लखीमपुर। लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से एक दिन पहले समीपवर्ती कई जिलों में छोटी काशी के नाम से विख्यात पौराणिक शिव मंदिर के प्रस्तावित कॉरिडोर को लेकर 69.14 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार के द्वारा स्वीकृत किए गए हैं। जिसको लेकर शहर के लोगों के साथ आसपास जिले के रहने वाले श्रद्धालुओं में हर्ष का माहौल है।
अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रस्तावित कॉरिडोर का निर्माण कार्य शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा। छोटी काशी में विराजमान भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए हर महीने हजारों और सावन के महीने में कई लाख श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
यहां लगता है श्रद्धालुओं का रेला
इसी के साथ नाग पंचमी के बाद पड़ने वाले सोमवार को यहां प्रदेश का सबसे बड़ा एक दिवसीय बाबा भूतनाथ का मेला लगता हैं। पूरे सावन महीने में श्रद्धालु यहां हरिद्वार, फर्रुखाबाद, बहराइच से कावर में जल भरकर जलाभिषेक करने के लिए लाखों की संख्या में आते हैं।
सीएम योगी ने किया था एलान
भाजपा विधायक अमन गिरि और नगर पालिका अध्यक्ष विजय शुक्ला रिंकू ने बताया कि पौराणिक शिव मंदिर में कॉरिडोर बनने से श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होगा। और उनकी सुख सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा। वर्ष 2022 में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करने आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बनारस की तर्ज पर गोला में छोटी काशी कॉरिडोर बनाने की घोषणा की थी।
आर्किटेक्ट ने भी किया था निरीक्षण
उसके बाद सितंबर 2022 में विधायक अरविंद गिरि के निधन के उपरांत उन्हें श्रद्धांजलि देने आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पौराणिक शिव मंदिर में दर्शन कर परिक्षेत्र का बारीकी से निरीक्षण किया था। उसके बाद कई बार आर्किटेक्ट उत्कर्ष शुक्ला और भानु प्रताप सिंह के द्वारा राजस्व और पर्यटन विभाग की टीम के साथ निरीक्षण का रूपरेखा तैयार की गई।
जब श्रद्धालुओं में छाई थी मायूसी
उत्तर प्रदेश सरकार का बजट घोषित होने के बाद कॉरिडोर के लिए धन आवंटित न होने के कारण श्रद्धालुओं में मायूसी छाई दिखाई दी। इसके बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने मंदिर का निरीक्षण कर वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री से वार्ता करने को कहा था।
त्रेता युग के पौराणिक शिवमंदिर का है विशिष्ठ स्थान
आस्था और विश्वास के चलते छोटी काशी के नाम से विख्यात यह शिवनगरी में पूरे साल पूजन और धार्मिक अनुष्ठानों के लिये आने वाले हजारों तीर्थयात्रियों की गहमागहमी से गुलजार रहती है। छोटी काशी के त्रेता युग के पौराणिक शिवमंदिर को विशिष्ठ स्थान है।
भोलेनाथ ने रखी ये शर्त
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लंकापति रावण ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को अपने साथ लंका ले जाने का वरदान प्राप्त कर लिया था। लेकिन इस शर्त के साथ भगवान जाने को राजी हुये कि वह जहां भी अपने सिर से शिवलिंग रूपी शिव को जमीन पर उतार देगा वह वहीं स्थापित हो जाएंगे।
विष्णु पुराण में बताई गई है ये कथा
विष्णु पुराण में वर्णित है कि गोकर्ण क्षेत्र की हरीतिमा को देख भगवान शिव ने यहीं बसने के लिये लीला रची जिससे तीव्र लघुशंका से ग्रसित रावण ने शिवलिंग एक चरवाहे को सौंप दिया। भगवान शिव का भार वह सहन नहीं कर पाया और भगवान शिव यहीं गाय के कान के आकर के दुर्लभ शिवलिंग रूप में विराजमान हो गये। हालांकि वापस आये रावण ने यह देख चरवाहे को दौड़ाया और शिवलिंग को भी उठाना चाहा पर वह सफल नहीं हो पाया । माना जाता है कि वहीं शिवलिंग आज भी विराजमान है, जहां दर्शन करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है।