अलीगढ़। परंपराओं के बंधन से मुक्त हुए जागरूक किसान नवाचार से खेतों में आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर उकेर रहे हैं। गांव कैथवारी के सतीश तोमर ने मेडिकल फार्मा कंपनी की नौकरी छोड़कर विरासत में मिली खेती बाड़ी को संभाला और सरकारी सहयोग से समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।
अर्थशास्त्र से एमए और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का डिप्लोमा कर चुके सतीश ने रासायनिक खाद पर निर्भर 10 हेक्टेयर में फैली खेती बाड़ी को जैविक में ढाला। अब वे 25 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। ई-कॉमर्स वेबसाइट के माध्यम से उन्होंने ऑनलाइन मार्केट में अपने ब्रांड के जैविक उत्पाद उतारे हैं। स्वावलंबन के मार्ग वे स्वयं तो चले ही, 20-22 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया। सालाना टर्नओवर एक करोड़ रुपये से ऊपर है।
उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ की इगलास तहसील के गांव कैथवारी निवासी सतीश के पिता हरी सिंह परंपरागत खेती बाड़ी करते थे। नौकरी में मन नहीं लगा तो सतीश ने खेती बाड़ी में नवाचार तलाशना शुरू किया। प्राकृतिक खेती के बारे से जानकारी जुटाई। इसमें सफल हुए किसानों की कहानियां पढ़ीं। फिर पांच किसानों को जोड़कर एसआरएच आर्गेनिक फर्म गठित कर प्राकृतिक खेती शुरू कर दी।
वे बताते हैं कि शुरुआत में परेशानियां सामने आईं। उत्पादन कम हुआ, उचित बाजार नहीं मिला। पर, हार नहीं मानी। जैविक उत्पाद की होम डिलीवरी शुरू की। कोरोना काल के बाद बाजार में जैविक उत्पाद की मांग काफी बढ़ गई।
खेत का दायरा बढ़ाकर 25 हेक्टेयर कर लिया। वर्मी कंपोस्ट यूनिट पहले से थी। इस यूनिट में 15-20 तरह के बायो फर्टिलाइजर बनाए जा रहे हैं। फर्म का शुरुआती सालाना टर्नओवर 10 लाख रुपये था, जो बढ़कर अब एक करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया है।
जैविक उत्पाद के मिनी स्टोर
कांट्रेक्ट फार्मिंग (अनुबंध खेती) के माध्यम से अपने ब्रांड (एसआरएच ऑर्गेनिक फूड) का जैविक उत्पाद घर-घर पहुंचाने के लिए सतीश जगह-जगह मिनी स्टोर खोलने की तैयारी कर रहे हैं।
वे बताते हैं कि मिनी स्टोर खुलने से लोगों को जैविक अनाज, सब्जियां, फल आदि आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे। एसआरएच ब्रांड से मल्टीग्रेन आटा, काला नमक राइस, मोरिंगा सीड्स, हल्दी पाउडर, आर्गेनिक केन शुगर सहित 16 तरह के जैविक उत्पाद उपलब्ध हैं। सिंचाई के लिए अनुदान पर सोलर पंप लगवाया है।
निर्यात की तैयारी
जैविक उत्पाद निर्यात करने के लिए सतीश को डायरेक्टर जनरल फार फारेन ट्रेड (डीजीएफटी) का लाइसेंस मिल चुका है। इसके माध्यम से वह अपनी ब्रांड का उत्पाद निर्यात कर सकेंगे। उनकी ई-कामर्स वेबसाइट पर उन्हें विभिन्न राज्यों से ऑर्डर मिल रहे हैं।
गेहूं में भी श्रीराम
सतीश ने छह हेक्टेयर में गेहूं की फसल की है। इस फसल की वैरायटी श्रीराम 303 है। वे बताते हैं कि इस वैरायटी का गेहूं खाने में स्वादिष्ट है और भरपूर पोषक तत्व हैं। इस गेहूं का दाना अन्य गेहूं की अपेक्षा लंबा होता है। पौधों में कल्लों की संख्या अधिक होती है, जिससे उत्पादन अधिक मिलता है। इसका औसत उत्पादन 75 से 80 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक है।
पढ़े-लिखे युवा भी खेती बाड़ी में भविष्य संवार रहे हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर फसलों का दायरा तो बढ़ा ही रहे हैं, निर्यात के रास्ते भी तलाश रहे हैं। ऐसे किसानों को सरकार द्वारा समय-समय पर प्रोत्साहित किया जाता है।
-राकेश बाबू, संयुक्त कृषि निदेशक