उत्तर प्रदेश में अपने खिसकते जनाधार के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम से उतारने का ऐलान कर दिया है. मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की और तय किया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही पार्टी हर विधानसभा में अपना उम्मीदवार उतारेगी. पार्टी डोर टू डोर कैंपेन करेगी. इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा दलितों और पिछड़ों को जोड़ेगी. दिल्ली में किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं किया जाएगा. चुनाव में पार्टी की पूरी जिम्मेदारी मायावती के भतीजे और बीएसपी नेता आकाश आनंद संभालेंगे.
बसपा दिल्ली में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत आने वाली 5 जनवरी से करने जा रही है. इसका आगाज कोंडली में एक बड़ी रैली से होगा. इस रैली को आकाश आनंद संबोधित करेंगे. इसके लिए पार्टी के तमाम बड़े नेता और कार्यकर्ता अभी से रैली को सफल बनाने में जुट गए हैं.
2008 के बाद नहीं खुला खाता
दिल्ली में हुए पिछले तीन विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो बीएसपी पिछले तीन चुनावों में एक भी सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाई है. विधानसभा चुनाव-2008 में बीएसपी 14 फीसदी वोटों के साथ दो सीटें जीतने में सफल रही थी. उसके बाद से लेकर अब तक पार्टी दिल्ली में खाता नहीं खोल पाई है.
उत्तर प्रदेश में लगातार खराब प्रदर्शन के बीच मायावती को अब यूपी की सीमा से लगी दिल्ली से उम्मीदें बढ़ी हैं. लिहाजा दिल्ली में पार्टी न सिर्फ पूरा जोर लगाएगी बल्कि कुछ सीटें जीत जाए, इस पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है. चुनाव से पहले बीएसपी अपने पूरे कैडर को जमीन पर मेहनत करने के लिए दिशा निर्देश जारी कर चुकी है.
बीएसपी की खास रणनीति
बीएसपी की कोशिश है कि दिल्ली में सुरक्षित सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाएं और दिल्ली में अगली सरकार जिसकी भी बने, उसमें वो किंगमेकर की भूमिका में रहे. बता दें कि दिल्ली में दलितों की आबादी करीब 17 प्रतिशत है. इनके लिए 12 सीटें रिजर्व हैं. इन सीटों के अलावा बीएसपी सामान्य सीटों पर भी उम्मीदवार उतारेगी. एक विशेष रणनीति के साथ इस बार के चुनाव में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की पूरी तैयारी में है.