देहरादून। चीन और नेपाल की लंबी सीमा से सटा उत्तराखंड क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से भले ही दुर्गम और दूरस्थ रहा हो, लेकिन जब बात राष्ट्रभक्ति की हो तो प्रदेश पूरे देश के लिए मिसाल बन जाता है। राष्ट्रीय मुख्यधारा से इस हिमालयी प्रदेश के जुड़ाव में बड़ी भूमिका इसकी सैन्य बहुल पृष्ठभूमि में निहित है। प्रदेश के कुल मतदाताओं में सैन्य पृष्ठभूमि के मतदाताओं की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है। यदि इनके साथ युवा मतदाताओं को भी सम्मिलित किया जाए तो इनका कुल मत प्रतिशत बढ़कर 30 से 35 प्रतिशत तक पहुंचता है।
मतदाताओं के इस बड़े वर्ग को केंद्र में रखकर कांग्रेस ने उत्तराखंड में अग्निवीर योजना और बेरोजगारी को लोकसभा के चुनावी समर में अपने प्रमुख हथियार बनाए हैं। अग्निवीर योजना के विरोध को लेकर जहां पार्टी मुखर है, वहीं युवा न्याय के रूप में बेरोजगार युवाओं को रोजगार की गारंटी देने का वायदा किया जा रहा है। लोकसभा का चुनावी समर उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए बेहद खास बन चुका है।
जीत के लिए तरस रही कांग्रेस
प्रदेश में कभी अपनी धुर विरोधी भाजपा की तुलना में व्यापक जनाधार रखने वाली पार्टी पिछले दो लोकसभा चुनाव जीतने को तरस गई। भाजपा के बढ़ते वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस केंद्र और प्रदेश की नीतियों में उन बिंदुओं पर खूब मेहनत कर रही है, जिनमें उसे जन समर्थन मिलने की उम्मीद है। यही कारण है कि सैनिक बहुल प्रदेश में पार्टी अग्निवीर योजना के विरोध के चुनावी शस्त्र को लेकर जनता के बीच पहुंच रही है।
रोजगार की गारंटी के वायदे
सैनिक बहुल परिवार और युवा मतदाताओं का यह वर्ग चुनाव की तस्वीर बदलने की क्षमता रखता है। कांग्रेस प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों पर इस मुद्दे को गरमाने जा रही है। पूर्व सैनिकों व सैनिकों की संख्या लगभग 2.58 लाख बताई जाती है। इनके साथ परिवारों को जोड़ने पर यह कुल मतदाताओं का लगभग 12 प्रतिशत हो जाता है।
18 से 19 और 20 से 29 आयु वर्ग के युवा मतदाताओं की संख्या क्रमश: 1.74 प्रतिशत और 20 प्रतिशत है। प्रमुख प्रतिपक्षी पार्टी इन मतदाताओं को साधने के लिए अग्निवीर के साथ ही युवाओं को रोजगार की गारंटी के वायदे को प्रमुखता से पांचों लोकसभा क्षेत्रों में जनता के बीच ले जाने की तैयारी में है।