न्यू फैमिली हॉस्पिटल का एसीएमओ ने किया लाइसेंस रद्द, अस्पताल संचालित

न्यू फैमिली हॉस्पिटल के जिला महिला अस्पताल से जुड़े तार, मरीज सप्लाई

हॉस्पिटल रजिस्ट्रेशन में दो डॉक्टर नामित बोर्ड पर अंकित एक दर्जन डॉक्टर

बदायूं। न्यू फैमिली हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एक बच्ची की मौत होने पर उसे ठीक बताकर परिजनों को सौंपने के मामले में सोमवार को एसीएमओ के साथ जांच के लिए गई टीम ने देखा कि अस्पताल लाइसेंस पंजीकरण में दो डाक्टर नामित है जिसमें एक एमबीबीएस एमडी महिला डाक्टर और दूसरे सुशील कुमार बीडीएस डाक्टर है बिना बाल रोग विशेषज्ञ के हैस्पीटल में नवजात शिशुओं का इलाज किया जा रहा है जिसकी वजह से लाइसेंस रद्द कर दिया गया है और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस देकर कई बिंदुओं पर जवाब मांगा है। लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है बल्कि कार्रवाई से बचने के लिए हॉस्पिटल मालिक सत्ताधारियों नेताओं से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर दबाव बनवा रहा है अधिकारियों के सुस्ती चलते न्यू फैमिली हॉस्पिटल पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। जिससे जनमानस को काफी हानि हो रही है और हॉस्पिटल का संचालन बदसूरत जारी है जिससे अस्पताल मालिक के हौसले बुलंद हो रहे है।
सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में रोजगार दफ्तर के पास रहने वाले अमित गुप्ता ने अपनी 21 दिन की बेटी प्रीति को इलाज के लिए सदर कोतवाली क्षेत्र में लालपुल स्थित न्यू फैमिली हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। आरोप है कि बच्ची की इलाज में लापरवाही से 30 नवंबर को मौत हो गई थी। इसके बाद परिजनों को यह कहकर बच्ची सौंप दी गई कि वह ठीक है, उसे घर ले जाएं। तहरीर के आधार पर पुलिस ने डाॅ. जुनैद आलम फिजिशियन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।
इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। मामला जब उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आया तो सोमवार को एसीएमओ डॉ. तहसीन अहमद टीम के साथ अस्पताल पहुंचे और संचालक को नोटिस देकर वापस लौट आए। स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था और मामूली कार्रवाई के चलते जिले भर में बिना लाइसेंस के दर्जनों अस्पताल संचालित हो रहे हैं।

आशा,दलाल गरीब प्रसूताओं से खास बनकर करती है ठगी

सूत्रों की माने तो जिला महिला अस्पताल के कर्मचारी न्यू फैमिली हॉस्पिटल के लिए मरीजों सप्लाई करते है। महिला अस्पताल के लेबर रूम से लेकर एसएनसीयू तक के कर्मचारीअपने कमीशन के चक्कर में इस धंधे लिप्त रहते है।निजी अस्पतालों से मिलने वाले मोटे कमीशन के चक्कर में गर्भवती महिलाओं को महिला अस्पताल में गुमराह किया जा रहा है। प्रसव को पहुंचने वाले हर गर्भवती को लापरवाही और केस बिगड़ने का हौऊआ दिखाकर आशाएं निजी अस्पताल सरकारी डाक्टर के प्रसव केंद्र पर ले जाने की सलाह देती हैं। इतना ही नहीं निजी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव कराने की सलाह देकर आशाएं फिफ्टी प्रसेंट कमीशन के चक्कर में यह खेल करती हैं। जिला महिला अस्पताल में गर्भवती के एंट्री करते ही नेटवर्क से जुडे़ दलाल,आशाएं सक्रिय हो जाते हैं। इनमें खासकर आशा एवं अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल हैं, जो भ्रष्टाचार नेटवर्क संचालित करने वालों के साथ जुड़े हैं। आशाएं हमदर्दी दिखाने के बाद महिला अस्पताल की व्यवस्थाओं की कमियों का पिटारा खोल देती हैं। महिला अस्पताल में मरीजों को गुमराह करने और गर्भवतियों को निजी अस्पताल ले जाने वाले नेटवर्क का मामला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में है, लेकिन उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। दलाल ,आशाओं के कमीशन के चक्कर में कई बार न्यू फैमिली हॉस्पिटल में जच्चा-बच्चा की मौत तक हो गई है। यह मामले जिले में आए दिन होते रहते हैं, इससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है मगर अफसर इससे अंजान बने हुए हैं।

अस्पताल के गेट से लेकर अंदर तक घूमती रहती है कमीशन के चक्कर में दलाल, आशाएं

निजी अस्पताल प्रसव केंद्र में दस हजार तक मिलता है कमीशन निजी अस्पताल गर्भवती को ले जाने पर कमीशन पांच से दस हजार रुपये तक मिलता है। जिला महिला अस्पताल में प्रसव के लिए रोज दर्जनों महिलाओं आती हैं। सरकारी अस्पताल में लापरवाही की बात बताकर अनहोनी होने की आशंका से डरा दिया जाता है। तीमारदार अपने मरीज की बेहतरी के लिए वहां से निजी अस्पताल के लिए मरीज को लेकर निकलना ही बेहतर समझते हैं। इस दौरान महिला अस्पताल में घूम रही दलाल,आशाएं उनसे मिलती हैं और निजी अस्पताल ले जाती हैं। वहां ले जाकर गरीब और लाचार जनता लूट लेते है।

इधर एसीएमओ डॉ. तहसीन अहमद नोडल अधिकारी निजी नर्सिंग होम ने बताया कि जांच के बाद अस्पताल का पंजीकरण निरस्त कर पंजीकरण संबंधी कागज तलब किए गए हैं। कागज न दिखाने पर अस्पताल सील कर दिया जाएगा।

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