लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में न सिर्फ रिकार्ड संसदीय सीटें जीतने के प्रति आश्वस्त नजर आते हैं, बल्कि आत्मविश्वास से ओतप्रोत भी। कहते हैं- ‘विपक्ष एकजुट होने का स्वांग तो करता है, लेकिन उनका गठबंधन स्वार्थ का है, जबकि मोदी एक ब्रांड हैं, विकास की गारंटी हैं, रोजगार की गारंटी हैं, निवेश की गारंटी हैं, परिवार कल्याण की गारंटी हैं।’
मुख्यमंत्री कहते हैं कि लोगों ने महसूस किया है कि प्रदेश के हर सेक्टर में परिवर्तन हुआ है। भाजपा इस चुनाव में अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने जा रही है। समाजवादी पार्टी के पीडीए फार्मूले पर वह कहते हैं यह ‘परिवार दंगा एसोसिएशन’ है, भाजपा का मुकाबला कर ही नहीं सकता। जिन लोगों को शौचालय मिले हैं, आवास मिला है, सम्मान निधि और मुफ्त राशन जैसी योजनाओं से लाभान्वित हुए हैं, क्या उनमें पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक नहीं हैं।
लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण से पहले मुख्यमंत्री ने अपने पांच कालिदास मार्ग स्थित आवास पर राज्य संपादक (उत्तर प्रदेश) आशुतोष शुक्ल के साथ जितेन्द्र शुक्ल, अजय जायसवाल और हरिशंकर मिश्र से विस्तृत बातचीत की…
सवाल: दो दिन बाद आपकी सरकार सात साल पूरे करने जा रही है। इस कार्यकाल को स्वयं आप किस दृष्टि से देखते हैं?
जवाब: सात वर्षों में लोगों ने यह महसूस किया है कि प्रदेश के हर क्षेत्र में परिवर्तन हुआ है। कुछ नयापन देखने को मिला है, हर एक सेक्टर में…. चाहे बात सुरक्षा की हो, विकास की हो, लोक कल्याण की हो या फिर निवेश और रोजगार की… हर सेक्टर में बदलाव दिखा है। यह बदलाव मोदीजी का विजन है।
सवाल: कितनी सीटें उत्तर प्रदेश देने जा रहा है भाजपा को?
जवाब: मैं स्पष्ट तौर पर कह सकता हूं कि अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल करने वाले हैं। फिलहाल हमारे सामने किसी भी सीट पर चुनौती नहीं है। आपने देखा होगा कि पिछले उपचुनाव में तो हम सबसे कठिन मोर्चे आजमगढ़ और रामपुर भी फतह कर चुके हैं। कहीं कोई चुनौती नहीं है, लेकिन चुनाव है, जनता-जनार्दन सब देख रही है, वही फिर हमें आशीर्वाद देगी।
सवाल: मजबूत लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष जरूरी है, पर कांग्रेस की जो स्थिति है, उसे आप कैसे देखते हैं?
जवाब: देखिए, हम यह मानते हैं कि सरकार और विपक्ष को मिलकर व्यवस्था को चलाना होता है, लेकिन यह तभी संभव है जब एजेंडा विकास हो। सरकार देश के बारे में सोच रही है और वे परिवार के बारे में। सरकार सुरक्षा के बारे में सोच रही है और वे अराजकता के बारे में। सरकार दंगामुक्त प्रदेश के बारे में सोचती है तो वे दंगाइयों को गले लगाने के बारे में। दोनों में अंतर है। विपक्ष तभी सार्थक है, जब वह भी विकास के एजेंडे में अपना साथ निभाए। उनका अपना एजेंडा हो सकता है, लेकिन जनहित सर्वोपरि रखना चाहिए।
सवाल: आपको नहीं लगता जाति के नाम पर राजनीति करने वाले छोटे दल राष्ट्रीय राजनीति के लिए शुभ नहीं ?
जवाब: देखिए, हम सबको साथ लेकर चलते हैं। कुछ लोग साथ चलते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। कुछ पीछे छूट जाते हैं, फिर वे दौड़ने का प्रयास करते हैं। जो साथ चलते हैं, वे मंजिल पर पहुंच जाते हैं, जो छूट जाते हैं, वे भटक जाते हैं।
सवाल: आप एक मठ के प्रमुख हैं और मुख्यमंत्री भी। दोनों की प्रकृति अलग है। कैसे सामंजस्य बैठा पाते हैं?
