- धुएं के साथ उड़ने वाले कार्बन के कण सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर लोगों को मौत की ओर धकेल रहे
- फैक्ट्री से निकलने वाले जानलेवा धुंए पर अंकुश लगवाने के लिए कई बार प्रशासन को ज्ञापन सौंप चुके हैं ग्रामीण, मगर अभी तक प्रशासन की ओर से नहीं उठाया गया कोई कदम
लखनऊ। बख्शी का तालाब तहसील मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर बड़ी देवरई गांव के पास में संचालित पेठा फैक्ट्री के जहरीले धुआं फल सब्जियों सहित आसपास के गांवों के लिए मुसीबत बन गया हैं। यह फैक्ट्री विषैली गैस और धुएं के रूप में जहर उगल रही हैं। इससे आसपास गांव के लोग प्रभावित हैं।जहरीले धुएं से फल सब्जी तो बीमार हो ही रहे हैं, बल्कि इस जहरीले धुएं से बच्चों से लेकर बड़ों तक सांस के मरीज बनकर जिंदगी के लिए जूझ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने भी माना है कि फैक्ट्रियों की वजह से टीबी समेत अन्य बीमारियां फैल रही हैं। क्षेत्रवासियों ने नुकसान पहुंचा रही इन फैक्ट्रियों तत्काल बंद कराने की मांग प्रशासन से की है। ग्रामीणों का कहना है कि आबादी से कुछ ही दूरी पर संचालित इस फैक्ट्री को यदि शीघ्र बंद नहीं कराया गया,तो वे अपनी पीढ़ियों को बीमारी से बचाने के लिए आंदोलन पर भी उतर सकते हैं।
बता दें कि एक तरफ जहां देशभर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर बहस छिड़ी हुई है। वायु प्रदूषण दूर हो इसे लेकर प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं बड़ी देवरई गांव के पास संचालित एक पेठा फैक्ट्री से निकलने वाले धुआं को शिकायतों के बाद भी रोका नहीं जा सका है। यह धुआं रोजाना रामपुर देवरई सहित क्षेत्र के कई गांवों को अपनी जद में ले लेता है। जहां लोगों को स्वच्छ हवा की अपेक्षा फैक्ट्री से निकलने वाले जहरीले धुआ का गुब्बार झेलना पड़ता है। इस धुएं के कारण अब लोग बीमार होने लगे हैं। इन गांवों में रहने वाले कई बच्चे, बड़े और बुजुर्गों की आंखें आंसुओं से भरी रहती हैं। गांवों को अपने आगोश में लेने वाले इस धुएं से निजात मिले इसे लेकर ग्रामीणों कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी समस्या बता चुके हैं लेकिन न तो उनकी कोई सुनवाई हुई है और न ही उनके आसपास छाए रहने वाला फैक्ट्री का धुआं दूर हो सका है। आपको बता दें कि यह पेठा फैक्ट्री कई साल पहले से यहां संचालित हैं। जहां फैक्ट्री लगी है वहां चारों तरफ आबादी हैं।जहां लोग इस जहरीले धुएं से सबसे ज्यादा परेशान हैं। लोगों का कहना है, कि उनको तो अब धुएं का दर्द झेलने की आदत हो गई है, पर आने वाली पीढ़ी के लिए यह धुआं ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है जिसे लेकर वह चिंतित हैं।इस पेठा फैक्ट्री से निकलने वाले जहरीले धुएं से वातावरण का प्रदूषण स्तर खतरे के निशान के ऊपर जा चुका है, इससे नागरिकों व पशु पक्षियों को सांस लेने में काफी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है।
नागरिकों ने इसका विरोध जताया है। फैक्ट्री से निकलने वाले जहरीले धुएं से फसलों पर भी इसका विपरीत प्रभाव देखने को मिल रहा है। फसलों का उत्पादन घट रहा है। क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था पर फैक्ट्री के निकलने वाले धुएं का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।वहीं प्रदूषण नियंत्रण विभाग का इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
मशीन के चालू होते ही छा जाता है धुआं ही धुआं
इस धुएं की समस्या से रोज लड़ रहे ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें ताजी हवा तो बहुत कम ही नसीब हो पाती है। सुबह से शाम और रातभर चारों तरफ धुआं ही धुआं छाया रहता है। हाल ये है कि लोगों की आंखों में धुएं के कारण पानी बहता रहता है। जब आंखों में पानी बहने की शिकायत आने लगती है तो डाक्टरों के यहां पहुंचते हैं। जहां डाक्टर उनको धुएं से बचने की सलाह देते हैं। इधर वह धुएं के गुब्बार के बीच ही जीने पर मजबूर हैं। चिंतनीय बात ये है कि फैक्ट्री में जो चिमनी लगी हैं वह ज्यादा ऊंचाई की नहीं है और पूरा धुआं उनसे बाहर नहीं जाता। जिसकी हकीकत वातावरण में रोजाना गुब्बार के रूप में देखी जा सकती है।
गांवों में घरों पर जम जाती है काली परत
फैक्ट्री से सटे जो गांव धुएं की जद में आते हैं, उनमें रामपुर देवरई, बड़ी देवरई, इंदौराबाग आदि शामिल हैं। जहां लोग जब सोकर उठते हैं तो उनके छतों पर काली परत जमी हुई मिलती है। बताया गया है कि फैक्ट्री की चिमनी के बेहतर रूप से नहीं चलने के कारण धुएं का गुब्बार छाता रहता है। अगर इन गांवों में रहने वाली आबादी की बात करें तो यहां हजारों की आबादी रहती है। इतना होने के बाद भी विभागीय जिम्मेदारों ने धुआं की समस्या को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।