यूपी की उस ‘हॉट सीट’ का गणित, जहां भाजपा से लेकर कांग्रेस तक के बड़े-बड़े सूरमा भी हो चुके ‘आउट’

अमेठी। देश की सबसे चर्चित लोकसभा सीट अमेठी के मतदाताओं ने जब जिसे चाहा सिर माथे बिठाया और जब जिसे चाहा उतार दिया। कांग्रेस का गढ़ कही जाती रही अमेठी की पिच पर राजनीति के बड़े-बड़े सूरमा आउट हो चुके हैं। संजय गांधी हो या मेनका गांधी, कांशीराम हो या शरद यादव, संजय सिंह हो या कैप्टन सतीश शर्मा,राय मोहन गांधी हों या कुमार विश्वास, राहुल गांधी हो या फिर स्मृति इरानी, ये सभी दिग्गज अमेठी में पराजय का स्वाद चख चुके हैं।

1967 में अस्तित्व में आई अमेठी सीट की चर्चा देश दुनिया में तब हुई। जब 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी यहां लोक सभा का चुनाव लड़ने के लिए आए। उनके सामने जनता पार्टी से कोहरा के रवींद्र प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया मैदान में थे। आपातकाल के कारण पूरे देश में सरकार विरोधी लहर के कारण संजय गांधी को अमेठी में हार का सामना करना पड़ा।

चुनाव में जहां रवीन्द्र प्रताप सिंह को 1,76,410 वोट मिले। वहीं संजय गांधी को 1,00,566 वोट पाकर 75,844 वोटों से पराजय का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 1980 में हुए आम चुनाव में संजय गांधी ने जनता पार्टी के रवीन्द्र प्रताप सिंह को 1,28,545 मतों से हराकर बड़ी जीत दर्ज कर संसद पहुंचे थे। इस चुनाव में संजय गांधी को 1,89,990 मत मिले थे। जबकि रवीन्द्र प्रताप सिंह मात्र 58,445 मत ही प्राप्त कर सके थे।

संजय गांधी के निधन के बाद 1981 में हुए उपचुनाव में राजीव गांधी के खिलाफ लोकदल ने शरद यादव को चुनावी मैदान में उतारा था। संजय गांधी की सहानुभूति की लहर में राजीव गांधी ने बड़ी जीत दर्ज की। राजीव गांधी को जहां 2,58,884 वोट मिले। वहीं शरद यादव को सिर्फ 21,188 वोट ही मिले थे।

वहीं 1984 के चुनाव में गांधी परिवार के दो सदस्य राजीव गांधी और मेनका गांधी ही एक दूसरे के खिलाफ अमेठी से चुनावी मैदान में उतर गए थे। लेकिन, अमेठी की जनता ने राजीव गांधी को 3,65,041 मत देकर अपना सांसद चुना। मेनका गांधी को मात्र 50,163 मत ही मिल सके और उनकी जमानत तक नहीं बच पाई। इस चुनाव के बाद मेनका गांधी अमेठी लौटकर कभी नहीं आई।

1989 में राजीव गांधी के सामने जनता दल से महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी व बसपा संस्थापक कांशीराम चुनावी मैदान में उतरे थे। लेकिन, दोनों को हार का सामना करना पड़ा था। राजीव गांधी को 2,71,407 मत मिले। जबिक जनता दल के राज मोहन गांधी को 69,269 मत व कांशीराम को 25,400 मत ही प्राप्त हो सके।

बसपा अमेठी की इस हार को आज तक नहीं भूल पाई है। 1991 में हुए चुनाव में राजीव गांधी को 1,87,138 मत मिले थे। भाजपा के रवीन्द्र प्रताप सिंह को 75,053 व जनता दल के नईम को 54,680 वोट ही मिल सके। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद 1991 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर राजीव गांधी के सखा कैप्टन सतीश शर्मा मैदान में उतरें।

उन्हें 1,78,996 मत मिले। जबकि भाजपा के मदन मोहन सिंह 79,687 मत प्राप्त हुए। 1996 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस के सतीश शर्मा ने भाजपा के राजा मोहन सिंह को हराकर सांसद बने। कैप्टन शर्मा को 1,57,868 मत व भाजपा के राजा मोहन सिंह का 1,17,725 मत हासिल हुए थे।

1998 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डा. संजय सिंह ने कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को हरा दिया था। 1977 के बाद भाजपा को दूसरी बार अमेठी जीत मिली थी। डा. संजय सिंह 2,05,025 मत मिले थे। कैप्टन सतीश शर्मा 1,81,755 मत ही प्राप्त कर सके थे।

1999 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी संजय सिंह को कांग्रेस की सोनिया गांधी से करारी पराजय मिली थी। इस चुनाव में सोनिया गांधी को 4,18,960 मत मिले थे। जबकि डा. संजय सिंह 1,18,948 वोट ही हासिल कर सके थे। 2004 में राहुल गांधी ने बसपा के चंद्र प्रकाश मिश्र मटियारी व 2009 में बसपा के आशीष शुक्ल को हराकर बड़ी जीत दर्ज की थी।

वहीं अब तक के सबसे हाई प्रोफाइल मुकाबले में अमेठी की जनता 2014 में भाजपा की स्मृति इरानी व आप के कुमार विश्वास को हराकर तीसरी बार राहुल गांधी को अपना सांसद चुना था। इस चुनाव में राहुल गांधी को 4,08,651, स्मृति इरानी को 3,00,748 व कुमार विश्वास को 25,527 मत मिले थे।

हार के बाद कुमार विश्वास वापस लौट गए पर स्मृति अमेठी डटी रही। जिसका लाभ स्मृति को आम चुनाव 2019 में मिला। जनता ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराकर भाजपा की स्मृति इरानी को अपना सांसद चुना। स्मृति को 4,68,514 व राहुल गांधी को 4,13,394 मत प्राप्त हुए थे। भाजपा को यहां स्मृति के रूप में तीसरी बार जीत मिली।

अमेठी में कब-कब दिगज्जों को मिली है हार

  • 1977 संजय गांधी, कांग्रेस
  • 1981 शरद यादव, लोक दल
  • 1984 मेनका गांधी, संजय विचार मंच
  • 1989 राजमोहन गांधी, जनता दल, भाजपा
  • 1989 कांशीराम, बसपा
  • 1998 कैप्टन सतीश शर्मा, कांग्रेस
  • 1999 संजय सिंह, भाजपा
  • 2014 स्मृति इरानी, भाजपा
  • 2014 कुमार विश्वास, आम आदमी पार्टी
  • 2019 राहुल गांधी, कांग्रेस

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