जवाब: देखिए, दो चीजें हैं। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। दोनों को हम एक-दूसरे का विरोधी नहीं मानते। हमारे यहां धर्म की जो परिभाषा है, वह बहुत सरल है। धर्म क्या है… यतो अभ्युदय नि:श्रेयस सिद्धि:स धर्म:… । कहते हैं, हमें आध्यात्मिक उन्नयन के साथ-साथ भौतिक उन्नयन के लिए भी काम करना है। मैं यहां (लखनऊ) रहता हूं तो प्रदेश के भौतिक विकास के लिए चर्चा करता हूं और गोरखपुर में रहता हूं तो अभ्युदय व आध्यात्मिक उन्नयन के लिए कार्य करता हूं। दोनों को एक साथ मिलाकर चलता हूं तो सफलता का मार्ग खुद-बद-खुद प्रशस्त हो जाता है।
सवाल: इस चुनाव में भी मोदी-योगी ही चेहरा हैं, यहां तक कि सांसद भी अपने काम के बजाय मोदी-योगी के ही नाम पर जनता के बीच जा रहे हैं?
जवाब: देखिए, मोदीजी तो हम सबके नेता हैं। मोदीजी के नाम पर तो हर व्यक्ति जनता जनार्दन के पास जाएगा ही। जनप्रतिनिधि मेहनत करते हैं। अपने प्रस्तावों को राज्य और केंद्र सरकार के पास ले जाते हैं। मेरा यह मानना है कि अगर लोक कल्याण और गरीब कल्याण के कार्यों को कोई जनप्रतिनिधि जनता के सामने रख दे तो कोई उन्हें आगे बढ़ने से रोक नहीं सकता।
सवाल: आयकर के नए कानून 43 (बीएच) की वजह से प्रदेश के कपड़ा व्यापारियों का काफी नुकसान हो रहा है। व्यापारियों की मांग है कि उन्हें 45 दिन की बजाय 90 दिन का समय दिया जाए। उत्तर प्रदेश के व्यापारियों के हित को ध्यान में रखते हुए आपके स्तर पर क्या प्रयास किए जाएंगे?
जवाब: व्यापारियों की समस्याओं को उचित मंच पर रखा जा चुका है। जल्द ही इसका समाधान होगा।
सवाल: आप पांच बार सांसद रहे और लगातार दूसरी बार उप्र के मुख्यमंत्री हैं। चुनाव प्रचार का आपको लंबा अनुभव है और आपकी देशभर में मांग भी बहुत रहती है। यूपी में इधर इन्फ्रा पर काम भी हुआ, लेकिन चुनाव आते ही जाति और धर्म उभर आता है। आपको क्या लगता है कि चुनाव में विकास और राष्ट्रवाद बड़ा मुद्दा है या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण?
जवाब: देखिए, मोदी जी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद देश को इस बात के लिए आश्वस्त किया था कि सरकार व्यक्ति, जाति, वर्ग और मजहब नहीं, बल्कि सबका साथ और सबके विकास की भावना के साथ काम करेगी। देश के हर तबके को सम्मान देगी। हम सबको (गांव, गरीब, किसान, महिलाएं, व्यापारी) साथ लेकर चलेंगे। पिछले 10 वर्ष में आपने यह देखा होगा कि सबका साथ, सबका विकास अब मंत्र बन चुका है।
योजनाओं का लाभ सबको मिल रहा है। सुरक्षा सबको देंगे, लेकिन तुष्टिकरण किसी का नहीं करेंगे। यह संकल्प फलीभूत हुआ है। हो सकता है किसी को वोट देने में परहेज हो, लेकिन जब एकांत में आप उससे पूछेंगे तो वह भी कहेगा कि मोदीजी के नेतृत्व में मुझे इस योजना का लाभ मिला है, इसलिए मुझे मोदीजी को चुनना चाहिए। उसकी प्रथम प्राथमिकता मोदीजी होंगे। अब जब लोकसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तो हम मोदीजी के नेतृत्व में चुनावी सफर पर हैं।
