ठंड बढ़ने से लोगों और जानवरों की परेशानी बढ़ने लगी है। शासन का निर्देश है कि स्थायी और अस्थायी गो आश्रय स्थलों की व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ पशुओं को ठंड से बचने के उपाय किया जाए। विकास खण्ड क्षेत्र में आश्रय स्थल में पशुओं को ठंड से बचाने के उपाय नाकाफी दिखे। पशुओं को ढंकने की व्यवस्था नहीं होने के साथ अलाव आदि भी नहीं दिखे। हालांकि क्षेत्र के कई गांवो के गौशालाओ में अभी तक तिरपाल नहीं लगा है।
लखनऊ बीकेटी खंड विकास बक्शी का तालाब में 19 गौशाला है उत्तर प्रदेश सरकार गोवंश की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है इतना ही नहीं उन गोवंश को ‘माता’ भी कहा जाता है। इन गौवंश के खान-पान रखाव के लिए हर साल करोड़ों रुपए भी सरकार खर्च करती है। इतना ही नहीं ठंडी में गोवंश को ठंड से बचाने के लिए खास इंतजाम भी कराए जाते हैं इसके बावजूद भी इस कड़ाके की ठंड में गौशालाओं में असुविधा नज़र आ रही हैं और बेज़ुबान गोवंश ठंड से तड़प रहे हैं। ऐसी स्थिति में कई कमजोर गोवंश तो मौत का भी शिकार हो रहे हैं
इसी क्रम मे पशु आश्रय केंद
इस पशु आश्रय केंद्र में 120 से अधिक मवेशी हैं पर यहां पर ठंड से बचने के लिए पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण पशु वह रात और दिन जाड़े में खड़े होकर कहां पर रहते हैं और किसी तरह वह जाड़े की रात व्यतीत करते हैं और दिन होते ही धूप में खड़े हो जाते हैं इसके अलावा यहां पर पशुओं को भरपेट चारा नहीं मिलता है जिससे पशु दुर्बल और कमजोर हैं पशुओं की पसलियों को गिना जा सकता है इतना ही नहीं इनको कभी भी हरा चारा नसीब नहीं होता है पशुओं को खाने के लिए पुआल के डंठल दिए जाते हैं वह किसी तरह जिंदा रहने के लिए अपना पेट भरते हैं। इससे पशु कमजोर होकर दम तोड़ देता है।
यह तो एक बानगी मात्र है पशु तथा सुल्तानपुर ,व मानपुर लाला ,पहाड़पुर सोनवा अचरामऊ ,पालपुर, किशनपुर, कुम्हारावा मणडौली महिगवा आदि अन्य पशु आश्रय केंद्रों में पशुओं की हालत बद से बदतर है उनको करबी के डंठल खाने को दिए जाते हैं और परिसर में गंदगी ही गंदगी बिखरी हुई है जिसमें वह बैठकर रात गुजारते हैं यहां पर समुचित व्यवस्था ना होने के कारण पशु जाड़ा गर्मी बरसात को झेलते रहते हैं अंत में वह मौत के हवाले हो जाते
जब इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी से जानकारी की गई उन्होंने बताया सभी गौशाला में पॉलिथीन लगवाई जाएगी