हमीरपुर : सुमेरपुर कस्बे की वर्णिता संस्था ने आजादी के संघर्ष के बेमिसाल बलिदानी भगतसिंह,सुखदेव व राजगुरु की पुण्यतिथि मनाई गई। संस्था के अध्यक्ष डॉ.भवानीदीन ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि ये तीनों शहीद सही मायने में मां भारती के जमीनी जाबांज थे। इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।भगतसिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले बंगा नामक गांव में सरदार किशन सिंह मां विद्यावती के घर हुआ था। शिक्षा काल में ही भगतसिंह ने भारत नौजवान सभा का गठन कर लिया था। सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लुधियाना मे रामलाल थापर और रल्ला देवी के घर हुआ था।
शिवराम हरि राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 को पुणे के खेडा गांव में हरिनारायण व पार्वती के घर हुआ था। यह बचपन से ही वीर और साहसी थे और अच्छे निशानेबाज थे। इन तीनों का अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की हत्या,असेंबली में बम फेंकने सहित कई महत्वपूर्ण क्रांतिकारी घटनाओं में प्रभावी योगदान रहा। यह तीनों क्रांतिकारी अंग्रेजो की नजरों में चढे थे। सांडर्स की हत्या के लिए इन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया और न्याय का नाटक किया गया। इन तीनों को 23-24 वर्ष की उम्र में लाहौर की सेन्ट्रल जेल में फांसी दे दी गई। कार्यक्रम में एड.अवधेश कुमार गुप्ता, अशोक अवस्थी, बाबूलाल, प्रेम, महावीर प्रजापति, आशीष, कल्लू, दस्सी, भोलू, रिचा और धीरज आदि शामिल रहे।