—ज्ञानवापी मामले में दोनों नेताओं के विवादित बयान पर वादी अधिवक्ता ने अदालत में रखा अपना पक्ष
वाराणसी। ज्ञानवापी मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के विवादित बयान को लेकर दाखिल याचिका पर 17 सितम्बर को फैसला आ सकता है। मंगलवार को अपर जिला जज (नवम) विनोद कुमार सिंह की अदालत में वादी अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने अपनी दलील रखी। अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रवि प्रकाश शुक्ला ने हेट स्पीच पर वादी मुकदमा का पक्ष रखा। अदालत ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायालय अब इस मामले में 17 सितंबर को फैसला सुना सकती है। वादी अधिवक्ताओं ने पिछले वर्ष मई माह में वाराणसी के एसीजेएम कोर्ट में अर्जी देकर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के दौरान वजूखाने में नमाजियों की ओर से गंदगी फैलाने की बात कही। साथ ही सर्वे में शिवलिंग जैसी मिली आकृति पर ओवैसी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित कुछ नेताओं ने गलत बयानबाजी की। इससे हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप वादी अधिवक्ताओं ने लगाया। अधिवक्ता ने दोनों नेताओं के हेट स्पीच पर क्रिमिनल केस दर्ज कराए जाने की दलील दी। याचिका में अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव, असदुद्दीन ओवैसी, उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के अलावा लगभग 2000 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज करने की बात कही है। इस मामले में अदालत ने सुनवाई के बाद वादी पक्ष की अर्जी खारिज कर दी थी। इस आदेश के खिलाफ वादी अधिवक्ताओं ने जिला जज की अदालत में निगरानी अर्जी दाखिल की। जिला जज ने इस मामले को सुनवाई के लिए एडीजे कोर्ट (अपर जिला जज नवम) को स्थानांतरित कर दिया।