पिछड़े, अनुसुचित जाति एवं जनजाति के लोगों को मिले हक

शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती से आमजन परेशान

नरही वसूली कांड में असली आरोपी जांच परिधि से बाहर

बलिया। विगत लोकसभा के चुनाव में इंडिया गठबंधन के सहयोगियों और विशेषकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा की संविधान विरोधी नीतियों का उल्लेख करते हुए यह कहा था कि भाजपा पिछड़ो, दलितों और जनजातियों को प्राप्त आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को समाप्त करना चाहती है। 69000 शिक्षकों की भर्ती के संबंध में उच्च न्यायालय का निर्णय इसकी पुष्टि करता है। उच्च न्यायालय ने आरक्षण के प्रावधानों का पालन करते हुए नयी सूची बनाने का निर्देश दिया है। हम मांग करते है कि शिक्षक भर्ती या अन्य सभी सरकारी नौकरियों में संविधान की मंशा के अनुरूप आरक्षण के नियम का पालन करते हुए अन्य पिछड़े वर्ग, अनुसुचित जाति एवं जनजाति के लोगों को उनका हक दिया जाय।
यह बातें पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी ने मंगलवार को पत्रकारों के समक्ष कही।

कहाकि पूरे जनपद में बिजली की समस्या लोगों को परेशान कर रही है। सरकारी दांवे के अनुरूप शहरी और ग्रामींण क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। मेरे प्रयास से समाजवादी पार्टी की सरकार में चितबड़ागाँव में 132/33 का बड़ा पावरहाऊस स्थापित किया गया था। जहाँ से 33/11 की बिजली आपूर्ति की व्यवस्था है। थोड़े दिनों तक बसंतपुर विद्युत केंन्द्र से जुड़े 30 गावों को विद्युत आपूर्ति इस पावरहाऊस से जोड़कर की गयी। लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण इस क्षेत्र के लोगों को भारी बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। जले हुए ट्रांसफॉर्मरों को बदलने मे एक-एक महीने का समय लग रहा है। कहाकि प्रदेश के नौजवानों के सम्मुख बेरोजगारी की समस्या दैत्य की तरह मुँह बाए खड़ी है। डबल इंजन की सरकार रोजगार देने के सवाल पर गाल बजाने के अलावा कुछ नहीं कर रही है।उद्योगविहीन बलिया जनपद में यह समस्या और विकराल है। बार-बार जनपद में उद्योग लगाने व रोजगार के अवसर बढ़ाने की फर्जी घोषणाएं हुई है। लेकिन अब तक इस दिशा में प्रयास और परिणाम दोनों शून्य है। जल जीवन मिशन के अन्तर्गत पूरे जनपद मे तमाम सड़कों को खोदकर यूं ही छोड़ दिया गया है। अनेक गाँव के सम्पर्क मार्ग पूरी तरह बाधित है। लोगों का आना-जाना मुहाल है साथ ही जो पाईप बिछाये जा रहे है उनकी साईज और गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं है। यह योजना भी सरकारी धन के लूट के अलावा कागजी बनकर रह जायेंगी।

नरही वसुली कांड का पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारियों द्वारा छापेमारी कर इतना हल्ला मचाया गया। मानों पुलिस विभाग से भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा और हर दोषी के खिलाफ कार्यवाही होगी। लेकिन छापेमारी के दिन और उसके तत्काल बाद आरोपी थानेदार और कुछ पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने के अलावा जिन छोटे- छोटे गरीब श्रमिकों को गिरफ्तार किया गया। उन्हें ऐसे पेश किया गया जैसे वे ही असली अपराधी हैं। जबकि असली अपराधी जो इस लूट के संरक्षक थे। जांच और कार्यवाही की परिधि से बाहर हैं। जबतक इस कांड में शामिल बड़ी मछलियों पर कार्यवाही नहीं होगी। तब तक ऐसी लूट की पुनरावृत्ति रोकना सम्भव नहीं है।

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