महाराष्ट्र की नई सरकार में एकनाथ शिंदे की क्या भूमिका होगी, यह न तो शिवसेना बता रही है और न ही बीजेपी. वो भी तब, जब सरकार के शपथ ग्रहण की तारीख तय हो गई है. शिंदे को लेकर महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में कम से कम 3 चर्चाएं ऐसी चल रही है, जिसमें वे आगे क्या करेंगे, इसके बारे में बताया जा रहा है
महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शिवसेना के प्रमुख हैं और हालिया चुनाव में उनकी पार्टी को विधानसभा की 57 सीटों पर जीत मिली है शिंदे की पार्टी एनडीए की प्रमुख हिस्सेदार है.
क्या करेंगे शिंदे, 3 सिनेरियो
- डिप्टी CM और बड़े विभाग लेकर खुद शामिल हो- बीजेपी खुद के पास मुख्यमंत्री का पद रखना चाहती है और हिस्सेदारी फॉर्मूला के तहत अजित पवार और एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनाना चाहती है. अजित पवार इस फॉर्मूले का जिक्र भी कर चुके हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे विभाग को लेकर राजी नहीं हैं
शिंदे की कोशिश गृह विभाग लेने की है उनके गुट की तरफ से इसकी डिमांड भी की जा चुकी है. कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे अगर गृह विभाग लेकर डिप्टी सीएम बनते हैं तो वे इसे भी अपना प्रमोशन ही दिखाएंगे
शिंदे किसी भी स्थिति में भविष्य में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी नहीं छोड़ना चाहते हैं. शिंदे गुट का मानना है कि देवेंद्र फडणवीस की तरह अगर वे गृह विभाग लेकर डिप्टी सीएम बनते हैं तो उनके कद में ज्यादा कटौती नहीं होगा
महाराष्ट्र में पहले भी नारायण राणे, अशोक चव्हाण और देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री से मंत्री और उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं
- अपनी जगह किसी और को डिप्टी सीएम बना दें- महाराष्ट्र की सियासत में इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे विभाग बंटवारे पर अगर बात नहीं बनती है तो एकनाथ शिंदे अपनी जगह किसी और को डिप्टी सीएम बना सकते हैं
शिंदे सेना के भीतर डिप्टी सीएम को लेकर 5 नामों की चर्चा चल रही है पहला नाम शिंदे के सांसद बेटे श्रीकांत को लेकर है चर्चा है कि एकनाथ अपनी कुर्सी श्रीकांत को भी सौंप सकते हैं श्रीकांत अभी लोकसभा के सांसद हैं
श्रीकांत के अलावा दीपक केसरकर के नाम की भी चर्चा है रविवार को दीपक से एकनाथ शिंदे ने लंबी मंत्रणा की है शिवसेना में बगावत के वक्त दीपक ने शिंदे की तरफ से मोर्चा संभाले हुए था
उदय सामंत और गुलाबराव पाटिल के भी नाम की चर्चा चल रही है पाटिल के क्षेत्र में तो इस संबंध में पोस्टर-बैनर भी लगाए गए थे
- सरकार को बाहर से समर्थन देने का विचार- एकनाथ शिंदे को लेकर एक चर्चा यह भी है कहा जा रहा है कि अगर शिंदे की डिमांड सरकार में पूरी नहीं होती है, तो वे बाहर से समर्थन देने पर भी विचार कर सकते हैं
हालांकि, शिंदे के इस फैसले को प्रेशर पॉलिटिक्स के तौर पर देखा जा सकता है बाहर से फैसला देने का अर्थ है- सरकार को समर्थन देने बावजूद कैबिनेट और अन्य जगहों पर हिस्सेदारी न लेना
कहा जा रहा है कि शिंदे यह फैसला कर एकसाथ 2 धर्मसंकट से बच सकते हैं पहला धर्मसंकट उनके खुद के डिमोशन से जुड़ा है शिंदे पर सरकार में शामिल होने का प्रेशर है अगर वे शामिल नहीं होते हैं तो उनका डिमोशन नहीं हो पाएगा
दूसरा, अगर शिंदे खुद की जगह किसी को कुर्सी सौंपते हैं तो शिवसेना के भीतर नया सिनोरियो बन जाएगा शिंदे के लिए यह भविष्य में खतरा भी पैदा कर सकता है
शिंदे की चुप्पी भी इन चर्चाओं को दे रही बल
मुख्यमंत्री पद को लेकर एकनाथ शिंदे खुलकर अपनी बात कह रहे हैं, लेकिन सरकार में भूमिका को लेकर चुप हैं. शिंदे से जब पत्रकारों ने गृह मंत्रालय और हिस्सेदारी को लेकर सवाल पूछा तो वे कुछ नहीं बोले.
ऐसे में उनकी चुप्पी इन चर्चाओं को और ही ज्यादा बल दे रही है. हालांकि, अब सबकी नजर 5 तारीख को प्रस्तावित शपथ ग्रहण पर है.