बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण रिबोर के धन की हो गई बंदरबांट

सूरतगंज बाराबंकी। इन दिनों ग्राम पंचायतों में खाओ और खिलाओ की फितरत इस कदर जोर पकड़ चुकी है कि पूरे का पूरा बजट इसी में निपटा दिया जा रहा है। ग्राम प्रधान,सचिव की मिलीभगत से सरकारी पैसे हड़पने का कोई मौका छोड़ने को तैयार नहीं है। उधर अफसरों को तभी होश आता है जब शिकायत प्रमाणों के साथ उनकी टेबल पर पहुंच जाती है। ग्राम पंचायतों में सरकारी योजनाएं किस कदर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं इसका अंदाजा भी इसी बात से लगाया जा सकता है कि विकास खंड सूरतगंज क्षेत्र की ग्राम पंचायत करसाकला में आधा दर्जन से अधिक हैंडपंप मरम्मत व रिबोर के योग्य पड़े हुए हैं। जबकि प्रधान व सचिव के गठजोड़ से अपनी चहेती फर्मों में लाखों की रकम का भुगतान तो हुआ परंतु जमीन पर इंडिया मार्का हैंडपंपों की दशा जस की तस बनी हुई है। भीषण गर्मी में हलक सींचने को पेयजल के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं। उधर ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी मरम्मत और रिबोर के नाम पर सरकारी रकम की बंदरबांट में मगन हैं। सूत्रों की माने तो रिबोर में आने वाले खर्च से दोगुना रकम का भुगतान चहेती फर्मों को कर दिया जाता है। इसके बाद भी आधा दर्जन से अधिक हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं। मिस्त्री व सामग्री विक्रेता बताते हैं कि ज्यादातर हैंडपंप में ग्लास, वाॅशर, सरिया व चैन ही खराब होते हैं। यह सारी सामग्री मार्केट में करीब 7200 रुपये में मिल जाती है। अधिकतर हैंडपंपों में एक साथ सारी चीजें खराब भी नहीं होती हैं।
इसमें अगर लेबर और मिस्त्री का मेहनताना भी जोड़ दिया जाए तो भी एक हैंडपंप पर 8500 से नौ हजार रुपये तक ही खर्च होते हैं। जबकि मरम्मत के नाम पर भुगतान की जा रही धनराशि इससे कहीं अधिक है। नियम के मुताबिक रिबोर के दौरान निकाली गई खराब सामग्रियों को जल निगम के जेई के पास जमा करानी होती है लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है। दरअसल कुछ सामग्री ही बदलकर अन्य सभी चीजेे पुरानी इस्तेमाल कर ली जाती हैं।

क्या बोले बाराबंकी सीडीओ ?

इस संदर्भ में मुख्य विकास अधिकारी अ. सुदन ने बताया कि सरकार का जोर ग्राम पंचायतों में चहुंमुखी विकास कराने का है। इसलिए ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होगा। भ्रष्टाचार में जो भी संलिप्त पाया जाएगा उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। और लगातार कार्रवाई हो भी रही है।

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