देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड अपनी धार्मिक और प्राकृतिक विरासत के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। अब राज्य योग और वैलनेस के क्षेत्र में वैश्विक केंद्र बनाने की ओर अग्रसर है। योग नीति के तहत सरकार योग प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए विशेष योजनाएं लाएगी। छोटे योग संस्थानों को सब्सिडी देने और योग ग्रामों की स्थापना के लिए भूमि आवंटन करने की याेजना है। सरकार की इस याेजना से उत्तराखंड पूरी दुनिया काे स्वास्थ्य जीवन की राह दिखाने के याेग्य बन सकेगाअपर सचिव आयुष विभाग डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार देना और उत्तराखंड को एक वैश्विक योग हब बनाना है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इसे लागू किया जाएगा। योग नीति के तहत योग प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए विशेष योजनाएं लाई जाएंगी। छोटे योग संस्थानों को सब्सिडी दी जाएगी और योग ग्रामों की स्थापना के लिए भूमि आवंटन होगा।इस संबंध में योगाचार्य डॉ. विपिन जोशी के अनुसार उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य को योग और वैलनेस से जोड़ना इस पहल की सबसे बड़ी खासियत होगी।
राज्य की पहाड़ियां, नदियां और जंगल एक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र की तरह काम करते हैं। यहां योग का अभ्यास करना आत्मा और प्रकृति के बीच गहरा संबंध बनाता है। योग परंपरा से आधुनिकता तकयोग भारत की वह प्राचीन विद्या है, जो आज वैश्विक आंदोलन बन चुकी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने योग नीति तैयार करने का निर्णय लिया है। इस नीति का उद्देश्य न केवल योग को संरक्षित करना है, बल्कि इसे रोजगार और आर्थिक प्रगति का माध्यम भी बनाना है। योग सिर्प व्यायाम नहीं बल्कि मानसिक शुद्धि का माध्यम ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन, गीता भवन और अन्य योग आश्रम हर साल हजारों विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। परमार्थ निकेतन में पिछले 14 वर्ष से योग शिक्षा देने वाली गंगा नंदिनी का कहना है कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, यह मानसिक और आत्मिक शुद्धि का माध्यम है। अगर सरकार इसे सही दिशा में बढ़ाती है तो उत्तराखंड दुनिया के योग मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान बना सकता है।इस नीति से सुवाओं काे मिलेगा राेजगार
उत्तराखंड की योग ब्रांड एंबेसेडर दिलराज प्रीत कौर का कहना है कि सरकार की इस नीति से राज्य के युवाओं को नए अवसर मिलेंगे। यह नीति केवल योग का प्रचार नहीं करेगी, बल्कि युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी। उत्तराखंड को एक नई पहचान मिलेगी और यहां के लोग भी विकास का हिस्सा बनेंगे। यह पहल न केवल देश के लोगों को बल्कि विदेशी सैलानियों को भी आकर्षित करेगी।
उल्लेखनीय है कि देवभूमि से योगभूमि बनाने की यह योजना राज्य के भविष्य की दिशा बदलने वाला कदम हो सकता है। योग, वैलनेस और आयुर्वेद के इस समन्वय से उत्तराखंड न केवल आर्थिक रूप से सशक्त होगा, बल्कि दुनियाभर में एक नई पहचान भी बनाएगा। देवभूमि अब योगभूमि बनने की ओर कदम बढ़ा चुकी है। यह भारत की प्राचीन विरासत और आधुनिक पहचान का संगम है।