हमारा यह सौभाग्य है कि दुनिया का सबसे करिश्माई और यशस्वी नेतृत्व मोदीजी के रूप में हमारे पास है। हमने 10 वर्षों में बदलते हुए भारत को देखा है, विकास, लोककल्याण के साथ ही आस्था का सम्मान भी करके दिखाया है। दूसरी तरफ विपक्ष के मित्रगण हैं, जो एकजुट होने का स्वांग तो करते हैं, लेकिन उनमें स्वार्थ जुड़ा है। एक तरफ मिशन फर्स्ट के अभियान के साथ मोदी जी हैं तो दूसरी तरफ परिवार फर्स्ट के स्वार्थी अभियान के साथ जुड़े विपक्ष के गठबंधन से जुड़े लोग। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक रूप से जनता जनार्दन का आशीर्वाद मोदीजी को मिलने जा रहा है।
पिछले 10 वर्षों के कामकाज की बदौलत आज मोदीजी एक ब्रांड बन चुके हैं। मोदी मतलब 12 करोड़ गरीबों के लिए घर में शौचालय, मोदी मतलब देश के 12 करोड़ किसानों को सम्मान निधि, मोदी मतलब चार करोड़ गरीबों को छत देना, मोदी मतलब देश के अंदर 50 करोड़ गरीबों को पांच लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा का कवर देना, मोदी मतलब बिना भेदभाव के गरीब को योजना का लाभ देना… स्वाभाविक है कि मोदी गारंटी, आज इस देश की गारंटी बन चुकी है। गारंटी पर जनता-जनार्दन भी मुहर लगाने के लिए तैयार है।
सवाल: सपा-कांग्रेस गठबंधन लोकसभा चुनाव में चमत्कार के दावे कर रहा है। हालांकि, अब रालोद एनडीए के साथ है और आइएनडीआइए गठबंधन से अपनादल (कमेरावादी) सहित अन्य छोटे दल किनारा कर रहे हैं। सपा या गठबंधन की चुनौती को कैसे देखते हैं आप?
जवाब: आपको क्या लगता है… इससे बड़ा गठबंधन तो सपा-बसपा का 2019 में ये लोग कर चुके हैं और कम से कम ‘दो युवाओं’ का गठबंधन तो 2017 में भी रह चुका है। यूपी की जनता ने उस गठबंधन को जो जवाब दिया था, उसके बाद से अब तक प्रदेश में मां गंगा और सरयू में काफी पानी बह चुका है। प्रदेश की जनता-जनार्दन उनको फिर से जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
सवाल: सपा प्रमुख अखिलेश यादव के ‘पीडीए’ का लोकसभा चुनाव में कितना असर देखते हैं?
जवाब: मैंने पहले भी कहा है कि एक तरफ मोदीजी के नेतृत्व में राष्ट्र प्रथम है, दूसरी तरफ इनका पीडीए यानी ‘परिवार डेवलपमेंट अथारिटी’ या यूं कहें कि इनका जो पीडीए है वह एक ‘परिवार दंगा एसोसिएशन’ बन कर रह गई है। परिवार के नेतृत्व में दंगा होता था, अराजकता होती थी, गुंडागर्दी होती थी। मुझे बताएं कि जिन 56 लाख गरीबों को एक-एक आवास मिला है, क्या वह पीडीए के पार्ट नहीं थे?
आज के दिन यूपी में कोई दल यह नहीं कह सकता कि वह उप्र की सत्ता में नहीं रहा, इसलिए हमें यह अवसर नहीं मिला। आपको तो मौका मिला था, आपने किया क्यों नहीं? चाहें वह सपा हो, बसपा हो, कांग्रेस हो या कोई भी हो, यह नहीं कह सकते कि उन्हें सत्ता में रहने का मौका नहीं मिला। आज 56 लाख गरीबों को प्रदेश में मकान मिला, पौने तीन करोड़ गरीबों को शौचालय मिला, 10 करोड़ गरीबों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा का कवर मिला, 15 करोड़ गरीबों को फ्री में राशन की सुविधा का लाभ मिल रहा है।
ऐसे ही प्रदेश में ओडीओपी, विश्वकर्मा श्रम सम्मान, कन्या सुमंगला सहित ऐसी तमाम योजनाओं के लाभार्थी क्या पीडीए के पार्ट नहीं हैं? तब भी थे, लेकिन तब सरकार का न विजन था और न ही इंप्लीमेंट करने का विल पावर। आज सरकार ने ईमानदारी के साथ इसे लागू किया है। जो लाभान्वित हुए हैं, उनके जीवन में खुशहाली आई है। स्वाभाविक रूप से जनता-जनार्दन की खुशहाली ही हमारी खुशहाली है।
सवाल: बसपा के अकेले लड़ने से भाजपा को क्या फायदा होते देख रहे हैं?
