टमाटर-प्‍याज के बाद लहसुन की कीमतों में लगी आग, दाल-सब्‍जी में तड़का लगाना हुआ महंगा

  • पिछले साल 50 से 100 रुपये किलो बिक रहा था लहसुन थोक में 250 रुपये किलो तक बिका था लहसुन

निष्पक्ष प्रतिदिन/ बीकेटी,लखनऊ

पहले टमाटर-प्‍याज के दामों में हुई बढ़ोत्‍तरी के बाद अब लहसुन की कीमतों ने होश उड़ा दिए हैं। थोक मंडी से लेकर खुदरा बाजार में लहसुन की कीमत करीब ढ़ाई से चार गुना तक बढ़ गई है. जहां थोक में लहसुन 350 रुपये से लेकर 400 रुपये प्रति किलोग्राम में बिक रहा है वहीं रिटेल बाजार में 500 से 600 रुपये किलो तक बेचा जा रहा है। दामों में हुई बढ़ोत्‍तरी से दाल-सब्‍जी में तड़का लगाना अब भारी पड़ने वाला है।मौसम की मार और मांग की तुलना में कम आवक के चलते टमाटर-प्‍याज के रेट प्रदेश के कई हिस्‍सों में उछाल मारने लगे। हालांकि अब लहसुन की कीमतों में आग लग गई है।
सीतापुर रोड पर स्थित मानपुर मंडी में आढ़ती अशोक कुमार बताते हैं कि देश भर में रोजाना करीब 1 लाख कट्टा लहसुन की खपत होती है लेकिन पिछले कुछ दिनों से करीब 50 से 60 हजार कट्टा ही लहसुन मंडियों तक आ पा रहा है, जिसकी वजह से देशभर में करीब 40 से 50 हजार कट्टा लहसुन की मांग बनी हुई है और इसकी वजह से कीमत आसमान पर चढ़ गई हैं. आजादपुर थोक मंडी में ही लहसुन आज 350 से 400 रुपये किलो की कीमत पर बिका है।थोक में महंगे हुए लहसुन की कीमतें रिटेल में कई गुना हो गई हैं। दिल्‍ली-एनसीआर ही नहीं बल्कि अन्‍य राज्‍यों के खुदरा बाजार में भी लहसुन 500 से 600 रुपये किलो तक बेचा जा रहा है। जबकि पिछले साल फरवरी में इसी मंडी में लहसुन का रेट 50 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम था।अशोक ने यह भी बताया कि लहसुन की कीमत बढ़ने के पीछे पिछले साल लहसनु की फसल कम होना और इस वजह से फसल की आवक कम होना है। बता दें कि फरवरी के आखिर में देश के कई हिस्‍सों से लहसुन की नई फसल आती है लेकिन तब तक पुरानी फसल से आपूर्ति होती है। पिछले साल लहसुन की फसल कम हुई थी, ऐसे में नई फसल आने तक पुरानी फसल की आपूर्ति ठप हो गई है. लिहाजा मांग ज्‍यादा होने और पूर्ति न हो पाने से कीमतें बढ़ रही हैं।

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