चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को बड़ी राहत देते हुए करनाल विधानसभा सीट के लिए आयोजित होने वाले उपचुनाव को चुनौती देने वाली याचिका को रद्द कर दिया है। याचिका के रद्द होने के साथ ही अब उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है।
इससे पहले भारतीय चुनाव आयोग द्वारा करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस सुधीर सिंह व जस्टिस हर्ष बांगड पर आधारित बेंच ने याचिका पर सुनवाई की।
करनाल निवासी कुनाल द्वारा दायर याचिका में कानून का हवाला देकर कहा गया कि आयोग उपचुनाव नहीं करा सकता, क्योंकि हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम है। याचिका में भारतीय चुनाव आयोग को करनाल विधानसभा क्षेत्र के लिए जारी चुनाव कार्यक्रम को रद करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
करनाल विधानसभा सीट 13 मार्च को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के इस्तीफे के कारण खाली हुई थी। हरियाणा में विधानसभा के आम चुनाव इस साल अक्टूबर में होने हैं। याचिकाकर्ता द्वारा चुनाव आयोग और हरियाणा सरकार को दी गई याचिका की अग्रिम प्रतियों के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151ए के प्रविधान (ए) के अवलोकन से पता चलता है कि यदि विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम है तो आयोग के पास उपचुनाव कराने का कोई अधिकार नहीं है।
याचिका में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि महाराष्ट्र के अकोला निर्वाचन क्षेत्र के उप चुनाव के बारे में चुनाव आयोग ने 15 मार्च को चुनाव कार्यक्रम घोषित किया था। आयोग के इस फैसले को बाम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
हालांकि, कोर्ट ने चुनाव अधिसूचना को इस आधार पर रद कर दिया कि विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने में एक वर्ष से भी कम समय बचा है। बाम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के इस आदेश के बाद भारतीय चुनाव आयोग ने 27 मार्च को अकोला निर्वाचन क्षेत्र के संबंधित उपचुनाव को रोक दिया।