जवाब: देखिए, किसी के लड़ने या गठबंधन का पार्ट होने से बीजेपी का वोट बैंक प्रभावित नहीं होता है। बीजेपी, मोदीजी के नेतृत्व में अपने कार्य के भरोसे जनता-जनार्दन का आशीर्वाद पाने में सफल रहेगी। विपक्ष के गठबंधन बनते और टूटते रहते हैं, जितनी बार बनता है, उससे ज्यादा बार टूट भी जाता है।
यही नीयत है, इन लोगों की, क्योंकि स्वांग पर आधारित गठबंधन है। न मूल्य हैं और न ही आदर्श, उनके व्यक्तिगत स्वार्थ जब टकराते हैं तो टूट भी जाते हैं उतने ही भागों में।
अभी तो वह इसी प्रकार से आपस में लड़ते-भिड़ते रहते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन करने के प्रयास किए गए थे। आज फिर वही स्थिति उनके सामने आ गई है कि अब कोई गठबंधन का पार्ट नहीं बन पा रहा है। वे किसी तरह अपनी लाज बचाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोई असर नहीं पड़ेगा। भाजपा सभी सीटों पर जीतेगी।
सवाल: आपके मंत्रिमंडल के कुछ सहयोगी भी चुनाव मैदान में उतरेंगे?
जवाब: पार्टी जिसको भी कहेगी, वे सब तैयार हैं।
सवाल: क्या चुनाव के बाद एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों में बदलाव होगा?
जवाब: यह तो बाद का विषय है। अभी तो लोकसभा चुनाव में ही हम सब लगे हुए हैं।
सवाल: एससीआर की परिकल्पना वाकई बहुत बढ़िया है, लेकिन अनियोजित प्लाटिंग के कारण लखनऊ समेत सभी जिलों में उपयुक्त जमीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन भी यह सवाल उठा चुका है कि बड़े प्रोजेक्ट के लिए जमीन नहीं बचेगी। सरकार इस अनियोजित प्लाटिंग को रोकने के लिए क्या कर रही है?
जवाब: देखिए, एससीआर का जो हम लोगों का प्लान है, वह अवैज्ञानिक और अनियोजित विकास को रोकने का प्रयास है। नियोजित तरह से विकास करा सकें, जो ईज आफ लिविंग के लक्ष्य को पाने का दिशा में एक पार्ट है, इसलिए ही लखनऊ व उससे जुड़े हरदोई, उन्नाव, सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली को शामिल कर एससीआर बनाने का निर्णय लिया गया है।
ऐसा होने से लोग वैज्ञानिक और सुनियोजित विकास के माहौल में जीवन यापन कर सकेंगे। इसी तरह से वाराणसी व उससे जुड़े जिले चंदौली, भदोही, गाजीपुर, जौनपुर मीरजापुर को जोड़कर अथारिटी गठित करने जा रहे हैं। इससे जहां हम विकास की दिशा में बढ़ेंगे तो दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था भी बेहतर होगी।
सवाल: बीते सात वर्षों से कई युवाओं को रोजगार मिले, रिक्तियां आईं, भर्तियां हुईं। अब भी बड़ी संख्या में डिग्रीधारी युवा रोजगार और सेवायोजन के लिए आपकी ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहे हैं। इन युवाओं की आस कैसे पूरी होगी?
जवाब: सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता बनी रहे, यह हमारी शीर्ष प्राथमिकता है। हमने पहले भी कहा था कि जो युवाओं के भरोसे से खिलवाड़ करेगा, हम उसे छोड़ेंगे नहीं। पूरी पारदर्शिता के साथ हमने भर्तियां कीं, जिनमें 6.5 लाख युवाओं को रोजगार मिला।
पुलिस और लोकसेवा आयोग की भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक हुए। हमने इस प्रकरण में कड़ी कार्रवाई की। हमने सख्त निर्देश दिए हैं कि हर आयोग और हर बोर्ड में बड़ी ही पारदर्शिता के साथ भर्तियां हों। इसके अतिरिक्त प्रदेश के युवाओं को हम स्वावलंबन और स्वरोजगार से भी जोड़ेंगे। हमें अपने युवाओं की योग्यता और क्षमता पर पूरा विश्वास है।
सवाल: चुनाव में अयोध्या का कितना असर देखते हैं?
