मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों की मतगणना से पहले बुरहानपुर की सियासत दिलचस्प होती जा रही है। दोनों ही प्रमुख पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव से पहले जिला अध्यक्षों को हटाने की मांग की है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि जिला अध्यक्षों की वजह से बुरहानपुर में बागी नेताओं ने चुनाव लड़ा। जिसके कारण पार्टी इस सीट पर हार की कगार में खड़ी है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बुरहानपुर सीट से अल्पसंख्यक नेता का टिकट काटकर निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को टिकट दिया है। जिसके बाद अल्पसंख्यक नेता और कांग्रेस के संगठन मंत्री रहे पूर्व पार्षद नफीस मंशा खान ने एआईएमआईएम का दामन थाम लिया और चुनावी मैदान में कूद गए। यही हाल बीजेपी का भी रहा।
बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान का टिकट काटकर पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस को टिकट दिया है। जिसके बाद हर्षवर्धन सिंह ने भी चुनाव लड़ने का फैसला किया।
मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया
बुरहानपुर सीट में कांग्रेस और बीजेपी के बागियों के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है। यहां दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने भी खुलकर बागियों का समर्थन किया। इसके लिए कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्षों को जिम्मेदार ठहराया है।
परिणाम से पहले मानी हार
बागियों के चुनावी मैदान में उतरने के बाद दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने बगावत के बहाने परिणाम आने से पहले ही अपनी हार मान ली है। सियासी जानकारों का भी मानना है कि बगावत के लिए दोनों दलों के जिलाध्यक्ष कुछ हद तक जिम्मेदार हैं। वहीं बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के जिलाध्यक्ष खुद को काफी सक्रिय बता रहे हैं।
चुनाव लड़ना था इसलिए दिया इस्तीफा
बुरहानपुर से टिकट नहीं मिलने के बाद बागी हुए हर्षवर्धन सिंह ने भाजपा की प्रथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। अपना नामांकन वापस न लेकर अब वे अपनी ही पार्टी की उम्मीदवार अर्चना चिटनिस को मुकाबला देते नजर आएंगे। हर्षवर्धन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कोई व्यक्ति किसी पार्टी के सिम्बल पर लड़ कर ही वोट पाने के अधिकार नहीं रखता। अगर पार्टी ने किसी ख़राब व्यक्ति को टिकट दिया तो कार्यकर्ता और मतदाताओं का अधिकार बनता है कि वे किसी अन्य व्यक्ति को वोट देकर जिताएं और इस प्रकार के निर्णय पर पार्टी को जवाब दे। उन्होंने कहा की मुझे जनता ने खड़ा किया है ताकि में अपने पिता स्वर्गीय नंदकुमार जी की तरह क्षेत्र का विकास कर सकूं।