अलीगढ़ के इस सरकारी स्कूल में नहीं मिल पाता सभी को दाखिला

अलीगढ़। जिले में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है, जिसमें प्रवेश आसान नहीं। पढ़ाई की गुणवत्ता, व्यवस्थाएं और सुविधाओं के चलते लोधा ब्लाक क्षेत्र के गांव एलमपुर का पीश्री कंपोजिट विद्यालय खास हो गया है। निजी स्कूल के कहीं कम नजर नहीं आता। बच्चे अंग्रेजी में बात करते हैं।

हर विषय की तैयारी संग संस्कारों की पाठशाला सभी को प्रभावित कर रही है। इसी के दम पर निपुण आकलन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वाले स्कूलों में यह शामिल है। इसी आधार पर इसका पीएम श्री योजना में चयन हुआ। जिले का यह पहला सरकारी स्कूल है, जिसके लिए अभिभावक राजनेताओं और अधिकारियों की सिफारिश लाते हैं। इसके बाद भी हर वर्ष 50-60 बच्चों के अभिभावक निराश लौटते हैं। यह हाल है, जब पचास बच्चों का प्रवेश निर्धारित संख्या से अधिक किया जा रहा है। बच्चों की संख्या अब एक हजार पार कर गई है। 

पहले जर्जर थे विद्यालय के हालात

यह संख्या नौ वर्ष पहले चार सौ थी। 24 कक्षों में संचालित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय का भवन बेहद जर्जर था। न शिक्षक पर्याप्त थे और न सुविधाएं थीं। बच्चे जमीन पर बैठते। पीने के पानी के लिए हैंडपंप और खेलने के लिए उबड़खाबड़ मैदान।

वर्ष 2014 में नंदपुर कला से स्थानांतरित होकर प्रधानाध्यापक पद पर आए वीरेंद्र सिंह तो स्कूल का हाल देख हैरान रह गए। पढ़ाई का माहौल नजर ही नहीं आ रहा था। तब शिक्षकोंं के साथ मंथन किया। स्कूल को अलग पहचान दिलाने के उनके संकल्प में सभी शिक्षक एक हो गए। व्यवस्थाएं संभालने और हाल सुधारने की योजना बनाई।

अधिकारियों के संपर्क से बदली स्कूल की तस्वीर

अधिकारियों से निरंतर संपर्क का परिणाम यह रहा कि स्कूल की तस्वीर बदलना शुरू हो गई। पहले पठन-पाठन की अनुशासित व्यवस्था की। भवन की दशा सुधारने के लिए बड़े बजट की आवश्यकता थी। वे विभागीय अधिकारियों से लेकर राजनेताओं और समाजसेवियों तक के पास गए।

10 सालों में पांच लाख रुपये से अधिक अपने वेतन से खर्च कर दिए। तस्वीर बदलने लगी।  सुबह हिंदी व अंग्रेजी में प्रार्थना, राष्ट्रगान व गायत्री मंत्र की गूंज सुनाई देती है। न्यूज आफ द टुडे, थाट आफ द डे व पीटी भी प्रार्थना सत्र का हिस्सा है। स्कूल का हरा-भरा व स्वच्छ परिसर देख हर कोई प्रभावित हो जाता है। 14 कमरों में एक से आठवीं तक की कक्षाएं लगती हैं। 22 शिक्षक हैं।

ऑडियो-वीडियो से भी होती है पढ़ाई

पीरियड के अनुसार पठन-पाठन की व्यवस्था। पुस्तकालय है। तीन  स्मार्ट कक्षाएं हैं, जिनमें एक प्रोजेक्टर व तीन एलईडी हैं। ओडियो-वीडियो से भी पढाई होती है। प्रयोगशाला तो मिनी साइंस सेंटर जैसी है। बच्चों को प्रत्येक वर्ष ताजमहल, लालकिला, इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन जैसे स्थलों का शैक्षिक भ्रमण कराया जाता है। बदले हालातों से ही स्कूल वर्ष 2020 में कंपोजिट और वर्ष 2022 में पीएम श्री योजना में शामिल हो गया।

इंडोर व आउटडोर खेलों की सुविधा 

स्कूल में टेबल टेनिस हाल, बैडमिंटन व टेनिस कोर्ट है। वालीबाल, हैंडबाल, फुटबाल, क्रिकेट, ताइक्वांडो, बाक्सिंग, कबड्डी, दौड़, भाला फेंक, गोला फेंक आदि की सुविधाएं हैं। व्यायाम शिक्षक की देखरेख में बच्चे अभ्यास करते हैं। बच्चे, मंडल व राज्य स्तर पर कौशल दिखा रहे हैं। 

नगला कलार के एक अभिभावक निर्मला देवी ने कहा कि मेरा बेटा सातवीं कक्षा में पढ़ता है। पहले उसे निजी स्कूल में पढ़ाना चाहते थे, परंतु यहां की पढ़ाई व सुविधाओं को देखते हुए निर्णय बदल दिया। 

एलमपुर के एक अभिभावक उमेश पाठक का कहना है कि मेरा बेटा आदित्य सरकारी स्कूल में कक्षा छह में पढ़ता है। जब यहां निजी स्कूलों जैसी ही पढ़ाई और सुविधाएं हैं तो अभिभावक पैसा क्यों खर्च करें।

विद्यालय के प्रधानाध्यापक वीरेंद्र सिंह के अनुसार, पढ़ाई के साथ बच्चों के रचनात्मक विकास पर भी ध्यान देते हैं। प्रत्येक वर्ष करीब 300 नए प्रवेश दिए जाते हैं, जबकि 400 से अधिक आवेदक होते हैंं। करीब 350 को ही प्रवेश मिल पाता है। इस तरह स्कूल में 50-60 बच्चे हर साल बढ़ जाते हैं। इतने ही बच्चों को दाखिला नहीं मिल पाता। अभिभावक सिफारिशें लेकर आते हैं, फिर भी सभी को दाखिला नहीं दे पाते।  

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