जवाब: अयोध्या हमारे लिए लाभ और हानि का विषय नहीं है, राजनीति का विषय नहीं है। अयोध्या हमारे लिए आस्था का विषय है। हमारा मानना है, जन आस्था का सम्मान होना चाहिए। हमने वही किया है, जो जनता चाहती थी।
मोदीजी के नेतृत्व में देश के अंदर जिस स्थान के लिए लंबा और कड़ा संघर्ष चला, आज हमें प्रसन्नता है, वह स्थान देश-दुनिया के लिए आकर्षण और आस्था का केंद्र बनकर फिर से उभरा है। रामलला विराजमान हो चुके हैं। बड़ी संख्या में लोग प्रतिदिन दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। स्वाभाविक रूप से यह लाभ का नहीं, जनआस्था का सम्मान का विषय था। हम लोगों ने उसमें योगदान देकर अपने आपको कृतार्थ किया है।
कनेक्टिविटी के मामले में हम देश में नंबर वन
सवाल: उत्तर प्रदेश घरेलू पर्यटन के मामले में देश में पहले नंबर पर आया है। पिछले वर्ष 2023 में 48 करोड़ पर्यटकों ने उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया था। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के बाद पर्यटकों की संख्या में और बढ़ोतरी हो रही है। बड़ी संख्या में पर्यटकों के आगमन को देखते हुए सुविधाएं बढ़ाने की दिशा में और क्या इंतजाम किए जा रहे हैं?
जवाब: 2017 में हम सत्ता में आए थे तो उत्तर प्रदेश पर्यटकों के मामले में तीसरे स्थान पर था। प्रयागराज के कुंभ के दौरान हम नंबर एक पर आए और अब उससे भी आगे बढ़ चुके हैं। गत वर्ष हम देश-विदेश के 48 करोड़ पर्यटकों को यूपी लाने में सफल रहे। हमने उन सभी सेक्टरों को चिह्नित किया, जिनमें संभावनाएं थीं। धार्मिक पर्यटन से लाखों लोगों को रोजगार से जोड़ा गया। प
र्यटकों के लिए हर तरह का इन्फ्रास्ट्रक्टर तैयार किया गया। जैसे- काशी में विश्वनाथ धाम के साथ ही कनेक्टिविटी पर भी काम चलता रहा। प्रयागराज, मथुरा, वृंदावन, चित्रकूट, शुक तीर्थ, विंध्याचल आदि सभी स्थानों पर कुछ न कुछ किया गया। अयोध्या को पूर्वी बंदरगाह से जोड़ने के लिए वाटरवे अथारिटी का गठन किया गया है।
कनेक्टिविटी के क्षेत्र में हम सबसे बेहतर हैं। पहले यूपी में सिर्फ दो एयरपोर्ट थे, वाराणसी और लखनऊ। आज 15 एयरपोर्ट हैं, जिनमें चार इंटरनेशनल हैं। जेवर एयरपोर्ट के साथ पांच डोमेस्टिक एयरपोर्ट भी आने वाले हैं। एयर कनेक्टिविटी में देश में यूपी नंबर वन है। सुरक्षा का बोध और कनेक्टिविटी पर्यटकों की संख्या को और बढ़ाएगा।
सुरक्षित माहौल, कोई गुंडा टैक्स नहीं, कोई कट नहीं
सवाल: इन्वेस्टर्स समिट से निवेश का माहौल पहली बार छोटे जिलों में भी बना, लेकिन अब भी उद्यमी नोएडा को वरीयता देते हैं। क्या इस दिशा में सरकार कुछ कर रही है?
