गोरखपुर। चुनावों की औपचारिक घोषणा के साथ लोगों की निगाहें अब अपने क्षेत्र से भाग्य आजमाने वाले प्रत्याशियों पर है। लेकिन, इस बार कुछ अप्रत्याशित नजर आ रहा है। आमतौर पर देर से प्रत्याशी उतारने के लिए चर्चित भाजपा ने काफी पहले ही नौ में से आठ सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।
सपा व कांग्रेस का गठबंधन है। अपने हिस्से की छह में से दो सीटों पर सपा भी प्रत्याशी उतार चुकी है, लेकिन कांग्रेस और बसपा की ओर से अभी तक एक भी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की गई है। भाजपा के प्रत्याशी मैदान मारने के लिए मोर्चेबंदी में जुट गए हैं, लेकिन विपक्षी अभी हवा का रुख भांप रहे हैं।
भाजपा की ओर से गोरखपुर, बांसगांव सुरक्षित, महराजगंज, कुशीनगर, सलेमपुर, बस्ती, संतकबीरनगर एवं डुमरियागंज से प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं। इन सीटों पर पिछली बार जीत दर्ज करने वालों को ही इस बार भी प्रत्याशी बनाया गया है।
इस बात की चर्चा थी कि भाजपा कई सांसदों के टिकट काट सकती है। प्रत्याशियों के नाम सामने आने के बाद यह चर्चा निर्मूल साबित हुई है। पार्टी का विश्वास कायम पाकर प्रत्याशियों के मन में भी अब कोई आशंका नहीं रह गई है और वे क्षेत्र में अपना भ्रमण बढ़ा चुके हैं। देवरिया सीट पर भाजपा ने भी प्रत्याशी फाइनल नहीं किया है। फिलहाल यहां से डा. रमापतिराम त्रिपाठी सांसद हैं।
आइएनडीआइए के गठबंधन में इस क्षेत्र में सपा को छह तथा कांग्रेस को तीन सीटें दी गई हैं। देवरिया, बांसगांव एवं महराजगंज में कांग्रेस के प्रत्याशी सपा के समर्थन से मैदान में होंगे, जबकि गोरखपुर, कुशीनगर, सलेमपुर, बस्ती, संतकबीरनगर व डुमरियागंज में सपा अपने प्रत्याशी उतारेगी।
बसपा शासनकाल में मंत्री रहे सदल प्रसाद हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। सदल बांसगांव संसदीय सीट से तीन बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। चौदहवीं एवं सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में सदल प्रसाद बसपा के टिकट पर लड़े थे। उन्हें दूसरा स्थान मिला था।
सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव में सपा व बसपा के बीच गठबंधन था। समझौते में यह सीट बसपा को मिली थी और पार्टी ने सदल प्रसाद को ही अपना प्रत्याशी बनाया था। इस चुनाव में भी सदल दूसरे स्थान पर रहे। तीन बार मिली शिकस्त के बाद सदल को सहानुभूति की उम्मीद है। उनका कांग्रेस में जाने का फैसला भी एक बार फिर दावेदारी करने की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है।
कांग्रेस पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि सदल की ओर से दावेदारी की गई है। इसी तरह महराजगंज लोकसभा क्षेत्र के कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री अमरमणि के पुत्र पूर्व विधायक अमनमणि ने भी कांग्रेस का हाथ थामा है। चर्चा है कि अमन कांग्रेस से दावेदारी कर सकते हैं। अमन के प्रत्याशी बनने से लड़ाई रोचक हो सकती है।
सपा ने गोरखपुर में काजल निषाद पर भरोसा जताया है। काजल इससे पहले महापौर एवं विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। पार्टी को उम्मीद है कि निषाद मतदाताओं की सहानुभूति उनके साथ हो सकती है। बस्ती में सपा ने पूर्व मंत्री रामप्रसाद चौधरी पर भरोसा जताया है। वह पिछले चुनाव में सपा व बसपा के गठबंधन से बसपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे।
भाजपा सांसद हरीश द्विवेदी को कड़ी टक्कर भी मिली थी। सपा नेताओं का मानना है कि भाजपा को बस्ती सीट पर भी कड़ी टक्कर मिलेगी। अन्य सीटों पर भी चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं। आमतौर पर काफी पहले प्रत्याशी घोषित करने वाली बसपा इस बार वेट एंड वाच की स्थिति में है।
बसपा सुप्रीमो अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं, लेकिन उनकी पार्टी ने अभी तक कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। माना जा रहा है कि बसपा की ओर से भी कुछ प्रभावशाली चेहरों पर दांव लगाया जा सकता है।