विकास के साथ गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण भी हावी

नोएडा। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में गौतमबुद्ध नगर उन सीटाें में शामिल है, जहां सर्वाधिक विकास हुआ। एयरपोर्ट से लेकर फिल्म सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क, लाजिस्टक हब, पंडित दीन दयाल उपाध्याय पुरातन संस्थान एवं संस्कृति संग्रहालय, ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेेटड के साथ-साथ करीब सवा दो लाख करोड़ का औद्योगिक पूंजी निवेश हुआ है।

चल रही जातीय समीकरण की गोलबंदी
विकास से जिले में सब कुछ बदल रहा है, यदि कोई चीज नहीं बदली है तो वह चुनाव में जातीय समीकरणों का हावी होना है। पिछले तीन लोकसभा चुनावों में जाति की जो दीवार देखने को मिली थी, वह इस बार विकास के मुद्दे पर टूटती जरूर नजर आ रही है, लेकिन नेताओं और प्रत्याशियों की जातीय समीकरण की गोलबंदी भी चल रही है। मतदाताओं पर इसका कितना असर पड़ेगा, यह चार जून को मतगणना के बाद ही पता चलेगा।

गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट के अंतर्गत जनपद की दादरी, नोएडा और जेवर विधान सभा के अलावा बुलंदशहर की सिकंद्राबाद और खुर्जा विधान भी आती है। पांचों विधान सभाओं के अलग-अलग मुद्दे है।

जातीय समीकरणों के हिसाब से रणनीति
जितना विकास नोएडा, दादरी और जेवर में हुआ है, उतना अभी सिकंद्राबाद और खुर्जा तक नहीं पहुंचा है। हालांकि, गौतमबुद्ध नगर में हुए दो लाख करोड़ रुपये के पूंजी निवेश का लाभ इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी रोजगार के रूप में मिलेगा, इसलिए विकास का मुद्दा इन विधान सभा क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इतर राजनीतिक दल जातीय समीकरणों के हिसाब से रणनीति बनाकर चुनाव प्रचार में जुटें हैं।

बड़े नेताओं की जनसभा भी जातीय समीकरणों के हिसाब से ही कराने की तैयारी की जा रही है। विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार आदि के मुद्दे पर जातीय समीकरण हावी है। चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों के नेता मतदाताओं के बीच विकास की बात करने के बजाय जातियों की बात कर रहें हैं।

जातीय समीकरणों को हवा दे रहे प्रत्याशी
प्रत्याशियों की बात करें तो तीनों की प्रमुख दलों के प्रत्याशी भाजपा के डॉक्टर महेश शर्मा, सपा-कांग्रेस के गठबंधन प्रत्याशी डाक्टर महेंद्र नागर एवं बसपा के राजेंद्र सोलंकी सर्व समाज के समर्थन का दम भरते हुए अपने पक्ष में माहौल बनने में जुटें हैं। हार-जीत के गुणा भाग में प्रत्याशी एक-दूसरे से अपनी बढ़ता ज्यादा रखने के लिए भी जातीय समीकरणों को भी हवा दे रहें है।

प्रत्याशी और उनके समर्थक खासकर अपनी-अपनी जाति के मतदाताओं में यह संदेश देने में भी जुटें हैं कि चुनाव में यदि अधिक वोट प्राप्त नहीं किए तो भविष्य में टिकट की दावेंदारी समाप्त हो जाएगी। यहीं कारण है कि विकास की बात करने वाली राजनीतिक पार्टियों के कर्ता-धर्ता बिरादरी का हाथ पकड़कर नैया पार लगाने की फिराक में हैं।

जातीय समीकरणों पर बाहरी मतदाता बिगाड़ते हैं गणित
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर शहरी और ग्रामीण मतदाताओं का समवेश है। ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं की जमीन के मुआवजे, आबादी, दस प्रतिशत भूखंड आवंटन, रोजगार व गांवों का शहरी तर्ज पर विकास का मुद्दा बड़ी समस्या है। वह इन्हीं मुद्दों पर वोट देते हैं।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 250 से अधिक सोसायटी है। इनमें लाखों लोग रहते हैं। ज्यादातर बाहरी है। हालांकि, इन मतदाताओं पर जातीय समीकरण हावी नहीं रहते। यह जातीय समीकरणों का गणित भी बिगड़ देते हैं।

युवाओं को रोजगार न मिलने का मुद्दा
यहीं कारण है कि सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी और उनके समर्थक गांवों में किसानों की समस्या उठाने के साथ शहरी क्षेत्र में फैक्ट्री में युवाओं को रोजगार न मिलने का मुद्दा उठा रहे हैं।

वहीं भाजपा प्रत्याशी और उनके समर्थक प्रदेश और जिले में कानून व्यवस्था मजबूत होने के साथ बहन-बेटियां सुरक्षित होने व जिले में सबसे ज्यादा विकास होने की बात कह मतदाताओं को रिझा रहें हैं।

बसपा प्रत्याशी मायावती शासन काल में जिले में हुए विकास कार्यों का गुणगान कर रहें हैं। नोएडा में बाहरी और स्थानीय मतदाताओं का अनुपात 70:30 का है। इनमें सभी जातियों और धर्म के लोग हैं।

लोकसभा में मतदाता

नोएडा विधानसभा
पुरुष मतदाता 425525
महिला मतदाता 333881

दादरी विधानसभा
पुरुष मतदाता 384309
महिला मतदाता 320124

जेवर विधानसभा
पुरुष मतदाता 198515
महिला मतदाता 168514

खुर्जा विधानसभा
पुरुष मतदाता 205274
महिला मतदाता 186282

सिकंदराबाद विधानसभा
पुरुष मतदाता 208000
महिला मतदाता 189479

पांचों विधानसभा में कुल मतदाता 2619903

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