जवाब: प्रदेश में जितनी भी इंडस्ट्रियल अथारिटी हैं, वहां पर बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने की कार्ययोजना क्रियान्वित की गई है।
अब तो सरकार निजी औद्योगिक पार्कों को बढ़ावा दे रही है। यूपीसीडा, नोएडा अथारिटी, ग्रेटर नोएडा अथारिटी व यमुना अथारिटी के साथ अन्य सभी इंडस्ट्रियल अथारिटी प्रदेश में निवेश को आगे बढ़ा रही हैं, लेकिन इसके साथ ही हम 10 से लेकर 50 एकड़ तक के निजी औद्योगिक पार्कों को फ्लैश पार्क के रूप में विकसित कर रहे हैं। इसका अब तक प्रदेश के 11 जनपदों ने लाभ लिया है।
इन जिलों को प्रोत्साहन भी मिल रहा है। निवेशकों को सुरक्षा और शासन की नीति के अंतर्गत मिलने वाला सरकारी प्रोत्साहन हमारी सरकार की प्राथमिकता है। उत्तर प्रदेश में यदि कोई निवेश करने के लिए आ रहा है तो पहले उसका सहयोग निवेश सारथी करते हैं, जिससे वो सरकार के साथ एमओयू कर सके।
दूसरा, एमओयू के बाद निवेशक को एनओसी के लिए निवेश मित्र पोर्टल है, जो सिंगल विंडो प्लेटफार्म है। तीसरा, सरकारी प्रोत्साहन के लिए आनलाइन इन्सेंटिव मानीटिरिंग सिस्टम भी तैयार किया गया है। इन तीनों ही सुविधाओं का लाभ निवेशक उत्तर प्रदेश में ले सकते हैं। सरकार ने उद्यमियों को सुरक्षित माहौल दिया है। कोई गुंडा टैक्स नहीं, कोई कट नहीं।
पांच वर्ष में यूपी को वन ट्रिलियन इकोनमी बनाने का लक्ष्य
सवाल: उत्तर प्रदेश में सकल घरेलू राज्य उत्पाद जीएसडीपी की दर में बीते सात वर्षों में काफी बढ़ोतरी हुई है। 2016-17 में 12.75 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2024-25 की जीएसडीपी 25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है, इसमें कृषि के योगदान और किसानों की आय बढ़ाने के सरकार के प्रयासों को कितनी सफलता मिली है?
जवाब: पिछले सात वर्ष में उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय दोगुणी से अधिक बढ़ी है। प्रदेश की जीडीपी भी अब 26 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। हमने समग्र प्रयासों से इसे यहां तक पहुंचाया है, यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमने तीन वर्ष कोरोना महामारी के बीच बिताए हैं, उस समय हमारा प्रयास जनता को महामारी से बचाना था।
हमने जनता जनार्दन की सेवा की। कोरोना के बावजूद हम यूपी की इकोनमी को दोगुणी से अधिक करने में सफलता प्राप्त कर चुके हैं। मेरा मानना है कि अगले पांच वर्ष में यूपी की इकोनमी को वन ट्रिलियन तक पहुंचाने में सफल होंगे।
सवाल: बेसहारा पशु फिर समस्या बन रहे हैं, इसका कोई स्थायी समाधान?
जवाब: यह समस्या पिछली सरकारों की थी। हमने इसका समाधान किया है। हमारी तीन योजनाएं चल रही हैं। पहली है निराश्रय गोआश्रय स्थल योजना। इसके तहत हमने 12 लाख निराश्रित गोवंशों को गोआश्रय स्थलों में रखा है। वहां पर सरकार की निगरानी में बेसहारा पशुओं की देखभाल की जा रही है।
दूसरी योजना के तहत हम कुपोषित परिवारों को गोवंश देते हैं और उन्हें हर गाय का प्रति माह 1500 रुपये का भुगतान किया जाता है। इसके अलावा सहकारिता योजना के तहत किसान परिवारों को गोवंश उपलब्ध करवाते हैं। इसके तहत अधिकतम चार गोवंश एक किसान परिवार को दिए जा सकते हैं।
इसमें पशु चिकित्सा अधिकारी के सत्यापन के बाद प्रति गोवंश 1500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। इन तीनों योजनाओं से उत्तर प्रदेश में 14 लाख गोवंशों की सेवा की जा रही है। पहले जिन गोवंशों को कसाई काट देते थे, या जो गोवंश फसलों को नुकसान पहुंचाते थे, वे आज गोआश्रय स्थलों में सुरक्षित हैं। इससे लोगों को खुश होना चाहिए, नाखुश नहीं होना चाहिए। यह काम पहली बार हो रहा है।
सवाल: कानपुर प्रमुख औद्योगिक शहर है, लेकिन उसे एससीआर (स्टेट कैपिटल रीजन) से बाहर कर दिया गया है?
