आखिर Akhilesh Yadav कंफ्यूज क्यों? नमांकन होने के बाद इनका काट दिया टिकट

नई दिल्ली। पहले बदायूं, फिर बागपत, मुरादाबाद और अब मेरठ। कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही समाजवादी पार्टी में असमंजस का दौर खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। टिकटों के वितरण में सपा कुछ यूं उलझी है कि कुछ सीटों पर तीन-तीन बार उम्मीदवार बदले जा चुके हैं।

बात मेरठ-हापुड़ संसदीय क्षेत्र के हालिया घटनाक्रम से शुरू करते हैं। यहां समाजवादी पार्टी ने पहले अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। एक अप्रैल को उन्हें बदलकर पार्टी ने सरधना के विधायक अतुल प्रधान को टिकट दिया था। अतुल ने बुधवार को अपना नामांकन पत्र भर दिया, लेकिन बुधवार रात ही उनका टिकट काटे जाने की खबर आई।

सुनीता वर्मा को दिया टिकट
गुरुवार को पार्टी ने सुनीता वर्मा को टिकट दे दिया। सुनीता पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी हैं और महापौर भी रह चुकी हैं। कहते हैं कि जैसे ही अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह का टिकट कटा पूर्व विधायक योगेश सक्रिय हो गए और अंततः उन्हें पत्नी के लिए टिकट पाने में सफलता मिल गई। अब टिकटों के उस उलझाव में सपा कार्यकर्ता भी उलझे हैं तो यह तो होना ही था।

लोकसभा चुनाव के रण में जहां सत्ताधारी भाजपा व उसके सहयोगी दलों की सेनाएं प्रचार में डट चुकी हैं वहीं, मुख्य विपक्षी दल सपा अभी टिकटों में ही उलझी है। सपा में लगातार टिकट बांटने व काटने का दौर चल रहा है। बागपत लोकसभा सीट का टिकट बुधवार को बदलने के बाद अब सपा ने मेरठ में तीसरी बार प्रत्याशी बदल दिया है। अब तक आठ लोकसभा सीटों में सपा अपने प्रत्याशी बदल चुकी है, कुछ सीटों पर तो तीन-तीन बार प्रत्याशी बदले गए हैं।

टिकटों की इस अदला बदली से पार्टी के भीतर भी असंतोष के स्वर फूट रहे हैं, इससे पार्टी की चुनाव में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इससे पहले मुरादाबाद में भी डा. एसटी हसन नामांकन कर चुके थे। बाद में उनका टिकट काटकर रुचि वीरा को दे दिया गया था। सपा ने बुधवार को ही बागपत का प्रत्याशी भी बदला था। पहले मनोज चौधरी को टिकट दिया था, अब अमर पाल शर्मा को प्रत्याशी बना दिया गया है।

इससे पहले मिश्रिख लोकसभा सीट पर भी सपा तीन बार टिकट बदल चुकी है। यहां पहले पिता रामपाल राजवंशी, फिर बेटे मनोज और अब बहू संगीता राजवंशी प्रत्याशी हैं। गौतमबुद्ध नगर में भी तीन बार टिकट बदले गए। पहले डा. महेंद्र नागर को टिकट दिया गया, फिर राहुल अवाना प्रत्याशी बनाए गए। बाद में राहुल का टिकट काटकर फिर से डा. महेंद्र नागर को प्रत्याशी बनाया गया था। बिजनौर सीट पर यशवीर सिंह का टिकट काट दीपक सैनी को प्रत्याशी बनाया गया था।

संभल से सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के बाद उनके पौत्र व मुरादाबाद की कुंदरकी से विधायक जियाउर्रहमान बर्क को प्रत्याशी बनाया गया। बदायूं में पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की जगह सपा पहले ही राष्ट्रीय महासचिव व विधायक शिवपाल सिंह यादव को प्रत्याशी बना चुकी थी। अब यहां पर शिवपाल की जगह उनके बेटे आदित्य यादव को टिकट दिया जा सकता है। शिवपाल इसके लिए मनोवैज्ञानिक दबाव बना चुके हैं। वह कह चुके हैं कि बदायूं की जनता किसी युवा को इस क्षेत्र से चुनाव लड़ाना चाहती है।

पार्टी में कोई दिक्कत नहीं
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सबकी सहमति से टिकट देते हैं। कुछ टिकटों पर हमारे यहां दिक्कत हुई, जिन्हें बदला गया है। सपा में लोकतांत्रिक तरीके से निर्णय होते हैं। यदि किसी कार्यकर्ता या नेता ने घोषित प्रत्याशी के बारे में कोई नकारात्मक राय दी तो पार्टी के मुखिया को अपना निर्णय बदलने में भी कोई दिक्कत नहीं होती है। पार्टी में कहीं कोई दिक्कत नहीं है, सभी घोषित उम्मीदवारों को जिताने में जुटे हुए हैं। -राजेन्द्र चौधरी, मुख्य प्रवक्ता, सपा

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