नई दिल्ली। लाभ में सुधार के चलते सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) चालू वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार को 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का लाभांश दे सकते हैं। पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाही में सभी 12 पीएसबी का शुद्ध लाभ 98 हजार करोड़ रुपये रहा है, जो वित्त वर्ष 2022-23 के कुल लाभ से सात हजार करोड़ रुपये कम है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सभी पीएसबी का कुल लाभ 1.95 लाख करोड़ रुपये रहा था।
इसके चलते सरकार को 13,804 करोड़ रुपये का लाभांश मिला था। यह वित्त वर्ष 2021-22 के लाभांश 8,718 करोड़ रुपये से 58 प्रतिशत ज्यादा था। सूत्रों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में पिछले वर्ष के मुकाबले लाभ ज्यादा है। ऐसे में सरकार को मिलने वाला लाभांश भी ज्यादा होगा।
इससे पहले जनवरी में RBI ने अपनी ड्रॉफ्ट गाइडलाइंस में 6 फीसदी से कम नेट नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NNPA) अनुपात वाले बैंकों को डिविडेंड घोषित करने की मंजूरी देने का प्रस्ताव रखा था।
अभी बैंकों को डिविडेंड की घोषणा के लिए पात्र बनने के लिए 7 फीसदी तक NNPA अनुपात की जरूरत होती है, जिसे आखिरी बार 2005 अपडेट किया गया था। केंद्रीय बैंक का प्रस्ताव है कि नई गाइडलाइंस अगले वित्त वर्ष 2025 से लागू होनी चाहिए।
इससे पहले 1 मार्च को लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ने सरकार को 2441.44 करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया था। एलआईसी का मालिकाना हक सरकार के पास है। इसमें सरकार की हिस्सेदारी 96.5 फीसदी है। पिछले साल LIC ने सरकार को 1831.09 करोड़ रुपये के डिविडेंड का चेक सौंपा था।
हालांकि, ऐसा नहीं है कि एलआईसी हर साल डिविडेंड देती है। इसने वित्त वर्ष 2021 में कोई डिविडेंड नहीं दिया था। तब सरकार ने बताया था कि LIC ने डिविडेंड देने की बजाय फ्री रिजर्व का इस्तेमाल अपना पेड-कैपिटल बढ़ाने में किया था।