यूपीएससी अभ्यर्थियों की मौत मामले में एसयूवी के ड्राइवर मनुज कथूरिया को मिली जमानत

नई दिल्ली। दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में तीन यूपीएससी अभ्यर्थियों की मौत मामले में एसयूवी के ड्राइवर मनुज कथूरिया को तीस हजारी कोर्ट ने गुरुवार को जमानत दे दी। उन्हें दिल्ली पुलिस ने एक वीडियो सामने आने के बाद गिरफ्तार किया था। वीडियो में दिख रहा था कि एसयूवी चालक तेज गति से वाहन चला रहा है, जिससे पानी अचानक कोचिंग के गेट को तोड़ दिया, जिस कारण बेसमेंट में पानी भर गया।

30 जुलाई को अदालत ने फैसला रखा था सुरक्षित
इससे पहले 30 जुलाई को तीस हजारी कोर्ट ने ओल्ड राजेंद्र नगर में राव कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से हुई तीन छात्रों की मौत के मामले में थार एसयूवी चालक की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा लिया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार की कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई थी।

छात्रों की मौत का कारण बनने का इरादा नहीं: अधिवक्ता
कथूरिया के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि दिल्ली पुलिस उन लोगों को गिरफ्तार करने में लगी है, जिनका इस हादसे से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने दलील दी कि आखिर इस घटना के लिए उनके मुवक्किल को कैसे दोषी ठहराया जा सकता है। उन्होंने दलील दी कि उनके मुवक्किल को यह नहीं पता था कि उनकी ड्राइविंग से कुछ ऐसा होनेवाला है। उसका छात्रों की मौत का कारण बनने का कोई इरादा नहीं था।

दिल्ली पुलिस ने किया था विरोध
वहीं, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अतुल श्रीवास्तव ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि कथूरिया प्रशासनिक स्तर पर हुई लापरवाही का दोषी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने घटना को और गंभीर बना दिया। अदालत में कथूरिया के सोशल मीडिया अकाउंट से लिए गए कुछ वीडियो चलाए, जिनमें वह उसी एसयूवी को चलाते हुए दिखाई दे रहे थे। एपीपी ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया था कि आरोपी मस्तीखोर प्रवृत्ति का है और मौज-मस्ती में उसने यह घटना कर दी।

कथूरिया पर क्या हैं आरोप
कथूरिया पर आरोप है कि उन्होंने अपनी फोर्स गोरखा कार को वर्षा के पानी से भरी कोचिंग सेंटर के सामने की सड़क से भगाया था जिससे कोचिंग सेंटर का एक गेट टूट जाने से पानी को बेसमेंट में जाने का रास्ता मिल गया था। पुलिस ने बीएनएस की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 106 (1) (गैर इरादतन हत्या के बराबर न होने वाली किसी भी लापरवाही या लापरवाही से किसी व्यक्ति की मौत), 115 (2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा) और 290 (इमारतों को गिराने, मरम्मत करने या निर्माण करने के संबंध में लापरवाहीपूर्ण आचरण) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

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