‘जब तक जिंदा हूं, इनसे प्यार करता रहूंगा…’, रतन टाटा ने किसके लिए कही थी ये दिल छू लेने वाली बात

दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन से हर कोई दुख में है. अपनी सादगी के लिए फेमस रतन टाटा को जानवरों से बहुत ज्यादा प्यार था. वो खुद को डॉग लवर मानते थे. उनके दो बेहद अजीज पालतु कुत्ते थे टीटो (जर्मन शेफर्ड) और टैंगो (गोल्डन रिट्रीवर). वो हमेशा उनके साथ ही रहते थे. रतन टाटा ने तो एक बार अपने डॉगी के बीमार पड़ने पर ब्रिटिश का शाही न्यौता तक ठुकरा दिया था. यही नहीं, रतन टाटा ने आवारा जानवरों के लिए वो सब किया है, जिसे जानकर आपका भी यही कहेंगे कि इनके जैसा महान इंसान शायद ही कोई हो.

रतन टाटा ने कुछ समय पहले एक इंटरव्यू में बताया था कि डॉग्स के लिए उनका प्यार हमेशा गहरा रहा है और जब तक वह जीवित हैं तब तक ये सिलसिला जारी रहेगा. उन्होंने कहा था- मैं कुत्तों से बहुत प्यार करता हूं. जब तक जिंदा हूं उनके लिए मेरा प्यार हमेशा ऐसे ही रहेगा.

ठुकराया था शाही परिवार का सम्मान

मशहूर बिजनेसमैन और अभिनेता सुहेल सेठ ने एक इंटरव्यू में बताया- रतन टाटा ने मुझे बताया था कि उनके पालतु डॉगी टैंगो और टीटो में से एक बहुत बीमार पड़ गया था. उस वक्त उन्हें ब्रिटिश शाही परिवार से न्योता मिला था. रतन टाटा को तब वहां सम्मानित करने के लिए बकिंघम पैलेस बुलाया गया था. रतन टाटा वहां जाने ही वाले थे कि पता चला उनका एक डॉगी बीमार पड़ गया है. बस फिर क्या था. रतन टाटा ने ब्रिटेन जाने से साफ इनकार कर दिया. कहा था कि ऐसे समय में मैं अपने डॉगी को अकेला नहीं छोड़ सकता.

जानवरों के लिए अस्पताल खोला

टाटा समूह के जानवरों से लगाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने स्ट्रीट डॉग्स के लिए भोजन, पानी, खिलौने और खेलने का स्थान उपलब्ध कराया है. उन्होंने विभिन्न पशु कल्याण संगठनों, जैसे कि पीपल फॉर एनिमल्स, बॉम्बे एसपीसीए और एनिमल राहत को भी अपना समर्थन दिया. उनका मकसद सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा को दर्शाना था. कुछ दिन पहले ही रतन टाटा ने जानवरों के इलाज के लिए एक छोटा सा अस्पताल भी खोला. इसे टाटा ट्रस्ट्स स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल नाम दिया गया है. टाटा ट्रस्ट्स स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल का निर्माण 165 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है और यह पांच मंजिला है.

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