कारपोरेशन बैंक के 2013 बैच के पैनलबद्ध कर्मियों का बढ़ा सिरदर्द

लखनऊ। बैंक से जुड़े मामलों में मर्ज नीति आने के बाद यूनियन बैंक आफ इंडिया में कारपोरेशन बैंक का मर्ज हुआ। इसके बाद कारपोरेशन बैंक की अपनी नीति, जिसमें 10 वर्ष के पैनलबद्ध कर्मियों को स्थायी कर्मी कर दिया जाता था, यह व्यवस्था समाप्त हो गयी। यूनियन बैंक आफ इंडिया ने पुरानी नीतियों को मानने से इंकार करने से कारपोरेशन बैंक के 2013 बैच के पैनलबद्ध कर्मियों का सिरदर्द बढ़ गया है।

भारतीय मजदूर संघ से जुड़े हुए नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स के उप मुख्य महामंत्री प्रभाकर अवस्थी ने बताया कि कारपोरेशन बैंक के यूनियन बैंक आफ इंडिया में मर्ज होने के बाद से ही पैनलबद्ध कर्मियों का मामला उलझता चला गया। वर्ष 2013 बैच के सभी पैनलबद्ध बैंक कर्मियों को यूनियन बैंक आफ इंडिया अपनी ओर से स्थायी कर्मचारी का पद देने से इंकार कर रहा है।

उन्होंने बताया कि भारतीय मजदूर संघ और उससे जुड़े हमारे संगठन नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स ने यह लड़ाई अपने हाथ में ले ली है। जिससे 2013 बैच के सभी बैंक कर्मियों को न्याय दिलाया जा सके। इस मामले में हमारी मांग है कि सभी पैनलबद्ध कर्मियों को 12वें द्विपक्षीय वेतन समझौते का लाभ दिया जाये। साथ ही उनको रिक्त स्थायी पदों पर नियुक्त किया जाये।

बैंक जानकारों के अनुसार, कारपोरेशन बैंक के लगभग 1700 पैनलबद्ध कर्मी ऐसे हैं जो नियमित होने चाहिए। जिनकी समस्याएं आयेदिन चर्चा का विषय बन रही है। यूनियन बैंक स्टॉफ असोसिएशन (एनओबीडब्ल्यू) की ओर से पैनलबद्ध कर्मियों की जायज मांग को उठाया जा रहा है। फिर भी यूनियन बैंक आफ इंडिया के उच्च अधिकारी अभी तक समूचे प्रकरण में चुप्पी साधे हुए हैं।

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