जवाब: कानपुर को एससीआर से हटाया नहीं गया है। यह डिफेंस कारिडोर का प्रमुख केंद्र है। देश की महत्वपूर्ण औद्योगिक नगरी के रूप में कानपुर की पहचान है।
कानपुर और झांसी के बीच औद्योगिक विकास के लिए हमने बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण का गठन किया है। इसका लाभ झांसी और कानपुर को मिलेगा। इसके माध्यम से औद्योगिक विकास में निश्चिततौर पर लाभ होगा।
सवाल: कानपुर में जाम बड़ी समस्या है। मंधना से अनवरगंज एलिवेटेड रेल ट्रैक का काम भी फंस गया है?
जवाब: (हंसते हुए) फंसा नहीं है। यहां कुछ भी फंसता नहीं है। हम समस्या नहीं, समाधान देखते हैं। इस पर काम किया जा रहा है। विशेष तौर से योजना बनाई जा रही है। जल्द ही सबकुछ धरातल पर दिखेगा।
जनता प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों को जानती समझती है…
सवाल: आपके कार्यकाल में बिजली व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार दिख रहा है। हालांकि, बिजली कंपनियां बिजली चोरी आदि के चलते घाटे से अब भी उबर नहीं पा रही हैं। क्या ज्यादा लाइन हानियों वाले क्षेत्रों को निजी हाथों में देने की तैयारी है?
जवाब: देखिए, 2017 में जब हम लोग आए थे, तब प्रदेश के चार-पांच जिलों में ही बिजली मिल पाती थी। शेष जिलों में कुछ घंटे ही बिजली मिलती थी। 1.21 लाख मजरों में बिजली पहुंची ही नहीं थी। जले ट्रांसफार्मर महीनों में नहीं बदलते थे। कनेक्शन मिलने में दिक्कतें थीं।
आज बिजली की अवस्थापना सुविधाओं को सुधारने के साथ ही उत्पादन बेहतर करने का हम लोगों ने प्रयास किया है। आज यूपी, देश में इनर्जी सरप्लस स्टेट के रूप में स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है। अब पीक आवर्स में भी हमारे पास बिजली की दिक्कत नहीं है। पहले चरण में बिजली आपूर्ति व्यवस्था सुधारने पर फोकस करने के साथ ही हम लोगों ने काफी हद तक लाइन लास को भी कम करने की दिशा में कार्य किया है।
पहले 36 से 39 प्रतिशत लाइन लास था जो कि अब 21 प्रतिशत तक करने में सफलता हासिल की है। आप देखेंगे कि कुछ वर्षों में अवस्थापना के साथ ही लाइन लास को धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से रिफार्म के जरिए हम लोग और कम कर देंगे।
सवाल: पश्चिमी उत्तर प्रदेश हमेशा से भाजपा के लिए चुनौती रहा है। इस बार क्या वहां के लिए भाजपा ने कोई खास रणनीति सोची है?
जवाब: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संसदीय क्षेत्रों में जनता का प्यार हमें मिलता रहा है। 2014 में भी मिला था, उसके बाद भी मिला और इस बार भी मिलेगा। वहां की जनता प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों का जानती-समझती है और उसी के आधार पर वोट देगी। मैं स्वयं 27 मार्च को मथुरा जा रहा हूं।
सवाल: मथुरा से शुरुआत का कोई विशेष कारण?
जवाब: कोई खास बात नहीं (थोड़ा मुस्कराते हुए) भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है, उनके दर्शन करूंगा और उनके उपदेशों को आगे बढ़ाऊंगा।
सवाल: चुनाव बाद का लक्ष्य, जो आप स्वयं बताना चाहते हों?
जवाब: देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होना जरूरी है। यह लक्ष्य हासिल करेंगे। डबल इंजन की सरकार की ताकत का लाभ जनता-जनार्दन को मिले, इसके लिए यह समय उनसे आशीर्वाद लेने का है।