नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिरासत में मौत के मामले में आरोपित पुलिस अधिकारी को जमानत पर रिहा करने से पहले अदालत को सख्त दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। पुलिस अधिकारी एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक प्रभाव डाल सकता है। इन टिप्पणियों के साथ उसने एक पुलिस कांस्टेबल को दी गई जमानत को रद्द कर दिया।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि हिरासत में मौत के मामले में आरोपित पुलिस अधिकारी की जमानत के सवाल पर निर्णय लेने के लिए कड़े रवैये की जरूरत है। ऐसे कथित अपराध गंभीर प्रकृति के हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में उसने किसी आरोपित को जमानत देने के आदेश को अमान्य करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं किया होगा।
शीर्ष अदालत हिरासत में मौत के मामले में एक पुलिस कांस्टेबल को दी गई जमानत के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी। मृतक को डकैती से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया था और 11 फरवरी, 2021 को उसे हिरासत में ले लिया गया था। कुल मिलाकर इस मामले में 19 पुलिस अधिकारियों को आरोपित बनाया गया है।