भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला सुन मंत्र मुग्ध हुये स्रोता

अमेठी। तिलोई ब्लाक क्षेत्र के सेमरौता गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन की कथा सुनाते हुए भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया । जिसे सुनकर स्रोता मंत्र मुग्ध हो गये।

कथा वाचक ने कहा कि कृष्ण के अनेक रूप और हर रूप की लीला अद्भुत है। प्रेम को परिभाषित करने वाले, उसे जीने वाले इस माधव ने जिस क्षेत्र में हाथ रखा वहीं नए कीर्तिमान स्थापित किए। माँ के लाड़ले, जिनके संपूर्ण व्यक्तित्व में मासूमियत समाई हुई है। कहते तो लोग ईश्वर का अवतार हैं, पर वे बालक हैं तो पूरे बालक। माँ से बचने के लिए कहते हैं- मैया मैंने माखन नहीं खाया। माँ से पूछते हैं- माँ वह राधा इतनी गोरी क्यों है, मैं क्यों काला हूँ? शिकायत करते हैं कि माँ मुझे दाऊ क्यों कहते हैं कि तू मेरी माँ नहीं है। ‘यशोदा माँ’ जिसे अपने कान्हा से कोई शिकायत नहीं है? उन्हें अपने लल्ला को कुछ नहीं बनाना, वह जैसा है उनके लिए पूरा है।


यहाँ तक कि मुख में पूरी पृथ्वी दिखा देने, न जाने कितने मायावियों, राक्षसों का संहार कर देने के बाद भी माँ यशोदा के लिए तो वे घुटने चलते लल्ला ही थे जिनका कभी किसी काम में कोई दोष नहीं होता। सूर के पदों में अनोखी कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन है। सूरदास ने बालक कृष्ण के भावों का मनोहारी चित्रण प्रस्तुत किया जिसने यशोदा के कृष्ण के प्रति वात्सल्य को अमर कर दिया।इस मौके पर कथा यजमान शत्रुघ्न पाण्डेय, सीटेड के निदेशक इं संजय सिंह, अच्छे लाल मिश्रा, पंकज तिवारी, पवन पासी, ललित चौबे, किशोर बाजपेई,गोपाल शंकर,जय प्रकाशपांडेय ,ग्राम प्रधान देवी शरण बाजपेई, अमित पांडेय,सुमित, ओम प्रकाश,सत्य प्रकाश, घिसियावन,संजय,निखिल,रिशूआदि लोग कथा श्रवण हेतु उपस्थित थे ।

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