अमेठी। शादी के निमंत्रण में साथ ले जाने के दौरान नौ वर्षीय मासूम से दुष्कर्म की घिनौनी वारदात को अंजाम देकर रिश्ते को दागदार करने वाले 21 वर्षीय आरोपी दिनेश पाल को स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा की अदालत ने दोषी ठहराया है, जिसे अदालत ने उम्र-कैद एवं 51 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। आरोप-पत्र दाखिल होने के बाद कोर्ट की सक्रियता से महज 60 दिनों में पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है।
मामला संग्रामपुर थाना क्षेत्र से जुड़ा है। जहां के रहने वाले अभियोगी पिता ने बीते आठ दिसम्बर की घटना बताते हुए स्थानीय थाने में मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक घटना की तारीख को अमेठी कोतवाली क्षेत्र स्थित भीमी गांव का रहने वाला उसका रिश्तेदार दिनेश पाल उनके घर आया और शादी के निमंत्रण में अभियोगी की नौ वर्षीय बेटी को साथ ले गया,इसी दौरान आरोपी दिनेश की नीयत पीड़िता के प्रति खराब हो गई। आरोप के मुताबिक रास्ते में आरोपी दिनेश पाल ने मासूम पीड़िता को खिलाया- पिलाया और उसके बाद उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। मासूम के साथ हुई इस घिनौनी वारदात से पीड़िता के काफी खून बह रहा था,लेकिन आरोपी दिनेश पाल पीड़िता को आनन-फानन में उसके घर पहुंचाकर जल्दी से भागने की फिराक में था। वहीं पीड़िता घर पहुंचते ही रोने लगी और घर वालों को सारी बात बताई। जिसके बाद घर वालों ने आरोपी दिनेश को पकड़ लिया और पीड़िता को अस्पताल ले गए। मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी के जरिए किए गए इस कुकर्म की शिकार पीड़िता की तबीयत कई दिनों तक खराब रही।
इस मामले में अभियोगी की तहरीर पर उसी दिन मुकदमा दर्ज हुआ और आरोपी दिनेश भी गिरफ्तार कर लिया गया,जिसे जेल भेजने की कार्रवाई की गई। मामले में पुलिस ने करीब डेढ़ महीने में अपनी तफ्तीश पूरी कर कोर्ट में आरोप-पत्र दाखिल किया। जिसके पश्चात स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने बीते 30 जनवरी को आरोप-पत्र पर संज्ञान लिया और मामले का ट्रायल शुरू हुआ। ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष ने अपने साक्ष्यों एवं गवाहो को अदालत में पेश किया,यहां तक कि मामले की गवाह मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉक्टर की व्यस्तता व असमर्थता के चलते वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उनका साक्ष्य कोर्ट ने कराया। अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक सीएल द्विवेदी ने अपने जरिए पेश किए गये साक्ष्य को पर्याप्त बताते हुए आरोपी दिनेश पाल को दोषी ठहराकर उसे इस घिनौने अपराध के लिए कड़ी से कड़ी सजा से दंडित किए जाने की मांग की। वहीं बचाव से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आरोपी दिनेश पाल के दुश्मनों के उकसाने पर फर्जी मुकदमा दर्ज कराने का तथ्य पेश करते रहे।
बचाव पक्ष के जरिए मामले में कई कानूनी दांव-पेंच लगाकर अंतिम दम तक फैसले को भी रोकना चाहा गया। यहां तक कि मामले में बहस की कार्रवाई पूरी कर देने के बाद भी बचाव पक्ष के जरिए फैसले के दिन यानी बीते शनिवार को कोर्ट में अर्जी देकर एफ.एस.एल. रिपोर्ट न आ जाने तक फैसले को स्थगित रखने की मांग की गई,हालांकि जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने पत्रावली में आए साक्ष्यो को पर्याप्त मानते हुए फैसले को रोकना उचित नहीं समझा और फैसला सुनाया गया, जिसमें आरोपी को अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्र-कैद एवं 51 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। इस मामले में अदालत की सक्रियता से पीड़िता को घटना की तिथि से मात्र 113 दिन के भीतर एवं अदालत में चार्जशीट दाखिल होने व उस पर संज्ञान होने के बाद से मात्र 60 दिनों के भीतर फैसला आने से न्याय मिल गया और दोषी दिनेश पाल को उसकी करनी की सजा मिल गई। जज पवन कुमार शर्मा की अदालत से दोषियों को सजा मिलने एवं निर्दोषों को बरी करने का सिलसिला लगातार जारी है, जिससे असल यौन अपराधियों में कानून के प्रति दहशत का माहौल है।