कोर्ट के स्थगन आदेश को नहीं मानती पुलिस, राजस्व अधिकारी भी मौन
नायब तहसील बोले, कोर्ट से ही मिलेगी सहूलियत
बलिया। फरियादियों को त्वरित न्याय मिले, इसके लिए शासन ने शनिवार को थाना समाधान दिवस की व्यवस्था किया है। लेकिन यहां फरियादियों को न्याय मिलने के बजाय उल्टे ही जलालत व दुर्व्यवहार का सामान करना पड़ रहा है। ऐसा ही मामला सिकंदरपुर कस्बा के डोमनपुरा से जुड़ा है। जहां पीड़ित श्रीकिशुन का न्याय नहीं मिल रहा है।
पीड़ित श्रीकिशुन पुत्र रामनाथ का आरोप है कि सिविल न्यायालय जूनियर डिविजन द्वितीय की अदालत ने श्रीकिशुन बनाम हरिशंकर मामले में 14 अक्टूबर 2024 तक स्थगन आदेश पारित किया है। बावजूद विपक्षी जोर जबरदस्ती कर निर्माण कार्य करा रहा है। जिसकी शिकायत सिकंदरपुर चौकी पर किया गया था। शनिवार को थाना समाधान दिवस पर दोनो पक्षों को बुलाया गया। जहां न्यायालय से स्थगन आदेश का हवाला दिया गया तो चौकी इंचार्ज भड़क गए और गाली देते हुए वहां से भगा दिया। यहां तक कि फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी भी दे डाली। इतना ही नही मौके पर मौजूद नायब तहसीलदार ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि न्यायालय का मामला होने के कारण हम इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते है। इसमें किसी भी प्रकार की सहूलियत न्यायालय से ही प्राप्त की जा सकती है। जबकि विपक्षी द्वारा लगातार निर्माण कार्य कराया जा रहा है। उधर, चौकी इंचार्ज का कहना है कि राजस्व के मामले में हम कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते। आपको बता दे कि यह वही चौकी इंचार्ज हैं जो दो दिन पूर्व बिना किसी कागजात और सक्षम अधिकारी के आदेश के ही निर्माणाधीन मकान का काम रोकवा दिए थे। इसके साथ ही यह दलील देते फिर रहे थे कि ऐसे किसी मामले में प्रथम दृष्टया पुलिस का हस्तक्षेप आवश्यक होता है। वही पीड़ित के मामले में अब इनकी भाषा ही बदल गई है। न्यायालय से स्थगन आदेश होने के बाद भी कार्य रोकवाना तो दूर उल्टे पीड़ित को ही बेवजह प्रताड़ित भी किया जा रहा है। इस बाबत सिकंदरपुर एसडीएम रवि कुमार ने बताया कि मैं परीक्षा ड्यूटी में हूं। नायब तहसीलदार को मामले से अवगत करा दिया गया है। ड्यूटी से खाली होने के बाद ही कुछ किया जा सकता है।