अमेठी का ऐसा पावन धाम जहां स्व. राजीव गांधी से लेकर स्मृति ईरानी ने पहुंचकर टेका माथा

अमेठी। जिले के संग्रामपुर ब्लॉक एवं थाने से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित अति प्राचीन सुप्रसिद्ध एवं पौराणिक स्थल मां कालिका का धाम कालिकन स्थित है। यही एक ऐसा मंदिर है, जहां देवी मां अमृत कुंड पर वास करती है। यहां पर भक्तों की मान्यता है कि जो भी अपनी मुराद लेकर मां के दरबार में जाता है मां सब की झोली अवश्य भरती हैं।

इस अमृत कुंडवासिनी मां कालिका का दर्शन स्वर्गीय राजीव गांधी, सोनिया, प्रियंका और राहुल गांधी सहित वर्तमान केंद्रीय मंत्री व अमेठी सांसद स्मृति ईरानी कई बार पहुंचकर अपना माथा टेक चुकी हैं।

वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वह सबसे पहले इसी मंदिर में पहुंची थी। मंगलवार को नवरात्र के प्रथम दिन भी वह इस मंदिर में पहुंचकर देवी मां से आशीर्वाद प्राप्त करेंगी।

मां कालिका का धाम कालिकन का वर्णन श्रीमद् भागवत पुराण, सुख सागर सहित अनेक प्राचीन ग्रंथों में प्राप्त होता है। लोगों द्वारा कहा जाता है कि जहां पर आज मंदिर है वहां पहले घना जंगल था, जिसमें च्यवन मुनि का आश्रम था। एक बार अयोध्या के राजा सर्याति अपनी पुत्री सुकन्या के साथ महर्षि च्यवन की तपोस्थली में दर्शन के लिए पहुंचे थे। तप में लीन महर्षि की आंखों पर लगे दीमक के मध्य जुगुन की भांति चमकते हुए दो छेद दिखे। जिसे देख राजकुमारी सुकन्या ने कुतुहलवश एक तिनका उठाया और चुभो दिया। जिससे महर्षि की आंखों से रक्त की धार बह निकली। खून निकलता देख राजकुमारी वहां से भाग निकली। सुकन्या के द्वारा तिनका चुभोने से महर्षि च्यवन मुनि का ध्यान भंग हुआ तो उन्होंने श्राप दे दिया। जिससे राजा के सैनिकों और प्रजा में महामारी फैल गई। यह बात जैसे ही राजा को पता चली तत्काल उन्होंने महर्षि से क्षमा-याचना किया।

सभी ऋषियों ने निर्णय लिया कि राजा को अपनी राजकुमारी सुकन्या को महर्षि च्यवन मुनि की सेवा के लिए छोड़ कर जाना होगा। राजा ने ऐसा ही किया जिससे उनकी पूरी प्रजा और सैनिक महामारी से ठीक हो गई। च्यवन मुनि की आंख को ठीक करने के लिए देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमार को बुलाया गया। अश्विनी कुमार ने महर्षि के सामने शर्त रखी कि वह उन्हें ठीक कर देंगे तो उन्हें अमृत पान कराया जाएगा। जिसको ऋषियों और मुनियों ने मान लिया था। अश्विनी कुमार ने एक कुंड की स्थापना की जिसमें च्यवन मुनि को स्नान कराने से उनकी आंखें ठीक हो गई और वह युवावस्था में आ गए। अश्वनी कुमार ने शर्त के अनुसार महर्षि की आंखें ठीक कर उन्हें युवा बना दिया।

महर्षि के अनुरोध पर अयोध्या नरेश ने सोमयज्ञ कराया, जिसमें सभी देवता और वैद्य अश्विनी कुमार बुलाए गए। अश्विनी कुमार को सोमपान कराए जाते देख कुपित इंद्र ने राजा को मारने के लिए वज्र उठा लिया। च्यवन मुनि ने स्तंभन मंत्र से इंद्र को जड़वत कर दिया और अमृत की रक्षा के लिए ऋषियों के आह्वान पर कुंड की रक्षा के लिए मां कालिका आह्वान किया जिससे मां स्वयं आकर विराजमान हुई। तभी से देवी मां आदि शक्ति यहां पर आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाओं को दर्शन मात्र से ही पूर्ण करने लगी।

इस धाम में आने वाले माँ के भक्तों की माने तो यहाँ पर जो लोग आते हैं उनकी मन मांगी मुराद पूरी होती है। यहां अमृत कुंड की नीर को लगाने से भक्तो के आंखों की समस्त परेशानी दूर होती है। जो भी भक्त सच्चे मन से माँ के मंदिर मे श्रद्धा से लगातार आता और माँ पर भरोसा रखता है उसकी मुराद हमेशा पूरी होती हैं, कभी खाली हाथ नहीं जाता है।

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