BJP में दूसरी बार शामिल हुए अरविंदर सिंह लवली

नई दिल्ली। दिल्ली कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए। उनके साथ में नसीब सिंह, नीरज बसोया और राजकुमार चौहान ने भी बीजेपी की सदस्यता ली। वह बीजेपी में दूसरी बार शामिल हुए। इससे पहले भी वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए थे। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा भी मौजूद रहे।

इस मौके पर बीजेपी नेता विनोद तावड़े ने कहा- राहुल गांधी ने रायबरेली से नामांकन भरा है। कांग्रेस के लोग प्रियंका गांधी को चाहते थे, लेकिन राहुल गांधी ने पर्चा भरा। भाजपा का नारा है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ। कांग्रेस का नारा है बेटा बचाओ बेटा बढ़ाओ।

दिल्ली को प्यार करनेवाले लूटनेवालों के साथ नहीं: सचदेवा
दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि जो भी व्यक्ति दिल्ली को प्यार करता है, वह दिल्ली को लूटने वालों के साथ खड़ा नहीं हो सकता है। वहीं पूर्व कांग्रेस विधायक राजकुमार चौहान ने कहा- यूं तो समय-समय पर हम अपनी बाते रखेंगे। दिल्ली के शराब घोटाले को लेकर बातें लेकर आएंगे। हमने जो विकास किया था, उसे आगे नहीं बढ़ाया बल्कि दिल्ली को पीछे ले जाने का कार्य किया।

पीएम के हाथ को मजबूत करना चाहते हैं: लवली
अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि पीएम मोदी, नड्डा और अमित शाह का धन्यवाद। जब हम खोए-खोए घूम रहे थे, उस समय इन्होंने मौका दिया है। हम आज पांच वरिष्ठ लोग आए हैं, लेकिन बहुत लोग हैं जो चाहते हैं कि देश को सशक्त सरकार मिले। देश के विकास में पीएम के हाथ को मजबूत करना चाहते हैं।

आज मेरे लिए विशेष दिन: हरदीप सिंह
वहीं हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि आज मेरे लिए विशेष दिन है। मैं दिल्ली का ही हूं। दिल्ली में जब विकास का कार्य हुआ, तब राजकुमार चौहान और लवली मंत्री रहे। देश और दिल्ली में ये सभी लोग विकास कार्य को आगे बढ़ाएंगे। इन सभी की सेवाओं का उपयोग किया जाएगा। सभी को बधाई।

एक साल के अंदर कांग्रेस में लौटे थे लवली
बता दें, यह पहली बार नहीं है जब लवली कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्होंने इससे पहले साल 2017 में भी टिकट वितरण में नाराजगी को लेकर इस्तीफा दिया था। लेकिन फरवरी 2018 में एक साल से भी कम समय में वह कांग्रेस में लौट आए थे। तब उन्होंने कहा था कि मेरे लिए भाजपा में जाना कोई खुशी का निर्णय नहीं था। तब मैंने पीड़ा में फैसला लिया था।’

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