकाबले ज्यादा मजबूत होगी और करीब 20 साल तक सड़क खराब नहीं होंगी। इससे हर साल मरम्मत का खर्चा भी बचेगा।

लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मुख्य अभियंता संजय कुमार तिवारी ने बताया कि शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें पानी की वजह से खराब होती हैं। इससे सड़कों पर गड्ढे हो जाते हैं। ऐसी सड़कों पर व्हाइट टॉपिंग का उपयोग करने से कितना भी जलभराव हो जाए सड़क खराब नहीं होगी। बेंगलुरु में व्हाइट टॉपिंग वाली सड़कों को देखने के बाद वहां की तकनीक को समझा। इसके बाद पहले चरण में शहर में जलभराव वाले सिटी स्टेशन और पीलीभीत रोड पर कुछ जगहों पर व्हाइट टॉपिंग कराई जाएगी। इसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों को जानी वाली प्रमुख सड़कों पर ध्यान दिया जाएगा। जल्द काम शुरू किए जाने को लेकर तैयारियां चल रही हैं।

डामर रोड की तुलना में अधिक होगी लागत
व्हाइट टॉपिंग तकनीक से बनने वाली सड़कें सामान्य डामर रोड की तुलना में करीब ढाई गुना अधिक लागत से बनती हैं। डामर के बेस पर केमिकल के साथ छह इंच की कंक्रीट बिछाई जाती है। अगर किसी डामर रोड को व्हाइट टॉप किया जाना है तो डामर की स्क्रैपिंग नहीं करनी पड़ती। अधिकारियों के मुताबिक सात मीटर चौड़ी एक किलोमीटर टू-लेन डामर रोड पर 30 लाख रुपये खर्च आता है। व्हाइट टॉपिंग तकनीक से बनाने पर करीब 70 लाख प्रति एक किमी का खर्चा आएगा। जबकि नई सीमेंट कंक्रीट की सड़क बनाने पर लागत बढ़कर एक से सवा करोड़ रुपये प्रति किमी तक हो जाती है।

Related Articles

Back to top button